Thursday, 12 July 2018


इंडोनेशिया 
उन्होंने हिंदुत्व से प्रार्थना की- हमें भी अपना अंग मान लो, और हिंदु धर्म ने उन्हें भी शरण दे दी 
शांतिप्रिय बहुलता वाले देश इंडोनेशिया में कई मंदिर, मूर्तियां आज भी सुरक्षित हैं इसलिए उसे सहिष्णु समझा जाता है । इंडोनेशिया विविधताओं से भरा देश है जहाँ लगभग 250 अलग-अलग पूजा-पद्धति के लोग रहते हैं । वर्तमान में इंडोनेशिया ने पाँच धर्मों को अपने आधिकारिक धर्म का दर्जा दिया हुआ है- दो अब्राह्मिक धर्मों के अलावा हिंदु, बौद्ध और कन्फ्युशियन को भी ।
यह स्वतंत्र हुआ 1945 में, और तब इसने अपना ध्येय वाक्य बनाया- एक ईश्वर पर विश्वास । इस देश की नागरिकता के लिए ऐसे धर्म को मानना अनिवार्य था (और है) जो एकेश्वरवादी हो । नास्तिकता का प्रदर्शन वहाँ एक अपराध है आज भी ।
तो आजादी के शुरूआती वर्षों में इंडोनेशिया ने हिंदुओं को बहुदेववादी मानते हुए अपना नागरिक मानने से इनकार कर दिया था और इन्हें "पीपल विदाउट रिलिजियन, जिन्हें कन्वर्ट होना चाहिए" का दर्जा प्राप्त था । 1952 में सरकार ने आदेश दिया उन्हें- धर्मांतरण करो । तब बाली की लोकल सरकार ने इसका विरोध करते हुए द्वीप को अलग देश डिक्लेयर करने की धमकी दी, भारत और अन्य देशों से मदद मांगी, इससे इंडोनेशिया सरकार दबाव में आकर झुक गयी । फिर वहाँ के हिंदुओं ने 1958 में एक Joint Petition दायर किया- ॐ एकम् तत्सत एव अद्वितीयम् । (हिंदुत्व के भी एकेश्वरवादी होने के प्रमाण स्वरूप)
इसे 1962 में स्वीकार कर लिया गया और हिंदुत्व चौथा ऑफिशियल रिलिजन बन गया इंडोनेशिया का । पर अभी बौद्धों व कन्फ्युशियन्स की मुश्किलें समाप्त नहीं हुई थी, कन्वर्जन का दबाव उनपर भी था । बौद्धों ने खुद को 'हिंदू' डिक्लेयर कर लिया । अब छोटे से कन्फ्युशियन समुदाय पर धर्मांतरण की तलवार लटक रही थी, उन्हें भी हिंदुत्व ने कहा, आ जाओ इस विशाल वटवृक्ष के नीचे.... तुम्हारी परंपराओं को सुरक्षा मिलेगी । फिर यह दोनों भी कई वर्ष स्वयं को 'हिन्दू' ही लिखते रहे, इनकी लड़ाई हिंदुओं ने ही लड़ी तब इन्हें भी अलग धर्म का दर्जा प्राप्त हुआ ।
अब भी कुछ अन्य लोकल पुरानी मान्यता वाले समुदायों (तोरजा, करो बाटक, डायक आदि) के सामने यही शर्त थी- नागरिक बने रहना चाहते हो तो धर्म परिवर्तन करो ।
इन्होंने भी अनुभव किया कि हिंदुत्व ही वह शरणस्थली है जो हमारी मान्यताओं को, अधिकारों को सुरक्षा दे सकती है । धर्मांतरण से हमारी मान्यताएं लुप्त हो जाएंगी । उन्होंने हिंदुत्व से प्रार्थना की- हमें भी अपना अंग मान लो, और हिंदु धर्म ने उन्हें भी शरण दे दी । तब से आज तक वह खुद को 'हिन्दु' ही लिखते हैं सरकारी आंकड़ों में चाहे उनकी परंपरा कोई भी हो ।
यह है संक्षिप्त विवरण इंडोनेशिया की जहालत, और हिंदुत्व की उदारता, सार्वभौमिक स्वीकृति का ।

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