Monday, 16 July 2018

देश में हिंदूओं को ऊंच-नीच के भावना के तहत तोड़ने के षड्यंत्र सबसे पहले अंग्रेजों ने 1826 में की थी वह भी बहुत ही शातिराना पुर्वक । अंग्रेजों के इस्ट इंडिया कम्पनी ने 1822 से 1826 तक भारत में शिक्षा स्तर का सर्वेक्षण करवाया था।
सर्वेक्षण के फार्म में अंग्रेजों ने छः काॅलम बनवाया था जिसमें एक काॅलम मुसलमानों के लिए था बाकी के पांच काॅलम हिंदूओं के लिए था ।
॰ अंग्रेजों ने इस सर्वेक्षण का नाम दिया -- Caste Wise Serve of Education. इस सर्वे में पहला काॅलम ब्राह्मणों का बनाया गया दुसरा क्षत्रियों का ,तिसरा वैश्यों का चौथा शुद्रों का और पांचवां काॅलम Other Caste का।
॰ अंग्रेजों ने पांचवां काॅलम जो अदर कास्ट का बनाया था उसमें जिन जातियों को सम्मलित किया गया था आज वही सारी जातियां अनुसुचित जाति या दलित में रखा गया है।यानी कहने का मतलब 1826 के बाद ही इन जातियों को नीच जाति के श्रेणी में धकेला गया।
॰ उसके बाद अंग्रेजों ने हिंदूओं में एक और विभाजन करने के लिए 1931 में षड्यंत्र रचा। उसने 1931 में हिंदू समाज में आदिवासी और गैर आदिवासी का एक विभाजन रेखा खिंचा जिसे तत्कालीन नेताओं ने मान लिया जिस भूल के परिणाम यह है कि आज हिंदू समाज वर्ण के बजाय जातियों में बंट गया।
स्त्रोत --: लेखक - धर्मपाल के Beautiful Tree पुस्तक के आधार पर मैंने यह लेख लिखा है।

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