उज्जैन के महाकालमंदिर असल में एक ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर की खास विशेषता यह है कि यह मंदिर एकमात्र दक्षिणमुखी मंदिर है। यही कारण है कि यह मंदिर तंत्र साधना के लिए विश्व में मुख्य माना जाता है। इस मंदिर की तीसरी मंजिल पर एक और मंदिर स्थित है, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इस मंदिर का नाम “नागचंद्रेश्वर मंदिर” है। यह मंदिर नागराज तक्षक का मंदिर है और माना जाता है वह स्वयं यहां निवास करते हैं। नागचंद्रेश्वर नामक इस मंदिर को वर्ष में सिर्फ एक बार मात्र नागपंचमी के अवसर पर खोला जाता है, अन्यथा यह मंदिर सालभर बंद ही रहता है।
इस मंदिर के वर्ष भर में एक बार खोले जाने के पीछे मान्यता है कि भगवान शिव की कठोर तपस्या कर नागराज तक्षक ने उनसे अमरत्व का वर मांगा था और साथ में भगवान शिव का सानिध्य भी। नागराज तक्षक यह भी चाहते थे कि उनके एकांत को कोई भंग न करें, इसलिए ही उनके इस मंदिर को वर्ष में एक ही बार खोला जाता है। आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि नागचंद्रेश्वर मंदिर की सभी व्यवस्था “महानिर्वाणी अखाड़े” के संयासी लोग ही देखते हैं। इस मंदिर के पट नागपंचमी से एक दिन पहले रात को 12 बजे खोल दिए जाते हैं तथा अगले दिन रात 12 बजे बंद कर दिए जाते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर में जो प्रतिमा है, वह भी अपने में अनोखी है। इस प्रतिमा में शेषनाग की शैय्या पर भगवान शिव, देवी पार्वती तथा भगवान गणेश बैठे हुए हैं। इस प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह 11 वीं सदी में नेपाल से आई थी। इस प्रकार से नागचंद्रेश्वर मंदिर अपने आप में अनोखा है और वर्ष भर में सिर्फ एक बार ही भक्त यहां दर्शन करते हैं।
Byshrikant vishnoi July 28, 2017 wahgazab.com के अनुसार << सूर्य की किरण >>
इस मंदिर के वर्ष भर में एक बार खोले जाने के पीछे मान्यता है कि भगवान शिव की कठोर तपस्या कर नागराज तक्षक ने उनसे अमरत्व का वर मांगा था और साथ में भगवान शिव का सानिध्य भी। नागराज तक्षक यह भी चाहते थे कि उनके एकांत को कोई भंग न करें, इसलिए ही उनके इस मंदिर को वर्ष में एक ही बार खोला जाता है। आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि नागचंद्रेश्वर मंदिर की सभी व्यवस्था “महानिर्वाणी अखाड़े” के संयासी लोग ही देखते हैं। इस मंदिर के पट नागपंचमी से एक दिन पहले रात को 12 बजे खोल दिए जाते हैं तथा अगले दिन रात 12 बजे बंद कर दिए जाते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर में जो प्रतिमा है, वह भी अपने में अनोखी है। इस प्रतिमा में शेषनाग की शैय्या पर भगवान शिव, देवी पार्वती तथा भगवान गणेश बैठे हुए हैं। इस प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह 11 वीं सदी में नेपाल से आई थी। इस प्रकार से नागचंद्रेश्वर मंदिर अपने आप में अनोखा है और वर्ष भर में सिर्फ एक बार ही भक्त यहां दर्शन करते हैं।
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