आपको अंदाजा ही नहीं है आपका पाला किन लोगों से पड़ा है... 2019 में गर यह हारे तो नेस्तनाबूद हो जायेंगे... उस हार को रोकने के लिये यह हर चीज करेंगे...इतने नीचे गिरेंगे जिसका अंदाजा मुमकिन नहीं.. 2018 देश के लिये बहुत निर्णायक होने वाला है... सामने वाला आपसे ज्यादा तैयारी से उतरा है... बल्कि वह आपसे आगे चल रहा है... पंजाब में वह सरकार बना चुका है... राजस्थान में हालात हम खुद की ही गलतीयों से खराब कर बैठे हैं... गुजरात हारते हारते बचे हैं... जिग्नेश..अल्पेश...हार्दिक ने वहाँ मोर्चा सँभाल रखा है...
मध्य प्रदेश फिलहाल तो सेफ नजर आ रहा है.. छत्तिसगढ में भी बड़े परिवर्तन की उम्मीद नहीं है.. लेकिन महाराष्ट्र में चारों पार्टीयाँ (NCP,BJP,Shiv sena, BJP) सब मजबूत हैं। बल्कि इनमें से भाजपा ही है जिसके पास कोर वोटर नहीं है... बाकी तीनों के पास उसके बँधुआ वोटर हैं..यहाँ अकेले किसी की औकात नहीं है सरकार बना ले...और जैसे हालात आज हैं ... कुछ नहीं कहा जा सकता कि अगला चुनाव कौन किसके साथ मिलकर लड़ेगा..... कर्नाटक मुझे नहीं लग रहा भाजपा के लिये जितना आसान होगा... बाकी के साउथ के चार राज्यों से भी भाजपा के लिये कुछ खास उम्मीद नहीं है...हाँ पर वहाँ की मजबूत पार्टीयाँ भाजपा के साथ ही गठबंधन में ही रहेगी....
बंगाल में सीटें चार भी शायद ही आये... उत्तर प्रदेश में गर काँग्रेस+सपा+बसपा हुआ तो मामला 50-50 हो जायेगा...बिहार में नितीश जिसके साथ है उसे कोई नहीं हरा सकता... वहाँ भाजपा मजबूत है.. झारखंड से भी उम्मीद कम है...उड़ीसा में पटनायक पहले जितना ही मजबूत है... वहाँ निकाय चुनावों में जीत से कुछ उम्मीदें बँधी है... बाकी पुर्वोत्तर राज्यों में असम को छोड़ दिया जाये तो बाकी राज्यों में मामला गर 50-50 भी समझें तो भी वहाँ से मिला सीटों से हार जीत पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
दिल्ली भाजपा की है... वहाँ नहीं हारेगी... हरियाणा में खट्टर साहब संभाल नहीं पाये.... फिर भी मामला काँटे की टक्कर वाला ही होगा... कश्मीर में महबूबा का सुपड़ा साफ है...जम्मू में जितनी सीटें आ जाये उतनी ठीक है... पहाड़ी राज्यों में भाजपा मजबूत है। कहने का मतलब यह है कि इस बार भाजपा बनाम संपूर्ण विपक्ष होने जा रहा है... उपर से मुसलमान वोट बंधुआ वोटर है उनका... हाँ तीन तलाक से कुछ सेंध लगी है... लेकिन उससे कुछ अंतर नहीं आयेगा... दलितों को भी वैसे ही बँधुआ मजदूर बनाने की तैयारी पुरी हो चुकी है... बाकी जाटों....मराठों....पटेलों.... जैसी तमाम जातीयों को भी कांग्रेस ने बखुबी बीजेपी के खिलाफ भड़काने की कोशिश की ही है....
उपर से मार्केटींग के जरीये राहुल की इमेज भी सुधारी है... पप्पू से चतुर बनाने की कोशिश की ही है...रविश जैसे धुरंधर ...तथा सैंकड़ों पेड बेबसाईट हर वर्ग को भड़का ही रहे हैं... ना पैसों की कमी है ना शातिर गुर्गों की...
मतलब मामला 2014 जितना आसान नहीं है.... वैसे मुझे पुरी उम्मीद है कि अमित शाह और मोदी की जोड़ी तथा भाजपा का थिंक टैंक इससे लड़ने में सक्षम है... हम लोगों को भी सारे आपसी मतभेद तथा निजी स्वार्थ को भुला मोदी जी के साथ खड़े रहना है... एक बार और काँग्रेस को हराना बहुत जरूरी है.... इसलिये एकजुट हो कर.. हर वर्ग को साथ लेकर ...सबको जोड़ते हुये एक दफा फिर काँग्रेस पर जोरदार हमला करना है....। तैयारी रखीये।
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महाराष्ट्र , पुणे में हुए दंगों के निर्माता है , यह दोनों गद्दार देशद्रोही उमर खालिद और जातीवादी जिग्नेश मेवानी ....
