ये बुध्द के जैसी दिखने वाली मूर्ति वास्तव में मैरी की है जो जापान के क्रिप्टो-क्रिस्चियन पूजते थे।
ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन क्या है?
ग्रीक भाषा मे क्रिप्टो शब्द का अर्थ हुआ छुपा हुआ या गुप्त; क्रिप्टो-क्रिस्चियन (crypto-christian) का अर्थ हुआ गुप्त-ईसाई। इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि क्रिप्टो-क्रिस्चियन कोई गाली या नकारात्मक शब्द नहीं हैं। क्रिप्टो-क्रिस्चियानिटी ईसाई धर्म की एक संस्थागत प्रैक्टिस है। क्रिप्टो-क्रिस्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिस्चियन जिस देश मे अल्पसंख्यक होतें है वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते है, वहाँ का धर्म, रिवाज़ मानतें हैं जो कि उनका छद्मावरण होता है, पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रसार करते रहतें है।
जिस तरह इस्लाम का प्रचार तलवार के बल पर हुआ है वैसे ही ईसाईयत का प्रचार 2 निम्नलिखित बुनियादी सिद्धांतों पर हुआ है.
1) Defiling other Gods यानी दूसरे धर्म के ईश्वर, प्रतीकों की गरिमा भंग करो।
2) Soul Harvesting यानी दूसरे की कमजोरियों, दुखों, मजबूरियों का फायदा उठाओ।
2) Soul Harvesting यानी दूसरे की कमजोरियों, दुखों, मजबूरियों का फायदा उठाओ।
क्रिप्टो-क्रिश्चियन्स स्थानीय छद्मावरण में रहते हुए इन दोनों सिद्धांतों के आधार ईसाईयत का प्रचार करो।
क्रिप्टो-क्रिस्चियन का सबसे पहला उदाहरण रोमन सामाज्य में मिलता है जब ईसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे। तत्कालीन महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा समझा और जितने रोमन ईसाई बने थे उनके सामने प्रस्ताव रखा कि या तो वे ईसाईयत छोड़ें या मृत्यु-दंड भुगतें। रोमन ईसाईयों ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोड़ने का नाटक किया और उसके बाद ऊपर से वे रोमन देवी देवताओं की पूजा करते रहे, पर अंदर से ईसाईयत को मानते थे।
देखा गया है, मुसलमान जब 2-4 प्रतिशत होते हैं होतें है तब उस देश के कानून को मनातें है पर जब 20-30 प्रतिशत होतें हैं तब शरीअत की मांग शुरू होती है, दंगे होतें है। आबादी और अधिक बढ़ने पर गैर-मुसलमानों की ethnic cleansing शुरू हो जाती है।
क्रिप्टो-क्रिश्चियन्स की कार्य शैली अलग है पर इरादे वही मुसलमानो वाले कि स्थानीय धर्म खत्म करके अपने धर्म का प्रसार करना।
क्रिप्टो-क्रिस्चियन जब 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहतें है और जब अधिक संख्या में हो जातें तो उन्ही देवी-देवताओं का अपमान करने लगतें हैं। Hollywood की मशहूर फिल्म Agora(2009) हर हिन्दू को देखनी चाहिए। इसमें दिखाया है कि जब क्रिप्टो-क्रिस्चियन रोम में संख्या में अधिक हुए तब उन्होंने रोमन देवी-देवताओं का अपमान (Defiling) करना शुरू कर दिया। जिससे रोमन समाज मे तनाव और गृह युुुद्ध की स्थिति बन गयी।
क्रिप्टो-क्रिश्चियन्स की कार्य शैली अलग है पर इरादे वही मुसलमानो वाले कि स्थानीय धर्म खत्म करके अपने धर्म का प्रसार करना।
क्रिप्टो-क्रिस्चियन जब 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहतें है और जब अधिक संख्या में हो जातें तो उन्ही देवी-देवताओं का अपमान करने लगतें हैं। Hollywood की मशहूर फिल्म Agora(2009) हर हिन्दू को देखनी चाहिए। इसमें दिखाया है कि जब क्रिप्टो-क्रिस्चियन रोम में संख्या में अधिक हुए तब उन्होंने रोमन देवी-देवताओं का अपमान (Defiling) करना शुरू कर दिया। जिससे रोमन समाज मे तनाव और गृह युुुद्ध की स्थिति बन गयी।
