Sunday, 7 January 2018

sanskar

ब्रह्मा विष्णु महेश के कुछ शारीरिक संरचना बताई जाती हैं. उन सबका एक विशेष अर्थ है.
वास्तव मे यह उस निराकार परब्रह्म द्वारा मनुष्य के लिए निर्धारित कर्म हैं. एक जीव मात्र का जीवन इन्ही तीन भाग मे बंटा है.
ब्रह्मा ~ इस शक्ति से मनुष्य का जन्म और शिक्षा का संबंध है. आप ही कल्पना करें कि किसी के 4 मुख हो तो वह सो ही नही पायेगा. वास्तव मे उन 4 मुखों का मतलब है 4 वेद(ज्ञान). जो वह परमेश्वर सरस्वती अर्थात पुस्तकों और गुरुवों द्वारा नवयुवक को देते हैं.
विष्णु~ यह पालक का गुण है. इसमे ईश्वर पिता राजा इत्यादि के माध्यम से जो क्षीर सागर अर्थात ब्रह्माण्ड की अथाह सम्पदा मे से लक्ष्मी अर्थात धन अर्जित कर समाज का पालन पोषण करता है.
महेश~ पालक का कर्तव्य पूर्ण करने के पश्चात योग, ध्यान , मोहमाया से परे, एक कुटी मे धूनी रमाना, समाज द्वारा दिए गए सब तरह के विष (कटाक्ष इत्यादि) को पचाने के लिए योग माध्यम से सुसुप्त नाड़ी रूपी सर्प को जगाना, समाज द्वारा बहिष्कृत समाज रूपी गणों को आश्रय देना, समाज का कल्याण करते हुवे मोक्ष को प्राप्त करना.
ईश्वर के यह तीन कर्म और विशेषाधिकार सिर्फ मनुष्य के लिए दिए हैं, जबकि मनुष्य अब जानवरों की तरह बस भोजन के पीछे पड़ कर पशुवत ही मृत्यु को प्राप्त हो रहा है.

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