* एल्गार परिषद रैली के नाम पर सभी देशद्रोही एक मंच पर जमा हुए थे जिसका सभी राष्ट्रवादी संगठन संविधानीक तरीके से विरोध कर रहे थे ... फिर भी वह रैली हुई , जिसमे इन्होने खूब जहर उगला
* सुनियोजित तरीके से सब देशद्रोहीयों को एक जगह पर बुलाया गया ... रैली स्थल भी जानबूझकर " शनिवारवाङा " चुना गया
* जातीवाचक फ्लेक्स बैनर लगाएं गए , जिससे मराठा समाज क्रोधित हुआ .
* अंग्रेज × मराठा साम्राज्य की तीसरी लढाई में अंग्रेजों के विजय हुई थी और उसको 200 साल पुरे होने पर .... जश्न मनाने के लिए " नव बौद्ध " लोगों ने पुणे से 30 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय महामार्ग पर बसें गांव भीमा कोरेगांव में जमा हुए थे
* जहां अंग्रेजों ने स्मारक बनाया था जिस स्मारक पर सभी अंग्रेज सैनिकों के नाम है
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*हिन्दू नाम रखे यह शत्रु ही है।* 😡🚩👇
*महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ बहुत दुखद है।यह हिन्दुओ को आपसी लड़ाई में झोंक देने की साजिश है।वैसे वहां सब विधर्मी ही थे,हिन्दू नामधारी क्रिप्टो-इस्लामी।अधिकतर कांग्रेस के नेताओं द्वारा प्रशिक्षित मुस्लिम थे या इसाई लोग थे जो महार की वेशभूषा में आए थे। वह चाहते थे कि जातीय संघर्ष शुरू हो। यह साजिश पिछले 3 महीने से चल रही थी। गुजरात के बाद वह पूरी तरह से महाराष्ट्र पर ध्यान केंद्रित किए हैं।आपको हरियाणा जाट आंदोलन याद होगा।गुजर आंदोलन भी।उससे पहले यूपी में भड़काने की कोशिश की गई। कुछ दिनों पहले दिल्ली में भी ऐसा ही एक प्रयास किया गया। साउथ के कुछ क्षेत्रों में भी यह हो सकता है।इस सब के पीछे सधे काँग्रेसिययो का हाथ है मुस्लिम, ईसाइयो का तो साथ मिल ही जाता है।उन्हें किसी भी तरह हिन्दुओ को विभाजित करके ही रखना होता है। आगे कुछ दिनों में आप राजस्थान में देखेंगे। उसके बाद हरियाणा में फिर यह तत्काल यूपी में कोशिश करेंगे कि किसी तरह जातीय संघर्ष शुरू हो।यहां भी कुछ लोग सोशल मीडिया पर भी इस तरह की बातें शुरू किए हैं। मेने जब उनकी प्रोफाइल का अध्ययन किया तो सब कांग्रेस के नेता या एक कंपनी के पोषित मैनेजर है जो 500 से लेकर 1000 प्रोफाइल बना-बना कर दिनभर यही कर रहे हैं।सवर्ण और अवर्ण करवाने की कोशिश भी।कुछ चूतिये फंस भी जाते है और अनाप-शनाप लिखना शुरू कर देते है।*
*हमें हर क्षण बचने-जागृत करने का प्रयत्न करना चाहिए।जानकारी ही बचत्व है संघठन में शक्ति है।हम सभी को चुप नही रहना चाहिए। इस पर जमकर कुछ ना कुछ लिखते रहना चाहिए। इसके विरोध में आसपास सक्रिय रुप से कुछ न कुछ करना चाहिए। क्रिप्टो इस्लामिक समूहों का तत्काल खंडन होना चाहिए।उनके नाम, मजहब या रिलीजन को डिक्लेअर करना चाहिए।जनता को यह पता होना चाहिए कि इसके असल साजिशकर्ता कौन है। जितना ही सब लोगों को यह बताएंगे,जितना अवेयरनेस फैलाएंगे,उतना ही हम सुरक्षित हैं।*
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दलित प्रदर्शन में पाकिस्तान का इस्लामी झंडा क्यों ...?
इस धोखे से बचने के लिए जरूरी है लोग तथ्यों और पैटर्न को समझें। "
पाकिस्तान चाहता है कि मोदी को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस और उसके समर्थक हिन्दुस्तान के हिन्दू समाज को आपस में लड़ा के उनको जातियों में बाँट दे ....मोदी सरकार आने के बाद देश भर में जितने भी दलित आन्दोलन हुए उन सभी आंदोलनों या हिंसक प्रदर्शनों में बैक डोर से या अपरोक्ष रूप से मुसलमानों की भागीदारी सामने आती रही है ...........