भारत मे भी क्रिप्टो-क्रिस्चियन ने पकड़ बनानी शुरू की तो यहाँ भी हिन्दू देवी-देवताओं, ब्राह्मणों को गाली देने का काम शुरू कर दिया।
हिन्दू नामों में छुपे क्रिप्टो-क्रिश्चियन्स पिछले कई दशकों से देवी दुर्गा को वेश्या प्रचारित कर रहे हैं। राम को शंभूक (बलि देने वाला दुष्ट तांत्रिक) का हत्यारा प्रचारित कर रहे हैं।
ब्राह्मणों के खिलाफ anti-Brahminism की विचारधारा के अंतर्गत ब्राह्मणों के खिलाफ मनगढ़न्त कहानियां बनाई जा रही हैं जैसे कि ब्राह्मण दलितों के कान में पिघला शीशा डालता है, महिलाओं को घर से उठा के देवदासी बना देता है फिर उनका शोषण करता है। ये सब ईसाई प्रचार के पहले सिद्धांत, Defiling other Gods के अंतर्गत हो रहा है
मतलब, जो काम यूरोप में 2000 साल पहले हुआ वह भारत मे आज हो रहा है।
हिन्दू नामों में छुपे क्रिप्टो-क्रिश्चियन्स पिछले कई दशकों से देवी दुर्गा को वेश्या प्रचारित कर रहे हैं। राम को शंभूक (बलि देने वाला दुष्ट तांत्रिक) का हत्यारा प्रचारित कर रहे हैं।
ब्राह्मणों के खिलाफ anti-Brahminism की विचारधारा के अंतर्गत ब्राह्मणों के खिलाफ मनगढ़न्त कहानियां बनाई जा रही हैं जैसे कि ब्राह्मण दलितों के कान में पिघला शीशा डालता है, महिलाओं को घर से उठा के देवदासी बना देता है फिर उनका शोषण करता है। ये सब ईसाई प्रचार के पहले सिद्धांत, Defiling other Gods के अंतर्गत हो रहा है
मतलब, जो काम यूरोप में 2000 साल पहले हुआ वह भारत मे आज हो रहा है।
दूसरा सिद्धांत है soul harvesting। जब इंसान दुखी होता है या किसी मुश्किल में होता है तब वह receptive हो जाता है यानी दूसरे के विचार आसानी से ग्रहण कर सकता है जो ईसाई धर्मान्तरण का रास्ता है। इसी कारण ये हस्पताल खोलतें है कि दुखी मरीजों का धर्मान्तरण करवाएं, प्राकृतिक आपदाओं में सेवा के लिए नहीं धर्मान्तरण के लिए जलातें है जैसे कि नेपाल का भूकंप, भोपाल गैस कांड में टेरेसा का कलकत्ते से भोपाल जाना।
जब तक हिन्दू समाज खुशहाल है और सभी आपस मे मिल कर रह रहे हैं, हिंदुओं का धर्मान्तरण मुश्किल है। हिंदुओं में वर्गीकरण हो, आपस मे लड़े, और कलह के बाद हमारा संदेश सुना जाय इसी soul harvesting के चलते हिंदुओं में sc, st, obc की सरकारी पहचान बनाई गई। जितनी बार मंडल कमीशन वाले दंगे होंगे, भुक्तभोगी समाज मिशनिरियों के संदेश के लिए receptive होगा और धर्मान्तरण आसान होगा। दुर्भाग्य से सभी हिन्दू संगठन ईसाईयों की इस दूरगामी चाल को समझने में मंदबुद्धि साबित हुए।
जब तक हिन्दू समाज खुशहाल है और सभी आपस मे मिल कर रह रहे हैं, हिंदुओं का धर्मान्तरण मुश्किल है। हिंदुओं में वर्गीकरण हो, आपस मे लड़े, और कलह के बाद हमारा संदेश सुना जाय इसी soul harvesting के चलते हिंदुओं में sc, st, obc की सरकारी पहचान बनाई गई। जितनी बार मंडल कमीशन वाले दंगे होंगे, भुक्तभोगी समाज मिशनिरियों के संदेश के लिए receptive होगा और धर्मान्तरण आसान होगा। दुर्भाग्य से सभी हिन्दू संगठन ईसाईयों की इस दूरगामी चाल को समझने में मंदबुद्धि साबित हुए।
