Wednesday 11 July 2018




क्रिश्चनिटी का धंधा: अमेरिका में चर्च तो भारत में बिक रहे हैं बच्चे!

जहां एक तरफ पैसे और सदस्य के अभाव के कारण अमेरिका में चर्च बिकने लगे हैं वहीं चर्च की सेवा के नाम पर ठगी कर भारत में बच्चे बेचे जा रहे हैं। अमेरिका में क्रिश्चियन धर्म के प्रति आई गिरावट के कारण वहां चर्चों की हालत खस्ता हो गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां न तो चर्च की सदस्या बढ़ रही है न ही पैसे आ रहे हैं। बल्कि चर्चों की सदस्य संख्या में काफी गिरावट आ गई है। जिसके के कारण कई चर्च बिकने की कगार पर पहुंच गए हैं। वहीं रांची में क्रिश्चियनिटी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मानवता की सेवा के नाम पर स्थापित मिशनरी ऑफ चैरिटी होम (शिशु भवन) मानवता को ही शर्मसार करने में संलिप्त पाया गया है। रांची के इस चैरिटी होम के दो सिस्टर को बच्चा बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

भले ही मानवता की सेवा के नाम पर क्रिश्चियन समुदाय की इतने बड़े स्तर पर ऐसी अमानवीय करतूत पहली बार आई हो, लेकिन पहले से ही इस तरह के घिनौनी करतूत में ये लोग शामिल रहे हैं। अपने रेलिजन को बढ़ाने और हिंदू धर्म को किसी न किसी प्रकार हानि पहुंचाने के लिए ये लोग किसी हद तक गिर सकते हैं। वैसे तो इस प्रकार का रैकेट पूरे देश में चल रहा है, लेकिन पहले इसकी करतूतें बड़े स्तर पर सामने नहीं आतीं थी क्योंकि सत्ता कांग्रेस के हाथ में होती थी, जिसने हमेशा ही इस समुदाय के लिए ढाल का काम किया है। तभी तो जब झारखंड सरकार ने पिछले साल ही स्वतंत्र धर्म विधेयक पास किया था तो यही क्रिश्चियन समुदाय है जो रघुवर दास सरकार को गिराने के लिए हर प्रकार का षड्यंत्र रचा था और इसमें कांग्रेस ने भी पूरा साथ दिया था।


क्रिश्चियनों का मानवता के नाम पर अमानवीय कृत्य भले ही अब लोगों के सामने आया हो जबकि इसकी मंशा तो उसी दिन देश पर जाहिर हो गई थी जब मदर टेरेसा ने अनाथ आश्रम खोलने का नाटक किया था। वह भारत में दिखावा तो मानव सेवा की कर रही थी जबकि वह देश की भोली-भाली जनता को बहला-फुसलाकर मतांतर करने को प्रेरित कर रही थी। मदर टेरेसा दरअसल मानवता का नहीं बल्कि कैथोलिक चर्च के इशारे पर क्रिश्चियनिटी की सेवा कर रही थी। जिसका ध्येय भारत में क्रिश्चिनियटी को बढ़ाना था। उसकी मंशा तो उसी दिन जाहीर हो गई थी जब उसने सेवा के साथ शर्त जोड़ दी। सेवा कभी सशर्त नहीं होती वह निःस्वार्थ होती है, अगर यह भाव लेकर आई होती तो वह कब हिंदू बन चुकी होती, क्योंकि हमारा सनातन धर्म निस्वार्थ स्नेह और सेवा सिखाता है। लेकिन इतने सालों तक वह भारतीय नहीं हो पाई, इसका मतलब साफ है कि वह कभी मानवता की सेवा की ही नहीं अपने रेलिजन का कारोबार जरूर किया?मदर टेरेसा का वही कारोबार आज घिनौना शक्ल अख्तियार कर चुका है जो मानव तस्कर के रूप में बाहर आने लगा है। उसके द्वारा स्थापित शिशु भवन के नाम से संचालित मिशनिरीज ऑफ चैरिटी में बच्चों की बिक्री का मामला सामने आया। अगर वह अपने लोगों को सेवा करना सिखाई होती तो आज यह अवैध कारोबार सामने न आता। रांची के मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम में नवजातों के सौदा के रूप में आया है। तभी तो टेरेसा के नक्शे कदम पर चलने वाली सिस्टर आज बच्चों के सौदा करने के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंच गई हैं।