.मीडिया और विरोधी नेता देश को बताते रहे है की ये आन्दोलन दलित समाज के है ...लेकिन इन आंदोलनों को खाद पानी कांग्रेस , उसके साथी तथा मुसलमान देते रहे है , .
४०वें अमेरिकी अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने कहा था "वामपंथी और फासिस्ट एक ही हैं। वो जिस विचारधारा या विषय का विरोध का ढोंग करेंगे असल में उसी को आगे बढ़ाने के लिए करेंगे। क्या आप किसी के कहने पर उसकी बात मान लेंगे, आँख बंद कर उनका साथ देंगे? जरूर मान लेंगे अगर आपको लगेगा वो आपका अपना है। यहीं वामपंथी करते हैं, वो केवल आपका "अपना" बनने की जरूरी मनोविज्ञान को पूरा रखेंगे।
इस धोखे से बचने के लिए जरूरी है लोग तथ्यों और पैटर्न को समझें। "
अब उदाहरण देखिये
राहुल गाँधी ने ट्वीट किया है "आरएसएस दलितों को समाज में नीचे पायदान पर रखना चाहता है"
अब कांग्रेस पर इससे सम्बंधित तथ्य और पैटर्न देखिये। आपको सब कुछ वहीँ मिलेगा जिसके विरोध का ढोंग कांग्रेस कर रही है। कांग्रेस का हर प्रयास दलितों को मुख्यधारा से अलग कर देना, उनमें दूसरों के प्रति सनक और नफरत पैदा कर देना, विवेक को भावनाओं के नीचे दबा देना ..कुल मिलकर आईसोलेट (अलग-थलग) कर देना और क्रिटिकल थिंकिंग (गहन विचार) के सारे पोर ब्लॉक कर देना। ऐसे में दलितों की स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है जबकि समाज के दूसरे हिस्से बौद्धिक स्वतंत्रता के साथ प्रगति कर रहे हैं।
दलित प्रदर्शन में पाकिस्तान का इस्लामी झंडा क्यों ...?
इस धोखे से बचने के लिए जरूरी है लोग तथ्यों और पैटर्न को समझें। "
पाकिस्तान चाहता है कि मोदी को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस और उसके समर्थक हिन्दुस्तान के हिन्दू समाज को आपस में लड़ा के उनको जातियों में बाँट दे ....मोदी सरकार आने के बाद देश भर में जितने भी दलित आन्दोलन हुए उन सभी आंदोलनों या हिंसक प्रदर्शनों में बैक डोर से या अपरोक्ष रूप से मुसलमानों की भागीदारी सामने आती रही है ...........
.मीडिया और विरोधी नेता देश को बताते रहे है की ये आन्दोलन दलित समाज के है ...लेकिन इन आंदोलनों को खाद पानी कांग्रेस , उसके साथी तथा मुसलमान देते रहे है , .
४०वें अमेरिकी अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने कहा था "वामपंथी और फासिस्ट एक ही हैं। वो जिस विचारधारा या विषय का विरोध का ढोंग करेंगे असल में उसी को आगे बढ़ाने के लिए करेंगे। क्या आप किसी के कहने पर उसकी बात मान लेंगे, आँख बंद कर उनका साथ देंगे? जरूर मान लेंगे अगर आपको लगेगा वो आपका अपना है। यहीं वामपंथी करते हैं, वो केवल आपका "अपना" बनने की जरूरी मनोविज्ञान को पूरा रखेंगे।
इस धोखे से बचने के लिए जरूरी है लोग तथ्यों और पैटर्न को समझें। "
अब उदाहरण देखिये
राहुल गाँधी ने ट्वीट किया है "आरएसएस दलितों को समाज में नीचे पायदान पर रखना चाहता है"
अब कांग्रेस पर इससे सम्बंधित तथ्य और पैटर्न देखिये। आपको सब कुछ वहीँ मिलेगा जिसके विरोध का ढोंग कांग्रेस कर रही है। कांग्रेस का हर प्रयास दलितों को मुख्यधारा से अलग कर देना, उनमें दूसरों के प्रति सनक और नफरत पैदा कर देना, विवेक को भावनाओं के नीचे दबा देना ..कुल मिलकर आईसोलेट (अलग-थलग) कर देना और क्रिटिकल थिंकिंग (गहन विचार) के सारे पोर ब्लॉक कर देना। ऐसे में दलितों की स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है जबकि समाज के दूसरे हिस्से बौद्धिक स्वतंत्रता के साथ प्रगति कर रहे हैं।
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