ईसाई माता-पिता को ज्यादा बच्चे पैदा करने पर चौथे बच्चे के लिए ₹4000,
पांचवें के लिए ₹5000 देने की पेशकश की
पांचवें के लिए ₹5000 देने की पेशकश की
गनीमत है कि
पेशकश चर्च से आई है,
हिंदू संत ऐसा कह देता
सेक्युलर मीडिया इसे देश को हिंदुत्व की तरफ धकेलने का प्रयास बता कर 24 घंटे अपनी छाती पीटता।
पेशकश चर्च से आई है,
हिंदू संत ऐसा कह देता
सेक्युलर मीडिया इसे देश को हिंदुत्व की तरफ धकेलने का प्रयास बता कर 24 घंटे अपनी छाती पीटता।
Sanjay Dwivedy
द्व
मंदिर हिन्दुओं के नहीं होते | भारत में मंदिर सरकारी होते हैं | तमिलनाडु में हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट (TN HR&CE) के जरिये मंदिरों पर कब्ज़ा किया गया है | ये अन्य मजहबों-रिलिजन पर लागू नहीं होता, इस से सिर्फ हिन्दू मंदिरों पर सरकारी कब्ज़ा होता है |
TamilNadu Hindu Religious & Charitable Endowments Department (tnhrce.org)
मंदिरों के करीब 4.28 लाख एकड़ खेती लायक जमीन, 22,600 भवन और 33,600 “स्थलों” पर नियंत्रण करता है | वर्ष 2011 के दौरान इन संपत्तियों से कुल किराया होना था 303.64 करोड़ रुपये | सरकार ने यानि TN HR&CE ने इसमें से सिर्फ 36.04 करोड़ इकठ्ठा किया |
बाकी की रकम कहाँ जाती है पता नहीं | ये जो रकम इकठ्ठा होती है उसमें से कोई हिन्दू हितों के लिए खर्च की जाती है, या नहीं की जाती ये भी मालूम नहीं | आपके आस पास का कोई प्रसिद्ध मंदिर सोचिये और बताइये किसके नियंत्रण में है ?
मंदिर में दिया दान-चढ़ावा किसे जाता है, पंडित जी को या सरकार को ?
Kiran Wankhede
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उस से इतनी नाजायज़ कमाई कंपनी के भुक्खड़ों ने की कि इंग्लैंड के बाज़ार में धन उतराने लगा क्योंकि इंग्लैंड तब तक भूखा कंगला देश था
इंग्लैंड के लिए वह बड़ा धन था ,भारत के लिए वह नाखून का मैल था
उस लूट के माल से चकित आदम स्मिथ ने लूट के पक्ष में तथाकथित अर्थ शास्त्र रचा क्योंकि अपने धनियों और राजाओं के लिए ही लिखने की वहां परंपरा थी ,
इंग्लैंड के लिए वह बड़ा धन था ,भारत के लिए वह नाखून का मैल था
उस लूट के माल से चकित आदम स्मिथ ने लूट के पक्ष में तथाकथित अर्थ शास्त्र रचा क्योंकि अपने धनियों और राजाओं के लिए ही लिखने की वहां परंपरा थी ,
पुस्तक लिखना पहली बार वहां शुरू हो रहा था १६ वीं शताब्दी ईस्वी में पहली बार अंग्रेजी में बाइबिल लिखी गयी जिन दिनों गोस्वामी तुलसीदास भारत में राम चरित मानस लिख रहे थे ,उन दिनों
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