क्रिप्टो-क्रिस्चियन के बहुत से उदाहरण हैं पर सबसे रोचक उदाहरण जापान से है। मिशनिरियों का तथाकथित-संत ज़ेवियर जो भारत आया था वह 1550 में धर्मान्तरण के लिए जापान गया और उसने कई बौद्धों को ईसाई बनाया। 1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन(Shogun) ने ईसाई धर्म का प्रचार जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा समझा। शोगुन ने बल का प्रयोग किया और कई चर्चो को तोड़ा गया; जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ दी गईं; बाईबल समेत ईसाई धर्म की कई किताबें खुलेआम जलायीं गईं। जितने जापानियों ने ईसाई धर्म अपना लिया था उनको प्रताड़ित किया गया, उनकी बलपूर्वक बुद्ध धर्म मे घर वापसी कराई गई। जिन्होंने मना किया, उनके सर काट दिए गए। कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म मे घर वापसी का नाटक किया और क्रिप्टो-क्रिस्चियन बने रहे। जापान में इन क्रिप्टो-क्रिस्चियन को "काकूरे-क्रिस्चियन" कहा गया।
काकूरे-क्रिस्चियन ने बौद्धों के डर से ईसाई धर्म से संबधित कोई भी किताब रखनी बन्द कर दी। जीसस और मैरी की पूजा करने के लिए इन्होंने प्रार्थना बनायी जो सुनने में बौद्ध मंत्र लगती पर इसमें बाइबल के शब्द होते थे। ये ईसाई प्रार्थनाएँ काकूरे-क्रिस्चियनों ने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित करनी शुरू कर दी। जीसस और मैरी की मूर्तियां बुध्द जैसी दिखती थीं जिसे बौद्ध कभी नहीं समझ पाए कि वह बुद्ध की मूर्तियां नहीं हैं। 1550 से ले कर अगले 400 सालों तक काकूरे-क्रिस्चियन बुद्ध धर्म के छद्मावरण में रहे। 20वी शताब्दी में जब जापान औद्योगिकीकरण की तरफ बढ़ा, जापान की कई कंपनियों टोयोटा, हौंडा, सोनी इत्यादि ने दुनियाँ में अपने झंडे गाड़ने शुरू कर दिए और बौद्धों के धार्मिक कट्टरवाद में कमी आई तो इन काकूरे-क्रिस्चियन बौद्ध धर्म के मुखौटे से बाहर निकल अपनी ईसाई पहचान उजागर की।
भारत मे ऐसे बहुत से काकूरे-क्रिस्चियन हैं जो सेक्युलरवाद, वामपंथ और बौद्ध धर्म का मुखौटा पहन कर हमारे बीच हैं। भारत मे ईसाई आबादी आधिकारिक रूप से 2 करोड़ है और अचंभे की बात नहीं होगी अगर भारत मे 10 करोड़ ईसाई निकलें। अकेले पंजाब में अनुमानित ईसाई आबादी 10 प्रतिशत से ऊपर है। सिखों में बड़ा वर्ग क्रिप्टो-क्रिस्चियन है। सिख धर्म के छद्मावरण में रहते हुए पगड़ी पहनतें है, दाड़ी, कृपाण, कड़ा भी पहनतें हैं पर सिख धर्म को मानते हैं पर ये सभी गुप्त-ईसाई हैं। जब ये आपस मे मिलते हैं तो जय-मसीह बोलतें हैं।
बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियन आरक्षण लेने के लिए हिन्दू नाम रखे हैं। इनमें कइयों के नाम राम, कृष्ण, शिव, दुर्गा आदि भगवानों पर होतें है जिन्हें संघ के लोग भी सपने में गैर-हिन्दू नहीं समझ सकते जैसे कि विष्णु भगवान के नाम वाला पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन जिंदगी भर दलित बन के मलाई खाता रहा और जब मरने पर ईसाई धर्म के अनुसार दफनाने की प्रक्रिया देखी तो समझ मे आया कि ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन है।
देश मे ऐसे बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं जो हिन्दू नामों में हिन्दू धर्म पर हमला करके सिर्फ वेटिकन का एजेंडा बढ़ा रहें हैं।
हम रोजमर्रा की ज़िंदगी मे हर दिन क्रिप्टो-क्रिस्चियनों को देखते हैं पर उन्हें समझ नहीं पाते क्योंकि वे हिन्दू नामों के छद्मावरण में छुपे रहतें हैं। जैसे कि...
