अलौकिक शक्तियों के साथ जब भारत में रहते थे एक 'दिव्य पुरुष'
आपको यह सुनने में बिल्कुल अजीब लगेगा कि बिना अन्न खाए कोई इंसान एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों सात तक भी जीवित रह सकता है। आप शायद इसे पुराणों में लिखी किसी मिथकीय कथा की तरह ही मानें, लेकिन ये दावा किया जाता है कि पूरे देश में अति पूज्यनीय देवरहा बाबा सैकड़ों (जी हां, सैकड़ों) साल तक बिना अन्न खाए ही जीवत थे !
आइए, आज योगिनी एकादशी के दिन देवरहा बाबा की पुण्यतिथि पर हम आपको बताते हैं एक ऐसे सिद्ध पुरुष के बारे में कुछ रोचक तथ्य जिन्हें पूरा देश ना सिर्फ अटूट श्रद्धा के साथ आज भी पूजता है बल्कि उनके बारे में कहा जाता है कि वो आधुनिक दुनिया में सबसे ज्यादा सालों तक जीवित रहने वाले एक दिव्य पुरुष थे।
पवित्र सरयू नदी के बीच शुरू हुई थी तपस्या
ऐसी मान्यता है कि भारत के ऋषि-मुनियों ने अपने योग-तप के बल पर दीर्घायु जीवन व्यतीत किया। पूर्वांचल की धरती पर सैकड़ों सालों तक तपस्या करने वाले देवरहा बाबा भी उन्हीं ऋषि-मुनियों की परंपरा के संवाहक थे।
गोरखपुर मंडल के देवरिया जनपद में सलेमपुर के पास मईल नामक स्थान पर देवर नाम की एक पुण्य भूमि है। यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार उन्हें उनके पुरखों ने ही बताया है कि बाबा यहां अचानक ही प्रगट हुए थे। लोगों के अनुसार यहां प्रगट होने के बाद बाबा सरयू नदी में मचान बनाकर रहने लगे। इनका वास्तविक नाम किसी को भी नहीं पता। देवर नाम के क्षेत्र में तप करने के कारण लोगों ने इन्हें देवरहा बाबा के नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इनकी ख्याति देवरहा बाबा के रूप में ही बढ़ती गई। सैकड़ों वर्ष तक यहां रहने के बाद देवरहा बाबा वृंदावन पहुंच गए और वहीं पर यमुना नदी में मचान बनाकर रहने लगे।
तो सैकड़ों साल जिए बाबा
उनका जन्म कब हुआ, कहां हुआ इसकी जानकारी तो किसी के पास भी नहीं है। लोग सिर्फ इतना ही जानते हैं कि योगिनी एकादशी के दिन मंगलवार को यानी 19 जून 1990 को देवरहा बाबा ने शरीर का त्याग कर दिया था। उनकी आयु के बारे में पूरी दुनिया में तरह-तरह के कयास लगाए जाते हैं। कोई उन्हें 900 साल का बताता है तो कई 250 से लेकर 300 साल का। इतना ही नहीं कइयों ने तो उनकी उम्र का आंकलन 500 साल तक किया है। हालांकि, बाबा ने स्वयं अपने मुख से कभी अपनी आयु या शक्तियों का जिक्र नहीं किया।
देश के पहले राष्ट्रपति ने किया था उनकी आयु का खुलासा
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उनकी आयु का दावा किया था। राजेन्द्र बाबू ने कहा था कि जब वे छोटे थे तो उनके पिताजी उन्हें देवरहा बाबा के पास लेकर गए थे तब बाबा की आयु करीब 73 वर्ष की थी। पांचवें दशक में प्रथम राष्ट्रपति के अनुसार बाबा की आयु कम से कम डेढ़ सौ साल से अधिक की थी।
12 फीट उंचे मचान पर रहते थे बाबा
देवरहा बाबा नदियों के बीच उथले पानी में 12 फीट उंची मचान बनाकर ही रहा करते थे। ये भी बड़ी ही चौंकाने वाली बात है। वह केवल स्नान के लिए ही नीचे नदी में उतरते थे।
मिलता था चमत्कारी प्रसाद
लोगों के अनुसार बाबा के दर्शन के लिए हर रोज हजारों की संख्या में भक्तों की जुटान होती थी। वह अपने पास आने वाले हर भक्त को प्रसाद जरूर देते थे। प्रेम से मिलने और बात करने के बाद बाबा अपने हाथ को ऊपर उठाते थे और इसी बीच अचानक उनके हाथ में कोई फल, मेवा या कोई खाद्य पदार्थ आ जाता था। यही प्रसाद उस भक्त या आगंतुक को दिया जाता था। श्रद्धालुओं के लिए यह कौतुहल का विषय होता कि आखिर बाबा के पास से यह सब आया कैसे। हालांकि, बाबा ने अपने पूरे जीवन काल में अन्न नहीं खाया था। कहते हैं बाबा ने केवल दूध व शहद पीकर ही जीवन गुजार दिया था इसके अलावा श्रीफल भी उन्हें बेहद प्रिय था।
बिना कांटों के बबूल
