बस्तर में पुरातात्विक स्थल - भैरमगढ़.....!
बस्तर में ऐतिहासिक स्थलों की भरमार है। इनमें से अनदेखे ऐतिहासिक स्थलों की सूची बहुत ही लंबी है। अधिकांश पुरातात्विक स्थल नागयुग से ही संबंधित है। नागयुग का एक बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक नगर है भैरमगढ़। बहुत ही कम लोगों ने भैरमगढ़ का नाम सुना है और उंगलियों में गिनने लायक लोग ही ,इस स्थल की पुरातात्विक अवशेषों से परिचित है।
भैरमगढ़ बेहद ही अल्पज्ञात ऐतिहासिक स्थल है। इसे कभी नाग राज्य की राजधानी होने का गौरव प्राप्त था। इस नगर में आज भी बहुत से मंदिरों के ध्वंसावशेष, प्रतिमायें यहां वहां बिखरी पड़ी है। यहां की हर चटटान पर आपको भगवान की प्रतिमा उकेरी हुई मिल जायेगी।
नागयुग में तालाब किनारे स्थित एक विशाल चटटान पर भैरम बाबा की प्रतिमा उकेरी गई थी। इस स्थल पर एक नया मंदिर बना दिया गया है जो कि भैरमगढ़ एवं आसपास के सभी ग्रामों के लिये आस्था का केन्द्र है। यहां प्रतिवर्ष जात्रा का आयोजन भी किया जाता है।
झाड़ियो में छिपे नाग युगीन घ्वस्त मंदिर आज भी अपने जीर्णोद्धार के लिये बाट जोह रहे है। बेहद दुर्लभ प्रतिमायें भैरमगढ़ के हर मोहल्ले में मिल जायेगी। उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण तो भगवान भरोसे ही है।
बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल होने के बावजूद भी यह पुरी तरह से उपेक्षित है। भैरमगढ़ को भी बस्तर के बारसूर, नारायणपाल, चित्रकोट तीरथगढ़ जैसे पर्यटन स्थलों की तरह प्रमुखता से प्रचारित किये जाने की आवश्यकता है।
दंतेवाड़ा के गीदम से बीजापुर मार्ग में 45 किलोमीटर की दुरी पर मुख्य सड़क पर ही भैरमगढ़ कस्बा स्थित है। भैरमगढ़ को दंतेवाड़ा, बारसूर, समलूर जैसे ऐतिहासिक स्थलों के सर्किट पथ में जोड़कर बस्तर के पयर्टन नक्शे में शामिल कर प्रचारित किया जाना चाहिये.....ओम!
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