राम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेसी नेता अम्बिका सोनी क्रिप्टो-क्रिस्चियन है।
NDTV का अधिकतर स्टाफ क्रिप्टो-क्रिस्चियन है।
हिन्दू नामों वाले नक्सली जिन्होंने स्वामी लक्ष्मणानन्द को मारा, वे क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।
गौरी लंकेश, जो ब्राह्मणों को केरला से बाहर उठा कर फेंकने का चित्र अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लगाये थी, क्रिप्टो-क्रिस्चियन थी।
JNU में भारत के टुकड़े करने के नारे लगाने वाले और फिर उनके ऊपर भारत सरकार द्वारा कार्यवाही को ब्राह्मणवादी अत्याचार बताने वाले वामी नहीं, क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।
ब्राह्मणों के खिलाफ अभियान चला के हिन्दू धर्म पे हमला करने वाले सिख क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।
तमिलनाडु में द्रविड़ियन पहचान में छुप कर उत्तर भारतीयों पर हमला करने वाले क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।
जिस राज्य ने सबसे अधिक हिंदी गायक दिए उस राज्य बंगाल में हिंदी का विरोध करने वाले क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।
अंधश्रद्धा के नाम हिन्दू त्योहारों के खिलाफ एजेंडे चलाने वाला और बकरीद पर निर्दोष जानवरों की बलि और ईस्टर के दिन मरा हुआ आदमी जीसस जिंदा होने को अंधश्रध्दा न बोलने वाला दाभोलकर, क्रिप्टो-क्रिस्चियन था।
TV पर अक्सर बौद्ध स्कॉलर बन के आने वाला काँचा इलैया, क्रिप्टो-क्रिस्चियन है, पूरा नाम है काँचा इलैया शेफर्ड।
देवी दुर्गा के वेश्या बोलने वाला JNU का प्रोफेसर केदार मंडल और रात दिन फेसबुक पर ब्राह्मणों के खिलाफ बोलने वाले दिलीप मंडल, वामन मेश्राम क्रिप्टो-क्रिस्चियन।
महिषासुर को अपना पूर्वज बताने वाले जितेंद्र यादव और सुनील जनार्दन यादव जैसे कई यादव सरनेम में छुपे क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।
ब्राह्मण विरोधी वरिष्ठ राजनेता शरद यादव क्रिप्टो-क्रिस्चियन है। इसके घर पर जोशुआ प्रोजेक्ट सुनील सरदार, जॉन दयाल, चौथी राम यादव अक्सर आतें हैं।
NDTV पर पत्रकार के रूप में आने वाला गंजा अभय दुबे(CSDS) नाम से ब्राह्मण है पर क्रिप्टो-क्रिस्चियन है। ये भारत को अम्बेडकर के सपनों का भारत बनाना चाहता है।
हिन्दुओं का घोर विरोधी आशीष खेतान (आम आदमी पार्टी) क्रिप्टो-क्रिस्चियन है.
