देश बचाना है तो...अगर आज चुप रह गए तो हमेशा के लिए मूक दर्शक बन जाओगे ....
अनिल कपूर की फ़िल्म "नायक" का एक दृश्य है जिसमें ज़रा सी बात का बतंगड़ बनाकर दंगे भड़का दिए जाते हैं। सैकड़ों वाहन जला दिये जाते हैं, लोगों को मार दिया जाता है, दुकानों में तोड़फोड़, लूटपाट आगजनी की जाती है। इस सबको रोकने के लिए पुलिस कमिश्नर मुख्यमंत्री अमरीश पुरी से गोलीबारी की अनुमति माँगते हैं लेकिन मुख्यमंत्री दंगों को जारी रहने और जवाबी गोलीबारी नहीं करने का आदेश देते हैं।
अनिल कपूर की फ़िल्म "नायक" का एक दृश्य है जिसमें ज़रा सी बात का बतंगड़ बनाकर दंगे भड़का दिए जाते हैं। सैकड़ों वाहन जला दिये जाते हैं, लोगों को मार दिया जाता है, दुकानों में तोड़फोड़, लूटपाट आगजनी की जाती है। इस सबको रोकने के लिए पुलिस कमिश्नर मुख्यमंत्री अमरीश पुरी से गोलीबारी की अनुमति माँगते हैं लेकिन मुख्यमंत्री दंगों को जारी रहने और जवाबी गोलीबारी नहीं करने का आदेश देते हैं।
ज़ाहिर है ऐसे दृश्य वास्तविक जीवन के अनुभव से ही बनाये जाते हैं। बाक़ायदा गुंडों की टोली इन दंगों को भड़काने का काम करती है। एक एक कर कई चुनाव हार चुकी कांग्रेस अब अपने इसी असली रंग में आ गई है। कांग्रेस को हर कीमत पर सत्ता चाहिए बिना सत्ता के कांग्रेस तड़प रही है। ये उसके लिए जीवन मरण की लड़ाई हो चुकी है। जिस रफ्तार से मोदी सरकार विकास के पहियों को घुमा रही है, जिस तरह देशविरोधी ताकतों को कुचला जा रहा है, जिस तरह देश भर में युद्ध स्तर पर सड़कों और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों का निर्माण हो रहा है, जिस तरह विदेशों में भारत की छवि एक मजबूत राष्ट्र की बनती जा रही है, जिस तरह कश्मीर में आतंकियों का सफाया किया जा रहा है, जिस तरह पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर बार बार मारा जा रहा है, इस सबसे कांग्रेस बुरी तरह बौखला गई है। उसे समझ आ गया है कि अब देश में राष्ट्रवादी सरकार है और अगर 2019 का चुनाव हार गए तो बहुत लंबे समय तक उसे सत्ता से बाहर रहना पड़ेगा।
पिछले साढ़े तीन वर्षों में देश में आतंकी हमले सिर्फ सुरक्षा बलों, कश्मीर तक ही सीमित रह गए हैं। देश के आम नागरिकों की जान माल को कोई नुकसान नहीं हुआ है। जबकि कांग्रेस राज में देश के अनेक शहरों में कई बार आतंकी हमले होते ही रहते थे। राहुल गाँधी ने एक बार कहा भी था कि देश में आतंकी हमलों को रोकना मुश्किल है और ये होते रहेंगे।
तो क्या इसे ये नहीं समझा जाना चाहिए कि देश में आतंकी हमलों की ज़मीन कांग्रेस ही तैयार करती थी, कांग्रेस ही देश में आतंकी हमले करवाती थी। 26/11 जैसा हमला बिना सरकारी मदद के सम्भव ही नहीं था और तब केंद्र और महाराष्ट्र दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार थी। चूँकि कांग्रेस अब आतंकी हमले नहीं करवा पा रही तो उसने देश में जातीय हिंसा को बढ़ाने और फैलाने का काम शुरू कर दिया है। पहली बार 2014 में एकजुट हुए हिंदुओं को जातिवाद की आग में झुलसाने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस को हर हाल में सत्ता चाहिए और उसके लिए वो कुछ भी करेगी, लूटपाट करेगी, आगजनी करेगी, लोगों की हत्याएँ करेगी। इसका दोष भाजपा और संघ पर मढ़ेगी और खुद को राष्ट्रभक्त (?) दिखाएगी।
आजतक ऐसे जाने कितने ही अनगिनत दंगों में कांग्रेस लाखों लोगों की जानें ले चुकी है, लाखों करोड़ की निजी और सरकारी संपत्तियों का नुकसान कर चुकी है। गुजरात चुनाव के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस अब और भी ताक़त से अपने इन खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने की फ़िराक़ में है। कभी सिर्फ मुसलमानों की मिज़ाज़पुर्सी करने वाली कांग्रेस किसी बहुरूपिये की तरह कभी जनेऊधारी हिन्दू तो कभी दलितों की हितैषी बन रही है।
हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवाणी, उमर ख़ालिद, केजरीवाल जैसे देशद्रोहियों, जातिवाद के ज़हर बोने वालों को साथ मिला लिया है। इनको पाल पोसकर बड़ा कर रही है।
कांग्रेस के इस खेल को समझिये, आपस में लड़ने की बजाय एकजुट रहिये, सरकार अपना काम कर रही है और आगे भी करेगी, मोदी कांग्रेस की रग रग से वाकिफ़ हैं और वो सही समय पर उचित कार्रवाई करेंगे, अपने नेता पर विश्वास रखिये, मजबूती के साथ डटे रहिये, ये वक़्त अंपायर बनकर सही ग़लत के फैसले करने का नहीं बल्कि कट्टर समर्थक बनकर खड़े रहने का है। दुश्मन जाल फैला रहा है हर काम सरकार नहीं करेगी हमारी भी ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी कर्मठ सरकार और नेता को मजबूती दें उन पर भरोसा रखें।
2019 का बिगुल बज चुका है, पहले से ज़्यादा आक्रामक, सतर्क और सकारात्मक बने रहने की ज़रूरत है, हमारे लिए,हमारे देश के लिए हमारे बच्चों के लिए और आने वाली पीढ़ी के लिए।
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