ग्रांड ट्रंक रोड बहुत प्राचीन मार्ग था। जिसे 'उत्तरापथ' कहा जाता था।
ये पेशावर से आगे भी "खैबर दर्रे" तक जाता था। सम्भवतः इसका निर्माण "सम्राट अशोक" ने करवाया।
शेरशाह सूरी, ने सिर्फ अपना "ठप्पा" लगाया और अंग्रेजों ने मरम्मत के नाम पर 'ग्रांड ट्रंक रोड' का नामकरण किया।
जीटी रोड(ग्रांड ट्रंक)रोड भारत का सबसे बड़ा सड़क मार्ग है। जो कलकत्ता को पेशावर(अब पाकिस्तान) से जोड़ता है।
सामान्य ज्ञान में अक्सर ये पढ़ाया जाता कि इसका निर्माण दिल्ली के "अफगान शासक शेरशाह सूरी" ने कराया।
एक नजर डालते हैं...सूरी के राज्यकाल के 5वर्षों पर और फिर समझने का प्रयास करें,
●शेरशाह सूरी ने 1540 ई0में हुमायूं को बिलग्राम के युद्ध मे हराकर 68साल की आयु में दिल्ली का बादशाह बना। गद्दीनशीन होने के बाद वो "हुमायूं" का पीछा करते हुए अपने बेटे खवास की सहायता के लिए पंजाब तक गया।
●उसके बाद "सिंधु नदी" के किनारे की एक कबीलाई लड़ाकू जाति गक्खड़ों से युद्ध में उलझा रहा।
●1541ई0 में "खिज्रखान" ने बंगाल में विद्रोह कर दिया! उसे दबाने के लिए वो "कई महीने" बंगाल में रहा।
●1541 में मालवा के शासक 'कादिर खान' के साथ युद्ध करके, मालवा को अपने साम्राज्य में मिलाया।
●1541 में ही "कालपी का युद्ध" जिसमें उसका पुत्र "कूवत खान" मारा गया। "कूवत खान" की मौत के प्रतिशोध लिए कालपी का अभियान किया।
●1542 के आखिरी महीनों में, "रायसिन" पर हमला; 8महीने रायसिन दुर्ग का घेरा डाला।। अंत में न जीत पाने की स्थिति में दुर्ग के "राजा पूरनमल" से समझौता करके उन्हें धोखे से मार दिया।
●रायसिन, कब्जाने के बाद रणथम्भौर के शासक "उस्मान खान" पर चढ़ाई।
●1543 में "मुल्तान के विद्रोह" को दबाने के लिए हैव्वत खान को भेजा।
●1544 में मारवाड़ के "राजा मालदेव" पर आक्रमण डेढ़ माह तक मारवाड़ का घेरा डालने के बाद छल से मारवाड़ पर कब्जा।
●1544ई0 में शेरशाह ने "चित्तौड़" पर आक्रमण किया और चित्तौड़ को कब्जे लिया।
●1544ई0 में ही आमेर पर कब्जा।
●1545ई0 में "कालिंजर" पर हमला भीषण युद्ध में कालिंजर तो विजय हुई, पर तोप फट जाने से बुरी तरह झुलस गया। जिस दिन कालिंजर पर विजय मिली, उसी दिन 22अप्रेल 1545 को मर गया। ☠️
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अब बताओ,
उसे कलकत्ता से पेशावर तक, लगभग 2300किमी लम्बी सड़क का निर्माण कराने का समय कहाँ मिला?
ग्रांड ट्रंक रोड बहुत प्राचीन मार्ग था। जिसे 'उत्तरापथ' कहा जाता था।
ये पेशावर से आगे भी "खैबर दर्रे" तक जाता था। सम्भवतः इसका निर्माण "सम्राट अशोक" ने करवाया।
शेरशाह सूरी, ने सिर्फ अपना "ठप्पा" लगाया और अंग्रेजों ने मरम्मत के नाम पर 'ग्रांड ट्रंक रोड' का नामकरण किया।
शेरशाह 1545 में कालिंजर में जल कर मरा। उसके बाद उसका लड़का हाकिम खान सूर पहले हेमचन्द्र की सेना में पानीपत मे तथा उसके बाद राणा प्रताप सिंह के सेनापति के रूप में लड़ कर मारा गया।
सासाराम में उसका मकबरा किसने और कैसे बनवाया। वस्तुतः यह परशुराम का जल के भीतर अष्टकोण मन्दिर था। इसके नाम पर इस नगर को सहस्रराम (सहस्रार्जुन को मारने वाले राम) कहते थे जिससे यह सासाराम हो गया है। वस्तुतः यह परशुराम जन्मभूमि मन्दिर था जिस को राम और कृष्ण जन्मभूमि मन्दिर की तरह कब्जा कर भ्रष्ट किया गया है।
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वो भूखा है साहेब
बाँसकरिल खाता है।
बाँसकरिल खाता है।
बाँस के कोअले sprout का अचार , सब्जी बनती है, इसे उबालकर या भूनकर भी खाया जाता है। वर्षा ऋतु में बाँस में नयी कोपल, नये पोर आते हैं तब यह बहुत नर्म होते हैं और पकाने में आसान ।
भारत में अन्न की कमी हो जाती है, भूख से मरने के समाचार भी आ जाते हैं, किसी बड़े नेता ने कहा था कि भारतीय खाते बहुत हैं इस कारण खाद्यान्न घट जाता है।
भारत सरकार ने छः सौ करोड़ लोगों का पेट भरने की योजना बनाई है, बजट में बारह सौ करोड़ रुपये का आबंटन है।
अब बाँस की खेती होगी, इससे भुखमरी भी समाप्त होगी तथा बाँस से बनी अन्य वस्तुओं का निर्यात कर बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी । देश में रोजगार बढ़ेगा।
भारत में अन्न की कमी हो जाती है, भूख से मरने के समाचार भी आ जाते हैं, किसी बड़े नेता ने कहा था कि भारतीय खाते बहुत हैं इस कारण खाद्यान्न घट जाता है।
भारत सरकार ने छः सौ करोड़ लोगों का पेट भरने की योजना बनाई है, बजट में बारह सौ करोड़ रुपये का आबंटन है।
अब बाँस की खेती होगी, इससे भुखमरी भी समाप्त होगी तथा बाँस से बनी अन्य वस्तुओं का निर्यात कर बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी । देश में रोजगार बढ़ेगा।
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