पिछले दिनों भीमा कोरेगांव पर जिग्नेश मेवानी ने सड़कों पर जातीय लड़ाई छेड़ने की बात की। ये दलित चिंतक नहीं, क्रिप्टो-क्रिस्चियन है।
अम्बेडकर की जाति महार कहने को बौद्ध है पर जब अफ़ग़ानिस्तान में बुद्ध प्रतिमा तोड़ी गई, लखनऊ में बुद्ध का मुसलमानो ने अपमान किया, इंडियन मुजाहिदीन में गया में बम विस्फोट किये तब इन्होंने रत्ती भर भी विरोध नहीं किया बल्कि उन्ही से गठबंधन बनातें है। लद्दाख को छोड़ कर भारत मे जितने लोग कहतें है कि वे बौद्ध है, वास्तव में वे क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं। वे बौद्ध इसलिए हैं ताकि हिन्दू नामों में आसानी हिन्दू धर्म पर आसानी से हमला करते रहें जो कि मुस्लिम नामों या ईसाई नामों से संभव नहीं होता।
मुसलमान की हिंसा, हरी घास में काले सांप की तरह है मने आपको इस्लामिक हिंसा साफ नजर आएगी पर क्रिप्टो-क्रिश्चियन्स हिंसा हरी घास में हरे सांप की तरह है जिसमे ईसाई पहचान नज़र नहीं आएगी बल्कि स्थानीय छद्मावरण होगा जैसे भीम आर्मी द्वारा सहारनपुर में हिंसा चमार जाति के छद्मावरण में है; नक्सली हिंसा आदिवासी पहचान के छद्मावरण में है। LTTE आतंकी संगठन का मुखिया प्रभाकरन भी क्रिप्टो-क्रिस्चियन था जो तमिल पहचान में छुपा हुआ था। इसलिए ये मिथक गलत है कि क्रिप्टो-क्रिस्चियन हिंसा नहीं कर सकते। दलित पहचान में छुपे क्रिप्टो-क्रिश्चियन्स द्वारा भीमा कोरेगांव का महिमामंडन, देश मे एक बड़ी हिंसा करने की योजना का हिस्सा है।
अगर एक लाइन में समझना है कि क्रिप्टो-क्रिस्चियन को कैसे पहचाने तो उत्तर है जो ब्राह्मणों को गालियां दी, ब्राह्मणवाद, मनुवाद जैसे शब्द इस्तेमाल करे और हिंदुओं में जातीय तनाव पैदा करवाये, वह क्रिप्टो-क्रिस्चियन है।
हिन्दू सबसे बड़ी गलती तब करतें है जब इन क्रिप्टो-क्रिश्चियन्स को वामी, कम्युनिस्ट, मार्क्सिस्ट, सेक्युलरवादी बोलतें है। आप वामपंथ पर हमला करोगे तो ये मंद मंद मुस्करायेंगे क्योंकि ये इनकी असलियत नहीं। आप इन्हें खुले आम इनकी पहचान क्रिप्टो-क्रिस्चियन उजागर कीजिये, देखिए इनको महसूस होगा कि इनके सीने में भाला घुसेड़ दिया किसी ने।
जब किसी के लिवर में समस्या होती है तो उसकी त्वचा में खुजली, जी मचलाना और आंखों पीलापन आ जाता है पर ये सब सिर्फ symptoms हैं इनकी दवा करने से मूल समस्या हल नहीं होगी। अगर लिवर की समस्या को हल कर लिया तो ये symptoms अपने आप गायब हो जाएंगे।
बिना विश्लेषण के देखेंगे तो हिंदुओं के लिए तमाम समस्याएं दिखेंगी वामी, कांग्रेस, खालिस्तानी, नक्सली, दलित आंदोलन, JNU इत्यादि है, रोहित वेमुला, ऊना, भीमा कोरेगांव पर ये सब समस्याएं symptoms मात्र हैं जिसका मूल है क्रिप्टो-क्रिस्चियन।
No comments:
Post a Comment