47 में जब देस आज़ाद हुआ तो नेता चोर नहीं थे । भ्रष्ट न थे । शुरुआत नेहरू ने की । जीप घूस काण्ड में तत्कालीन रक्षामंत्री को बचा के । बस वहीं से दूध में खट्टा गिरा ।
70 के दशक में इंदिरा और उनके सुपुत्र संजय गांधी ने सबसे पहले चुनाव जीतने के लिए corrupt practices की शुरुआत की । नगद पैसे साड़ियां और दारू बांटनी शुरू की ।
इसके बाद गुंडे बदमाशों की सेवाएं ले के लोगों को आतंकित कर बूथ लूटने का सिलसिला शुरू हुआ । 10 साल में गुंडे समझ गए कि यदि में दुसरे के लिए बूथ लूट सकता हूँ तो अपने लिए क्यों नहीं । और इस तरह गुंडे चुनाव लड़ने लगे । संजय गांधी ने सबसे पहले गुंडों माफिया को पार्टी टिकट देना शुरू किया । जीतने पे उन्हें मंत्री पद तक दिए । 80 के दशक तक भारतीय लोकतंत्र पे गुंडों ने पूरी तरह कब्जा कर लिया ।
70- 80 के दशक में ही इंदिरा ने पत्रकार अखबार और NGO पालने शुरू किये और उनको अपने हक़ में इस्तेमाल करना शुरू किया । पत्रकारों को राज्य सभा और मंत्री पद बांटे जाने लगे ।
NGO को बेशुमार पैसा बांटा गया और उनके लिए विदेशी funding का जुगाड़ किया । बदले में ये NGO सरकार के पक्ष में माहौल बनाते और और विरोधियों के खिलाफ अभियान चलाते । उन्हें बदनाम करते ।
जल्दी ही NGOs को और विदेशों में बैठे उनके आकाओं को ये समझ आ गया कि यदि हम सुनियोजित अभियान चला के कोई सरकार गिरा सकते है और अपनी मनपसंद सरकार बना सकते हैं तो फिर अपनी खुद की सरकार क्यों नहीं बना सकते ।
दिल्ली में केजरीवाल की सरकार NGO की सरकार है ...... वो सरकार जिसकी डोर थामे आका कहीं बिदेस में बैठा है ।
दिल्ली में केजरी की सरकार ford foundation और ऐसी ही अन्य विदेशी agencies की सरकार है । इनका एक मात्र उद्देश्य दूरदाराज के जिलों में फैले naxalism को दिल्ली तक ले आना है ।
दिल्ली में एक बहुत बड़े वर्ग को बड़े सुनियोजित ढंग से देश के संविधान के खिलाफ बगावत करने के लिए उकसाया जा रहा है । सरेआम LG के खिलाफ विद्रोह हो रहा है । संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह हो रहा है ।
Kejri LG विवाद में बहुत से आपियों अपोलों के tweets देखने को मिले जब उन्होंने सरेआम संविधान के खिलाफ विद्रोह का आह्वाहन किया ।
मोदी सरकार का NGOs के खिलाफ crackdown पे पूरी दुनिया की निगाह है । vatican और church परेशान हैं । उनकी दूकान उजड़ने वाली है ।
विदेशी फण्ड से पोषित NGO पे शिकंजा कसना भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए अत्यावश्यक है ।
मोदी सही रास्ते पे जा रहे हैं ।
Kavita krishnan जैसे लोग अपने विदेशी आकाओं के इशारे पे मोदी के खिलाफ विषवमन कर रहे हैं ।
भारत विरोधी ताकतें मोदी के खिलाफ एक जुट हो रही है ।
70 के दशक में इंदिरा और उनके सुपुत्र संजय गांधी ने सबसे पहले चुनाव जीतने के लिए corrupt practices की शुरुआत की । नगद पैसे साड़ियां और दारू बांटनी शुरू की ।
इसके बाद गुंडे बदमाशों की सेवाएं ले के लोगों को आतंकित कर बूथ लूटने का सिलसिला शुरू हुआ । 10 साल में गुंडे समझ गए कि यदि में दुसरे के लिए बूथ लूट सकता हूँ तो अपने लिए क्यों नहीं । और इस तरह गुंडे चुनाव लड़ने लगे । संजय गांधी ने सबसे पहले गुंडों माफिया को पार्टी टिकट देना शुरू किया । जीतने पे उन्हें मंत्री पद तक दिए । 80 के दशक तक भारतीय लोकतंत्र पे गुंडों ने पूरी तरह कब्जा कर लिया ।
70- 80 के दशक में ही इंदिरा ने पत्रकार अखबार और NGO पालने शुरू किये और उनको अपने हक़ में इस्तेमाल करना शुरू किया । पत्रकारों को राज्य सभा और मंत्री पद बांटे जाने लगे ।
NGO को बेशुमार पैसा बांटा गया और उनके लिए विदेशी funding का जुगाड़ किया । बदले में ये NGO सरकार के पक्ष में माहौल बनाते और और विरोधियों के खिलाफ अभियान चलाते । उन्हें बदनाम करते ।
जल्दी ही NGOs को और विदेशों में बैठे उनके आकाओं को ये समझ आ गया कि यदि हम सुनियोजित अभियान चला के कोई सरकार गिरा सकते है और अपनी मनपसंद सरकार बना सकते हैं तो फिर अपनी खुद की सरकार क्यों नहीं बना सकते ।
दिल्ली में केजरीवाल की सरकार NGO की सरकार है ...... वो सरकार जिसकी डोर थामे आका कहीं बिदेस में बैठा है ।
दिल्ली में केजरी की सरकार ford foundation और ऐसी ही अन्य विदेशी agencies की सरकार है । इनका एक मात्र उद्देश्य दूरदाराज के जिलों में फैले naxalism को दिल्ली तक ले आना है ।
दिल्ली में एक बहुत बड़े वर्ग को बड़े सुनियोजित ढंग से देश के संविधान के खिलाफ बगावत करने के लिए उकसाया जा रहा है । सरेआम LG के खिलाफ विद्रोह हो रहा है । संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह हो रहा है ।
Kejri LG विवाद में बहुत से आपियों अपोलों के tweets देखने को मिले जब उन्होंने सरेआम संविधान के खिलाफ विद्रोह का आह्वाहन किया ।
मोदी सरकार का NGOs के खिलाफ crackdown पे पूरी दुनिया की निगाह है । vatican और church परेशान हैं । उनकी दूकान उजड़ने वाली है ।
विदेशी फण्ड से पोषित NGO पे शिकंजा कसना भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए अत्यावश्यक है ।
मोदी सही रास्ते पे जा रहे हैं ।
Kavita krishnan जैसे लोग अपने विदेशी आकाओं के इशारे पे मोदी के खिलाफ विषवमन कर रहे हैं ।
भारत विरोधी ताकतें मोदी के खिलाफ एक जुट हो रही है ।
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