जहां चाह होती है वहीं राह होती है इस कहावत को सार्थक किया है संगीता सिंह ने
MBA करने के बाद इन्होंने दिल्ली में जॉब की लेकिन यह अपना खुद का बिजनेस करना चाहती थी फिर इन्होंने मात्र 10000 लगाकर ट्रेडिंग करना शुरू किया ट्रेडिंग करते वक्त उन्हें लगा कि पैकेजिंग इंडस्ट्रीज में बहुत अच्छा स्कोप है तो उन्होंने एक छोटी सी पैकेजिंग की यूनिट लगा ली
देखते ही देखते उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपनी कंपनी का टर्नओवर दो करोड़ कर दिया ...आज इनके कस्टमर बहुत से ऑटो सेक्टर में एनर्जी सेक्टर में हैं और अब यह गुजरात में भी अपना दूसरा यूनिट लगाने जा रही हैं ..अब इनके पति भी जॉब छोड़ कर इनके साथ बिजनेस में आ गए और दोनों पति-पत्नी मिलकर अपने बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मेहनत कर रहे हैं
संगीता सिंह जी एक महिला उद्यमिता का उदाहरण है जिन्होंने अपनी मेहनत से एक इंडस्ट्री बना ली जबकि इनका कोई गुरु नहीं था इन्हें सबकुछ जीरो से शुरू करना पड़ा कई बार बहुत कठिन वक्त भी आए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और यह पूरी मेहनत से अपने काम में लगी रही आज इन्हें कई बैंक लोन देने को भी तैयार हैं और यह अपने बिजनेस को और भी बढ़ाने जा रही हैं
संगीता सिंह जी एक बात हमेशा कहती हैं कि नौकरी करना मतलब गुलामी करना है और दूसरे के बिजनेस को बढ़ाना है तो फिर हम क्यों ना अपने लिए कुछ करें और यदि हम अपने बिजनेस को एक ऊंचाई तक ला देंगे तो फिर हमारे बच्चे उसे और आगे बढ़ाएंगे जब की नौकरी में ऐसा होता है कि हम पूरी जिंदगी नौकरी करके रिटायर हो जाते हैं फिर हमारे बच्चों को नए सिरे से संघर्ष करना पड़ता है
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