Friday, 13 July 2018

श्री राम चन्द्र जी ने बन्दरो और भालुओ की सेना बनाकर रावण पर विजय प्राप्त की थी जिसे इस देश के सेकुलर कपोल कल्पित कहते है. लेकिन उसी रामायण का अध्ययन कर योरोप के देशो ने दूसरे विश्व युद्ध में चौपायो और पक्षियों की सेना बनाई थी और दुश्मन देशो को छकाया था..दूसरे विश्व युद्ध में 6 जून 1944 को कबूतरो ने "गठबंधन सेना' की नॉर्मैंडी में लैंडिंग की अच्छी खबर लाए थे.
कबूतरों की तरह सेना में चमगादड़, मधुमक्खी, चिड़िया या डॉल्फिन बहुत सारे जानवरों का सेना में इस्तेमाल किया गया:
**युद्ध में कबूतर का उपयोग संदेशों के आदान प्रदान और उनके गले मे कैमरा बांध कर दुश्मन क्षेत्र की फोटोग्राफी करने के लिए..
**डॉल्फिन का उपयोग दुश्मन के गोताखोरों और पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए..
**मधुमक्खी का उपयोग बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए
**चूहों का उपयोग बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए..
***चमगादड़ के। झुंडों का उपयोग बम बरसाने के लिए
बिल्ली का उपयोग दुश्मन देश के रक्षा मन्त्रालयो, विदेश मन्त्रालयो, पीएम हाउस , राष्ट्रपति हाउस में खुपिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए. इस काम के लिये बिल्ली के गले या पैर में छोटे माइक्रोफोन इत्यादि बांध कर उन्हें इन भवनों में छोड़ दिया जाता था.
लेकिन सभी युद्धों में इंसान के सबसे अच्छे दोस्त कुत्ते ही सिद्ध हुए. इनको बारुदी सुरंग सूंघने और बम धमाकों में घायल लोगों को ढूंढने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. वियतनाम में अमेरिका ने चार हजार कुत्ते इस्तेमाल किए, इनमें अधिकतर लैब्रेडोर और जर्मन शेफर्ड प्रजाति के थे.
तत्कालीन सोवियत संघ जर्मन टैंको को उड़ाने के उनकी पीठ पर विस्फोटक बांध कर टैंको के नीचे जाने के लिए उन्हें छोड़ देते थे.
**युद्ध मे प्रयोग किये ऐसे ही जानवरो की याद में एक मेमोरीयल ब्रिटेन में बंनाया गया है.

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