क्रिश्चियनों द्वारा संचालित मिशनिरीज ऑफ चैरिटी की अमानवीय करतूत तब सामने आई जब उत्तर प्रदेश के रहने वाले सौरव कुमार अग्रवाल और उनकी पत्नी ने पैसे लेकर बच्चे नहीं देने की शिकायत बाल कल्याण समिती से की। उन्होंने कहा कि अनिमा नाम की महिला ने उनसे बच्चे के लिए एक लाख बीस हजार रुपये लिए लेकिन बाद उनसे बच्चा वापस ले लिया गया। जब बाल कल्याण समिति ने इस मामले की जांच के दौरान आरोपी अनिमा से पूछताछ की तो कई बड़े खुलासे हुए। मामले को लेकर कोतवाली थाने में संस्था के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। इस मामले में संस्था की प्रभारी सिस्टर कनसिलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। उसके पास से करी डेढ़ लाख रुपये जब्त किए गए हैं। रांची के मिशनरीज ऑफ चैरिटी नाम की संस्था पर दर्जनों नवजात बच्चों को बेचने का आरोप है। पुलिस ने इस चैरिटी होम को सील कर दिया है। इस मामले में दूसरी सिस्टर को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जा रही है।


…तो इसलिए स्वतंत्र धर्म विधेयक के विरोध में था क्रिश्चियन समुदाय


क्रिश्चियन समुदाय द्वारा भाजपा सरकार का विरोध हमेशा कुछ अटपटा लगता था लेकिन झारखंड समेत अन्य राज्यों में इस करतूत के सामने आने के बाद पता चला कि आखिर क्रिश्चियन समुदाय क्यों कांग्रेस को ही सत्ता में में देखना चाहता है। इसके पीछे वजह है कि भाजपा कभी क्रिश्चियन की मंशा को सफल नहीं होने देती जबकि कांग्रेस हमेंशा उसका संरक्षण बनने का प्रयास करती रही है।


तभी तो स्वतंत्र धर्म विधेयक 2017 सरकार द्वारा स्वीकृत होने के बाद भाजपा के रघुवर दास सरकार को गिराने के लिए क्रिश्चियनों ने षड्यंत्र रचना शुरू कर दिया। यूनाइटेड क्रिश्चियन फॉर्म ने मेथोडिस्ट चर्च मैदान में ईसाइयों की महासभा आयोजित की। इसका नेतृत्व सू प्रकाश बास्की, मंगल हेंब्रम और जेम्स सुशील हेंब्रम ने की। कांग्रेस के इशारे पर इन लोगों ने प्रदेश की आदिवासी जनता को बरगलाने का काम शुरू किया। उसने सरकार पर संशोधन कर अनुसूचित क्षेत्र के इलाकों में आदिवासियों का अधिकार नष्ट करने का आरोप लगाया। साथ ही आदिवासियों को उकसाने का प्रयास किया कि इलाके में जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा एवं संरक्षण पर भी प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत जो विशेष प्रावधान है वह भी भाजपा खत्म करने का प्रयास कर रह ही। कांग्रेस के इशारे पर ही इन लोगों ने सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की।


कांग्रेस की मंशा थी कि सरकार के इस कदम के विरोध में आदिवासियों को सरकार के खिलाफ भड़काया जाए ताकि रघुवर दास की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अलोकतांत्रिक तरीके से गिराया जा सके।

मदर टेरेसा के मिशनरी ने पांच नहीं 280 बच्चे बेचे हैं...अभी तो जांच आगे बढ़ने तो दीजिये...