देवरिया में बाबा जहां अपना मचान बनाकर रहा करते थे उसके आसपास तमाम पेड़-पौधे और झाड़ियां उगी हुई थीं। उसमें बबूल का भी पेड़ था लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसमें कांटे नहीं होते। और तो और लोगों की मानें तो ये बबूल खुशबूदार भी होते थे।
बाबा की दिव्य शक्तियां
देवरहा बाबा महर्षि पातंजलि के अष्टांग योग में पारंगत थे। इसके अलावा खेचरी मुद्रा में उनको सिद्धि थी। खेचरी मुद्रा की वजह से वह कहीं भी चले जाते थे। नदी में वह 30 मिनट तक बिना सांस लिए ही रह लेते थे। जानवरों की भाषा को भी वह भलीभांति समझते लेते थे। खतरनाक से खतरनाक जानवर उनके सामने आते ही काबू में आ जाते थे। लोग तो यहां तक कहते हैं कि वह पानी पर भी चल लेते थे।
देश का शीर्ष नेतृत्व भी रहा है बाबा का अनुयायी
देवरहा बाबा के भक्तों में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बूटा सिंह, नारायण दत्त तिवारी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर और ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम सहित सैकड़ों विशिष्ट नाम शामिल हैं। हम आपको बता दें कि ऊपर लिखे गए नाम तो सिर्फ बानगी भर हैं, ना जाने कितने ही मंत्री और ब्यूरोक्रेट्स सहित लाखों भक्तों के लिए देवरहा बाबा परम पूज्यनीय थे।
बाबा के दर्शन को जब जार्ज पंचम पहुंचे
बाबा के बारे में सुनकर सन 1911 में स्वयं ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम भी भारत आए और उनसे मिलने देवरिया पहुंचे थे। पूरे लाव-लश्कर के साथ जार्ज पंचम उनके आश्रम तक पहुंचे थे। दरअसल, जार्ज पंचम ने भारतीय संतों के बारे में बहुत सुना था, इसपर उनके भाई ने उन्हें देवरहा बाबा से मिलने की सलाह दी। यहां देवरिया आने पर बाबा के मचान रूपी आश्रम में जाकर जार्ज पंचम ने काफी देर तक देवरहा बाबा से बातचीत की। उन दोनों के बीच किस बारे में और क्या-क्या बातें हुईं इसे इंग्लैंड की सरकार ने हमेशा गोपनीय ही रखा।
आपको यह सुनने में बिल्कुल अजीब लगेगा कि बिना अन्न खाए कोई इंसान एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों सात तक भी जीवित रह सकता है। आप शायद इसे पुराणों में लिखी किसी मिथकीय कथा की तरह ही मानें, लेकिन ये दावा किया जाता है कि पूरे देश में अति पूज्यनीय देवरहा बाबा सैकड़ों (जी हां, सैकड़ों) साल तक बिना अन्न खाए ही जीवत थे !
आइए, आज योगिनी एकादशी के दिन देवरहा बाबा की पुण्यतिथि पर हम आपको बताते हैं एक ऐसे सिद्ध पुरुष के बारे में कुछ रोचक तथ्य जिन्हें पूरा देश ना सिर्फ अटूट श्रद्धा के साथ आज भी पूजता है बल्कि उनके बारे में कहा जाता है कि वो आधुनिक दुनिया में सबसे ज्यादा सालों तक जीवित रहने वाले एक दिव्य पुरुष थे।
पवित्र सरयू नदी के बीच शुरू हुई थी तपस्या
ऐसी मान्यता है कि भारत के ऋषि-मुनियों ने अपने योग-तप के बल पर दीर्घायु जीवन व्यतीत किया। पूर्वांचल की धरती पर सैकड़ों सालों तक तपस्या करने वाले देवरहा बाबा भी उन्हीं ऋषि-मुनियों की परंपरा के संवाहक थे।
गोरखपुर मंडल के देवरिया जनपद में सलेमपुर के पास मईल नामक स्थान पर देवर नाम की एक पुण्य भूमि है। यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार उन्हें उनके पुरखों ने ही बताया है कि बाबा यहां अचानक ही प्रगट हुए थे। लोगों के अनुसार यहां प्रगट होने के बाद बाबा सरयू नदी में मचान बनाकर रहने लगे। इनका वास्तविक नाम किसी को भी नहीं पता। देवर नाम के क्षेत्र में तप करने के कारण लोगों ने इन्हें देवरहा बाबा के नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इनकी ख्याति देवरहा बाबा के रूप में ही बढ़ती गई। सैकड़ों वर्ष तक यहां रहने के बाद देवरहा बाबा वृंदावन पहुंच गए और वहीं पर यमुना नदी में मचान बनाकर रहने लगे।
तो सैकड़ों साल जिए बाबा
