Monday 21 August 2017

हामिद अंसारी किधर है ?
देश में मुसलमान कितने खतरे में हैं इसकी एक और बड़ी मिसाल सामने आई है। उत्तराखंड में मदरसे में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुसलमान लड़के रातों-रात गायब हो गए! दरअसल ये वो छात्र हैं जो हर महीने सरकार से वजीफा यानी स्कॉलरशिप पा रहे थे। लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने उन्हें अपने बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने को कहा एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए।
अभी तक इन छात्रों को सरकारें हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांट रही थीं। लेकिन अब ये सिर्फ 2 करोड़ रुपये रह गई है। ये अकेले उत्तराखंड का मामला है। अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया।
तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?
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बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुसलमान खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं इस बात से साबित हो गया है। क्योंकि 2014-15 तक 2 लाख 21 हजार 800 मुसलमान छात्र सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे थे। आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर 26 हजार 440 हो गई है। यानी एक साथ करीब 88 फीसदी मुसलमान छात्रों की संख्या कम हो गई। ये वो स्कॉलरशिप है जो बीपीएल परिवारों के छात्रों को दी जाती है। जिन छात्रों के पास आधार नहीं हैं, उन्हें भी स्कॉलरशिप का फायदा मिल रहा है, लेकिन उन्हें इसके लिए जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है। फिलहाल जिला प्रशासन को इस घोटाले के दोषियों की लिस्ट तैयार करने और उन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
अल्पसंख्यक कोटे के नाम पर धांधली
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यह बात भी सामने आई है कि कई मदरसे और स्कूल सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं और वो फर्जी छात्रों के नाम भेजकर आराम से सरकारी फंड हासिल कर रहे थे। उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 में तो एक भी मुसलमान छात्र स्कॉलरशिप लेने नहीं आया। सबसे ज्यादा धांधली हरिद्वार जिले में पकड़ी गई है। इसके बाद ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल जिलों के नंबर आते हैं। कुछ जिलों में अब तक जितने अल्पसंख्यक छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी उतनी तो उनकी वहां आबादी भी नहीं है। अब तक कांग्रेस के दौर में तुष्टीकरण की राजनीति के तहत बिना जांच पड़ताल के ये काम चल रहा था। जाहिर है बीजेपी सरकार आने के बाद इस घोटाले पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई।
यूपी में भी इसीलिए है सारी दिक्कत
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यूपी में भी इसी तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए मदरसों का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया गया है। राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। और इन मदरसों को फंड कहां से मिल रहा है इसकी भी कोई जानकारी नहीं होती। इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होताष जबकि ये अपने छात्रों को अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे पहुंचाते रहते हैं। यूपी सरकार राज्य में करीब 800 मदरसों पर हर साल 400 करोड़ के करीब खर्च करती है। जब इन मदरसों का रजिस्ट्रेशन होगा तो सही तस्वीर सामने आ पाएगी कि कितना पैसा वाकई गरीब छात्रों के पास पहुंच रहा है और कितना उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान रहते हैं।

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