Friday 13 July 2018

 असम की सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी "कमला देवी हजारिका".
ये तब की बात है जब असम समेत पूरी पूर्वोत्तर में ईसाईकरण अभियान चल रहा था. इसी क्रम में असम में एक ईसाई धर्मप्रचारक भेजे गए थे, नाम था फादर क्रूज़. असम आने के बाद इन्हें वहां के एक प्रभावशाली परिवार के लड़के को घर आकर अंगरेजी पढ़ाने का मौका मिला.
पादरी साहब का मूल लक्ष्य था, उस प्रभावशाली परिवार को मसीहियत के दायरे में लाने का ताकि उसके जरिये इलाके के शेष लोगों को भी ईसाई बनाया जाये. इसलिये वो ट्यूशन पढ़ाने के साथ-साथ धीरे-धीरे उस घर का और वहां के लोगों का मुआयना करने लगे. उन्हें पता चल गया कि जिस बच्चे को वो पढ़ाते हैं उसकी दादी इस घर में सबसे प्रभाव वालीं हैं, इसलिए उनको अगर ईसा की शिक्षाओं के जाल में फंसाया जाए तो उनके माध्यम से पूरा परिवार और फिर पूरा इस प्रभावशाली परिवार के माध्यम से पूरा इलाका ईसाई बनाया जा सकता है.
अब पादरी साहब को जब भी मौका मिले वो दादी माँ को बताने लग जाये कि कैसे ईसा कोढ़ी का कोढ़ ठीक कर देते थे , कैसे वो अंधों को नेत्र ज्योति देते थे, कैसे उनके कहने से मुर्दे जिन्दा हो जाते थे वगैरह-वगैरह. दादी ये सब सुनती और कहती, बेटा, हमारे राम-कृष्ण के चमत्कारों के आगे तो कुछ भी नहीं ये सब. तुमने सुना है कि हमारे राम ने एक पत्थर का स्पर्श किया तो वो जीवित स्त्री में बदल गई? रामजी के नाम के प्रभाव से पत्थर भी तैर जाता था पानी में.ऐसे ही चमत्कार कृष्ण भगवान के भी हैं.
पादरी साहब खामोश हो जाते पर कोशिश जारी रखते अपनी. एक दिन पादरी साहब क्रिसमस के बाद चर्च से केक लेकर आ गए और दादी को खाने को दिया. पादरी साहब को यकीन था कि दादी न खायेंगी पर उसकी आशा के विपरीत दादी ने केक लिया और खा गई. पादरी साहब आँखों में गर्वोक्त उन्माद भरे अट्टहास कर उठे, दादी तुमने चर्च का प्रसाद खा लिया. अब तुम ईसाई हो.
ये सुनते ही दादी ने पादरी साहब के कान खींचते हुए, वाह रे गधे ! मुझे एक दिन केक खिलाया तो मैं ईसाई हो गई और मैं जो रोज तुमको अपने घर का खिलाती हूँ, तो तू हिन्दू क्यों नहीं हुआ? तू तो रोज़ सनातन धर्म की इस भारत भूमि का वायु, जल, अनाज सबकुछ लेता है फिर तो तेरा रोम-रोम हिन्दू हो जाना चाहिए? पर तू तो हिंदू न हुआ और मैं ईसाई हो गई?
स्वधर्म को बचाने वाली और राष्ट्र को पथभ्रष्ट होने और गलत दिशा में जाने से रोकने वाली ये साहसी दादी माँ थीं असम की सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी "कमला देवी हजारिका".
कौन जानता है इनको असम से बाहर? क्या हमारा कर्तव्य नहीं है कि देश इनके बारे में जाने?
अगर आपको लगता है कि उस पादरी की तरह छल, बल और धूर्तता से करवाये जा रहे मतान्तर पर रोक लगना चाहिये और फादर क्रूज़ जैसे धूर्तों को जबाब मिलना चाहिये तो देश को जरूर बताइए "कमला देवी हजारिका" और उनके इस काम के बारे में.
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