चर्च_के_कुचक्र
चर्च का चक्रव्यूह भारत को बुरी तरह से जकड़ चुका है। चर्च के पास युद्ध के लिए #महारथियों की एक बड़ी श्रृंखला है। #ईसाई_मिशनरियों को ये महारथी या तो सेकुलर हिंदुओ के सनातन हिन्दुओ के प्रति विद्वेष के कारण मिले है अथवा दाम और दंड की नीति का प्रयोग कर भेद से हथिया लिए है। मिशनरियों के भारत में, जो ध्यान में आते है उन कुछ योद्धाओं की क्रमबद्ध चर्चा कर रहा हूँ।
बॉलीवुड
पुरानी अथवा नई बहुतायत फिल्मों में पंडित को लालची और हास्यस्पद पात्र बनाकर प्रस्तुत किया जाता है जबकि किसी भी फ़िल्म में पादरी को एक बहुत ही गंभीर व सामाजिक और धार्मिक किरदार प्रस्तुत किया जाता है। अमर अकबर एंथोनी याद होगी ही भी और ऐसे उदाहरण हो सकते है परिणामस्वरूप प्रवण अभिनेता युवाओं में अपने धर्म के प्रति अवहेलना के बीज बो देते है । कालान्तर में अगली पीढ़ी के मानस पर धर्म के प्रति शिथिलता अध्यारोपित हो जाती है ।
स्कूल
भारत में चर्च के पास रेलवे और सेना के बाद सर्वाधिक भूमि है, यहाँ स्कूल बनाकर नव धनाढ्यों से धन का संचय तो करते ही है बालकों के मन मस्तिष्क से भी खेलते है और स्वधर्म के विरुद्ध भी खड़े करते है ये ही बालक जब प्रशाशन मीडिया और अन्य स्थानों पर सेवारत होते है तो जाने अनजाने इनके षड्यंत्रों में भागीदार भी हो जाते है।
और अभिभावकों से प्राप्त धन का उपयोग मिशनरी गतिविधियों में करते है।
अस्पताल
अस्पताल इनकी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है। वर्तमान में बच्चे बेचने वाली घटना अस्पताल का ही उदाहरण है।सेवा की आड़ गैरकानूनी कार्य करके संचित धन को सेवा का अभिनय करने में व्यय करते है, साथ ही रोगी की मानसिक स्थिति का लाभ लेकर दवाओं से होने वाले स्वास्थ लाभ को यीशु की कृपा बताकर, चमत्कार के प्रति आकर्षित करते है।
पादरी_विशप_ननों_की_फ़ौज
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लगभग हर पिनकोड नंबर पर आपको इनका कोई न् कोई प्रतिनिधि पायेगा। जो उस स्थान की रेकी करता रहता है और जहाँ उपयुक्त वातावरण, ईसाइयत के लिए उपजाऊ भूमि मिली फिर वहां इनका जमघट शुरू हो जाता है। भृष्ट तंत्र का उपयोग कर भूमि खरीदना चर्च बनाना फिर धर्मान्तरण का खेल शुरू....
अकूत_धन
ईसाइ मिशनरियों के पास दवाइयों के पेटेंट है, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ है, आधुनिक हथियार है, जिनको वह डॉलर से रुपये में बदल कर विश्वभर में संभावनाओं के अनुसार बाँट कर धर्मान्तरण में लगाते है एक जानकारी के अनुसार भारत की बहुराष्ट्रीय कम्पनिया ही इतना डोनेशन करती है कि भारत के बाहर के देशों में भी उसका उपयोग करते है।
मिडिया
मीडिया के अधिकांश भाग का राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ गठजोड़ किसी से छुपा नहीँ है। भारतीय मीडिया हिंदुत्व को सांप्रदायिक प्रदर्शित करने का कोई अवसर कभी नहीँ चूकती। मीडिया, मुगलकाल में उत्पन्न कुरीतियों का ज़म कर प्रचार करती है, मिशनरी उसी का लाभ लेकर भोले भाले नागरिकों को हिन्दुत्व विरोध और ईसाई आकर्षण का शिकार बना लेते है।
एनजीओ
चर्चा सुनने में आती ही होगी कि भारत में विदेशी फंडिंग से बहुत सारे एनजीओ कार्य करते है जिन्हें वर्तमान सरकार ने कुछ नियमितीकरण करके बंद किया है। सामान्य बुद्धि की बात है ईसाई उन्हें वह पैसा कोई भारत प्रेम के कारण नहीँ देते अपितु चर्च के एजेंडे को लागू करने का देते है। बड़ी बिंदी, फोर्ड फाउंडेशन से पैसा लेने बाले दिल्ली के मालिक और वामी बुद्धिजीवी इसका उदाहरण है।
छदम्_हिन्दू_संगठन
ईसाइयों की बुद्धि कौशल का आप अंदाजा लगाइए कि धन का लालच देकर हिन्दुओ में ऐसी संस्था विकसित कर दी है जो समाज मे हिन्दुओ के धर्म,संस्कार, रीति रिवाज, और मान्यताओं को विकृत रूप में प्रचारित करते है। परिणामस्वरूप हिंदुओ में आपस मे ही क्लेश हो जाता है। ईसाई 100 वर्ष आगे की योजना बनाकर कार्य करते है। अभी होने बाले क्लेश को भविष्य में भुनाने की योजना है। प्रजापति ब्रह्मकुमारी जैसी संस्था इनका उदहारण हो सकती है।
भृष्ट_राजनीति और वोटबैंक के भारत में भारत के शत्रुओं के पक्ष में युद्ध करने वाले सबसे बड़े योद्धा है ही
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