दंतेवाड़ा समलूर का शिव मंदिर .....!
दंतेवाड़ा में नंदीराज पर्वत की मैदानों में एक छोटा सा गांव है समलूर।समलूर गांव वैसे तो एक साधारण गांव ही है परन्तु यहां का नागकालीन शिव मंदिर समलूर को एतिहासिक स्थल बनाता है। यह शिवमंदिर पूर्वाभिमुख है जिसमें गर्भगृह एवं अर्द्धमंडप है। मंदिर के गर्भगृह में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। शिवलिंग कलात्मक एवं बेहद आकर्षक है।
बस्तर के सभी शिवमंदिरो में समलूर के शिव मंदिर का शिवलिंग सबसे आकर्षक एवं सुगठित है। शिवलिंग एक तरफ हल्का झुका हुआ है। मंडप में नंदी एवं सप्तमातृका की प्रतिमायें है। यह मंदिर ग्यारहवी सदी में नागवंशी शासक सोमेश्वर देव के शासनकाल में निर्मित माना जाता है।
यह मन्दिर एक तरफ झुक गया हैं. मंदिर का उत्तरी कोना बड़ी तेजी से जमीन में धंसता जा रहा है। मंदिर के उत्तरी कोने की नींव कमजोर होने के कारण मंदिर पुरी तरह से उत्तरी कोने में झुक गया है जिससे यह मंदिर कभी एक तरफ से नीचे गिर सकता है।
जल्द ही अगर इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह ऐतिहासिक मंदिर ध्वस्त हो सकता है। जल्द ही मंदिर की नींव ठीक कर इसे गिरने से बचाना होगा।
समलूर मे प्रतिवर्ष शिवरात्रि को मेला लगता है. हरे भरे वादियो से घिरा हुआ समलूर अपने मनोरम दृश्यो के कारण मेरा पसन्दीदा स्थान है. दन्तेवाडा से 10 किलोमीटर दुर चितालंका से बिन्जाम होकर पहुंचा जा सकता है. गीदम से भी बीजापुर मार्ग मे इतनी ही दुरी तय करके यहाँ जाया जा सकता है......ओम!
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