लगातार टूट रही है नक्सलियों की कमर,
जंगल में घुसकर मार रहे हैं सुरक्षाकर्मी...
नयी रणनीति कारगर सिद्ध हो रही है. नक्सल हिंसा से प्रभावित जिलों की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गयी है. 2015 में जहां 75 जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे, वहीं अब इसकी संख्या 58 रह गयी है. नयी रणनीति में खुफिया सूचना एकत्रित करने के लिए ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है... सुरक्षाकर्मी भी दिन-रात ऑपरेशंस में शामिल हैं. इस रणनीति की मदद से जंगल के काफी अंदर तक माओवादियों को निशाना बनाने का काम किया जा रहा है जिसमें सफलता भी मिल रही है.
इन नक्सल विरोधी अभियानों को सीआरपीएफ, आईएएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी एवं राज्य पुलिस के द्वारा संयुक्त ऑपरेशंस के जरिये अंजाम दिया जा रहा है. 90 फीसदी माओवादी हमले सिर्फ चार राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में देखने को मिलते हैं.सटीक खुफिया सूचना के आधार पर माओवादी नेताओं और उनके मुखबिरों को निशाना बनाना शामिल है. साथ-साथ प्रशासन विकास कार्यों की रफ्तार भी बढ़ाने ,. दूर-दराज के गांवों में पुलिस स्टेशनों की स्थापना के अलावा मोबाइल फोन टावर लगाने और सड़कों के निर्माण के काम को तेज किया गया है.
सीआरपीएफ के निदेशक जनरल राजीव राय भटनागर ने बताया कि पिछले साल हमने नक्सलियों को उनके गढ़ में निशाना बनाया है. राज्य पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सशस्त्र बलों के साथ हमारा तालमेल बहुत अच्छा रहा है. निशाने पर नक्सली लीडर्स, ओवर ग्राउंड ऑपरेटिव्स और उनके समर्थको को लिया गया है. नक्सली एक जगह से दूसरी जगह अपने हथियार, फंड्स और अपने सीनियर लीडर्स को शिफ्ट करने में नाकाम हो रहे हैं जिससे उनकी कमर टूट रही है.
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