उनका जन्म कब हुआ, कहां हुआ इसकी जानकारी तो किसी के पास भी नहीं है। लोग सिर्फ इतना ही जानते हैं कि योगिनी एकादशी के दिन मंगलवार को यानी 19 जून 1990 को देवरहा बाबा ने शरीर का त्याग कर दिया था। उनकी आयु के बारे में पूरी दुनिया में तरह-तरह के कयास लगाए जाते हैं। कोई उन्हें 900 साल का बताता है तो कई 250 से लेकर 300 साल का। इतना ही नहीं कइयों ने तो उनकी उम्र का आंकलन 500 साल तक किया है। हालांकि, बाबा ने स्वयं अपने मुख से कभी अपनी आयु या शक्तियों का जिक्र नहीं किया।
देश के पहले राष्ट्रपति ने किया था उनकी आयु का खुलासा
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उनकी आयु का दावा किया था। राजेन्द्र बाबू ने कहा था कि जब वे छोटे थे तो उनके पिताजी उन्हें देवरहा बाबा के पास लेकर गए थे तब बाबा की आयु करीब 73 वर्ष की थी। पांचवें दशक में प्रथम राष्ट्रपति के अनुसार बाबा की आयु कम से कम डेढ़ सौ साल से अधिक की थी।
12 फीट उंचे मचान पर रहते थे बाबा
देवरहा बाबा नदियों के बीच उथले पानी में 12 फीट उंची मचान बनाकर ही रहा करते थे। ये भी बड़ी ही चौंकाने वाली बात है। वह केवल स्नान के लिए ही नीचे नदी में उतरते थे।
मिलता था चमत्कारी प्रसाद
लोगों के अनुसार बाबा के दर्शन के लिए हर रोज हजारों की संख्या में भक्तों की जुटान होती थी। वह अपने पास आने वाले हर भक्त को प्रसाद जरूर देते थे। प्रेम से मिलने और बात करने के बाद बाबा अपने हाथ को ऊपर उठाते थे और इसी बीच अचानक उनके हाथ में कोई फल, मेवा या कोई खाद्य पदार्थ आ जाता था। यही प्रसाद उस भक्त या आगंतुक को दिया जाता था। श्रद्धालुओं के लिए यह कौतुहल का विषय होता कि आखिर बाबा के पास से यह सब आया कैसे। हालांकि, बाबा ने अपने पूरे जीवन काल में अन्न नहीं खाया था। कहते हैं बाबा ने केवल दूध व शहद पीकर ही जीवन गुजार दिया था इसके अलावा श्रीफल भी उन्हें बेहद प्रिय था।
बिना कांटों के बबूल
देवरिया में बाबा जहां अपना मचान बनाकर रहा करते थे उसके आसपास तमाम पेड़-पौधे और झाड़ियां उगी हुई थीं। उसमें बबूल का भी पेड़ था लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसमें कांटे नहीं होते। और तो और लोगों की मानें तो ये बबूल खुशबूदार भी होते थे।
बाबा की दिव्य शक्तियां
देवरहा बाबा महर्षि पातंजलि के अष्टांग योग में पारंगत थे। इसके अलावा खेचरी मुद्रा में उनको सिद्धि थी। खेचरी मुद्रा की वजह से वह कहीं भी चले जाते थे। नदी में वह 30 मिनट तक बिना सांस लिए ही रह लेते थे। जानवरों की भाषा को भी वह भलीभांति समझते लेते थे। खतरनाक से खतरनाक जानवर उनके सामने आते ही काबू में आ जाते थे। लोग तो यहां तक कहते हैं कि वह पानी पर भी चल लेते थे।
देश का शीर्ष नेतृत्व भी रहा है बाबा का अनुयायी
देवरहा बाबा के भक्तों में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बूटा सिंह, नारायण दत्त तिवारी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर और ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम सहित सैकड़ों विशिष्ट नाम शामिल हैं। हम आपको बता दें कि ऊपर लिखे गए नाम तो सिर्फ बानगी भर हैं, ना जाने कितने ही मंत्री और ब्यूरोक्रेट्स सहित लाखों भक्तों के लिए देवरहा बाबा परम पूज्यनीय थे।
बाबा के दर्शन को जब जार्ज पंचम पहुंचे
बाबा के बारे में सुनकर सन 1911 में स्वयं ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम भी भारत आए और उनसे मिलने देवरिया पहुंचे थे। पूरे लाव-लश्कर के साथ जार्ज पंचम उनके आश्रम तक पहुंचे थे। दरअसल, जार्ज पंचम ने भारतीय संतों के बारे में बहुत सुना था, इसपर उनके भाई ने उन्हें देवरहा बाबा से मिलने की सलाह दी। यहां देवरिया आने पर बाबा के मचान रूपी आश्रम में जाकर जार्ज पंचम ने काफी देर तक देवरहा बाबा से बातचीत की। उन दोनों के बीच किस बारे में और क्या-क्या बातें हुईं इसे इंग्लैंड की सरकार ने हमेशा गोपनीय ही रखा।
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