निसंतान दंपतियों की गोद भरने के लिए कई मांओं की गोद उजाड़ने वाली मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम्स अब नए आरोप में घिर गया है। क्रिश्चियनिटी ‘संत’ घोषित मदर टेरेसा द्वारा रांची में स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था के अलग-अलग होम्स में जन्म लेने वाले 280 नवजातों का कोई रिकॉर्ड्स ही नहीं है। अंदेशा है कि उन सारे पहले ही बेचा जा चुका है!

पुलिस ने बताया है कि इस संस्था से हाल में जन्मे नवजातों का रिकार्ड्स उपलब्ध कराने को कहा गया था। लेकिन उनके पास 280 बच्चों का रिकार्ड्स गायब हैं। इससे बच्चे बेचने का मामला और गहरा गया है। हाल ही में यहां से पांच बच्चे बेचने के आरोप में ही इस संस्था की दो नन तथा एक महिला कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया था। इस लिहाज से 280 बच्चे का रिकॉर्ड नहीं मिलना मामले को और भी गंभीर बना देता है।

इस संस्था के संस्थापक मदर टेरेसा के झूठ की तरह इनका झूठ भी सामने आने लगा है! असहायों की सेवा के नाम पर बच्चे बेचने का धंधा चलाया जा रहा है। लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार 2015 से 2018 के बीच में ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के कई होम्स में करीब 450 गर्भवती महिलाओं को भर्ती कराया गया। इनमें से 170 नवजात बच्चों के रिकार्ड तो मिले हैं लेकिन शेष 280 नवजातों का कोई रिकार्ड ही नहीं मिला है। पुलिस का कहना है कि यहां के रिकार्ड की जांच करने के दौरान कई प्रकार की गड़बड़ियां सामने आई हैं। पुलिस ने बच्चों के बेचने से लेकर महिलाओं के गर्भपात कराने के षड्यंत्र तक से इनकार नहीं किया है। 280 बच्चों के रिकॉर्ड नहीं मिलने से कई प्रकार के संदेह उठने लगे हैं।

रांची स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम से बच्चों के बेचे जाने तथा 280 नवजातों के कोई रिकॉर्ड्स उपलब्ध नहीं होने का मामला तब सामने आया है जब एक दंपत्ति ने एक बच्चे को गोद लेने के लिए इस संस्था को 1.20 लाख रुपये देने के मामले में पुलिस से शिकायत की। यूपी की इस दंपत्ति ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में बताया कि 1.20 लाख रुपये देने पर उन्हें बच्चा तो दिया गया लेकिन कोर्ट में मामले होने की बात कहकर बच्चे को वापस ले लिया। और कहा कि अदालत की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्चा दे दिया जाएगा। लेकिन जब बच्चा बाद में भी नहीं दिया गया तो उन्होंने इसकी शिकायत चाइल्ड वेलपेयल सोसाइटी से कर दी है। पुलिस ने इस मामले को मानव तस्करी से जोड़कर देख रही है।

गौरतलब है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी की दो सिस्टर और एक महिला कर्मचारी को पिछले गुरुवार को ही नवजात बच्चों की बिक्री के आरोप में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार दोनों ननों पर चैरिटी होम की महिला संचालक के साथ मिलकर नवजातों को बेचने का आरोप है। अब सवाल उठता है कि जिस मानव सेवा के उद्देश्य से मदर टेरेसा ने मिशनरीज चैरिटी होम्स की स्थापना की थी क्या यही उसका मानव सेवा है? जहां एक मां की कोख उजार कर दूसरी मांओं को पैसे के बल पर संतान का सुख पहुंचाया जाए। असली सेवा तो वह होती है जिसमें दोनों पक्षों का भला हो। एक को उसका घर मिले तो दूसरे को अपना बच्चा। लेकिन मिशनरीज चैरिटी होम ने तो सेवा को भी मानव तस्कर जैसा अवैध धंधा बना के रख दिया है।


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