Wednesday, 11 July 2018

भगवान शिव से जुड़े
कुछ रोचक तथ्य :-

भगवान शिव का कोई माता-पिता नही है ! उन्हें अनादि माना गया है ! मतलब, जो हमेशा से था ! जिसके जन्म की कोई तिथि नही !
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कथक, भरत नाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है, उसे नटराज कहते है !
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किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती ! लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है !
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शंकर भगवान की एक बहन भी थी अमावरी ! जिसे माता पार्वती की जिद्द पर खुद महादेव ने अपनी माया से बनाया था !
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भगवान शिव और माता पार्वती का १ ही पुत्र था ! जिसका नाम था ! कार्तिकेय..
(गणेश भगवान तो मां पार्वती ने अपने उबटन शरीर पर लगे लेप) से बनाए थे !
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भगवान शिव ने गणेश जी का सिर इसलिए काटा था ! क्यो किं गणेश ने शिव को पार्वती से मिलने नही दिया
था ! उनकी मां पार्वती ने ऐसा करने के लिए बोला था !
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भोले बाबा ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए चौदह बार डमरू बजाया था ! जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था !
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शंकर भगवान पर कभी भी केतकी का फुल नही चढ़ाया जाता ! क्यों कि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बना था !
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शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है ! लेकिन इसके लिए भी एक ख़ास सावधानी बरतनी पड़ती है, कि बिना जल के, बेलपत्र नही चढ़ाया जा सकता !
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शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता ! क्यो किं शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था !* आपको बता दें, शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था !
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भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है ! उसका नाम है वासुकि है ! यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था ! भगवान शिव ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था !
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चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है !
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नंदी, जो शंकर भगवान का वाहन और उसके सभी शिव-गणों में सबसे ऊपर भी है ! वह असल में शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था !
जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था !
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गंगा भगवान शिव के सिर से क्यों बहती है ? देवी गंगा को जब धरती पर उतारने की सोची तो एक समस्या आई कि इनके वेग से तो भारी विनाश हो जाएगा ! तब शंकर भगवान को मनाया गया कि, पहले गंगा को अपनी ज़टाओं में बाँध लें, फिर अलग-अलग दिशाओं से धीरें-धीरें उन्हें धरती पर उतारें !
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शंकर भगवान का शरीर नीला इसलिए पड़ा क्यों कि उन्होने हलाहल जहर पी लिया था ! दरअसल, समुंद्र मंथन के समय १४ चीजें निकली थी !
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१३ चीजें तो असुरों और देवताओं ने आधी-आधी बाँट ली लेकिन हलाहल नाम का विष लेने को कोई तैयार नही था ! ये विष बहुत ही घातक था ! इसकी एक बूँद भी धरती पर बड़ी तबाही मचा सकती थी ! तब भगवान शिव ने इस विष को पीया था ! यही से उनका नाम पड़ा नीलकंठ !
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भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है ! इसलिए कहते है, तीसरी आँख बंद ही रहे प्रभु की...

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