Saturday, 19 August 2017

वायुयान विज्ञान के जनक भारतीय वैदिक ॠषि भरद्वाज ~ प्रगति हेतु शोध की आवश्यकता।
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*सप्तर्षियों में से एक महर्षि भरद्वाज का फैकल्टी "अग्नि विज्ञान - स्पेस साइंस" था।
* महर्षि भरद्वाज रचित "अक्ष-तंत्र" में आकाशीय परिधि का वर्गीकरण है। मनुष्य आकाश में कहाँ तक जा सकता है और उसके बाहर जाकर कैसे नष्ट हो सकता है।
* महर्षि भरद्वाज रचित "अंशु प्रबोधिनी" के "विमानाधिकरण" में विमान रचना के प्रकार और उसके आकाशीय गति का वर्णन है~
1. विद्युत शक्ति से चलने वाले विमान।
2. पंचमहाभूत शक्ति से चलने वाले विमान।
3.धुँयें से चलने वाले विमान।
4. वनस्पति तेल की मोमबत्ती से चलने वाले।
5.सूर्य किरणों की शक्ति से चलने वाले विमान।
6.नक्षत्रों की शक्ति से चलने वाले विमान।
7. वायुमंडलीय तापविद्युत से चलने वाले विमान।
8. वायुमंडलीय शीत विद्युत से चलने वाले विमान।
9. सूर्य किरणों की द्वादश शक्तियों से मणि तैयार कर बने दर्पण शक्ति से चलने वाले विमान।
वैदिक ॠषियों ने जो आत्मानुसंधान कर न्यूनतम संसाधन से भौतिक विज्ञान में जो आश्चर्यजनक कार्य किये हैं, उनका विचार कर सकना भी हमारे लिए असंभव है।
पृथ्वी के आधुनिक वैज्ञानिक यदि चाहें तो वैदिक साइंस पर शोध कार्य कर काफी कुछ नये सूत्र प्राप्त कर वैज्ञानिक प्रगति में अनेकों नये आयाम को प्राप्त कर सकते हैं।
( संलग्न फोटो में डेटान (अमेरिका) प्रवास के दौरान National Air Force Museum of America के कुछ दृश्य)

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