एक ऐसा भारतीय जासूस जिसके नाम से खौफ खाता है पाकिस्तान...
डोभाल से क्यों डरता है पाकिस्तान... डाभोल कई ऐसे खतरनाक कारनामों को अंजाम दे चुके हैं जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगते हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर आसीन अजीत कुमार डाभोल से बड़े-बड़े मंत्री भी सहमे रहते हैं। भारतीय सेना द्वारा म्यांमार और पाकिस्तान में सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए डाभोल ने भारत के शत्रुओं को सीधा और साफ संदेश दे दिया है कि अब भारत आक्रामक-रक्षात्मक रवैया अख्तियार कर चुका है।
हॉलीवुड फिल्म जेम्स बॉन्ड के बारे में तो आपने सुना होगा लेकिन क्या आपको भारत के असली जेम्स बॉन्ड के बारे में पता है? भारत के असली जेम्स बॉन्ड का नाम अजीत डोभाल है जो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।कहते हैं काम ऐसा होना चाहिए कि दुश्मन भी सलाम करें। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल पर ये कहावत सटीक बैठती है। पाकिस्तानी मीडिया अपने यहां हो रही तमाम घटनाओं का दोष उनके सिर मढ़ने के बावजूद उनकी तारीफ करता है।
अजीत कुमार डोभाल कोवर्ट ऑपरेशंस के माहिर समझे जाते हैं। मिजोराम में जो रजिस्टेंस की मूवमेंट है उसके जो सरफराज थे, लाल डेंगा उनके साथ जो मजाकरात करने की कोशिश की की गई थी उनके साथियों को तोड़ कर उसमें भी अजीत कुमार डोवल थे-खुफिया ऑपरेशंस के माहिर समझे जाते हैं।
अजीत डोभाल ने अपने करियर के 37 साल पर्दे के पीछे काम करते हुए गुजार दिए। डोभाल एकमात्र ऐसे भारतीय हैं, जो पाकिस्तान को एक और मुंबई के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी दे चुके हैं। अपने करियर के शुरुआती दिनों में डोभाल एक ऐसे जासूस थे जो पाकिस्तान के लाहौर में 7 साल मुसलमान बनकर रहे और पाकिस्तान के सारी रणनीतियां विफल करते रहे।
केरल कैडर के 1968 बैच के रिडायर्ड आईपीएस अफसर अजीत डोभाल इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक रहे हैं। 1988 में अजीत डोभाल को कीर्ति चक्र दिया गया वो कीर्ति चक्र पाने वाले पहले आईपीएस अफसर हैं। कीर्ति चक्र की ये कहानी मई 1988 की है, जब अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को खाली कराने के लिए ऑपरेशन ब्लैक थंडर की योजना बनी। कहते हैं कार्रवाई से कुछ दिन पहले से ही स्वर्ण मंदिर के आसपास एक नया रिक्शा वाला दिखने लगा था।
खालिस्तानी आतंकियों को उस पर शक हुआ। 10 दिन तक उसकी निगरानी के बाद एक दिन आतंकियों ने उसे रोका, तो रिक्शावाला उन्हें भरोसा दिलाने में कामयाब हो गया कि वो आईएसआई का एजेंट है और उनकी मदद करने आया है। वो रिक्शा वाला कौन था, ये पहेली है। लेकिन खालिस्तानियों आतंकियों से मिलने के बाद अजीत कुमार डोभाल जो सटीक जानकारी जुटा लाए, उसकी बदौलत ब्लैक कैट्स कमांडोज ने 41 आतंकी मार गिराए, 200 आतंकियों ने सरेंडर किया।
अमेरिका के खुफिया केबल्स के आधार पर विकीलीक्स ये खुलासा भी कर चुकी है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 2005 में छोटा राजन के शूटर विक्की मल्होत्रा के जरिए दाऊद इब्राहिम को मारने की योजना बनाई थी, जिसका जिम्मा अजीत डोभाल के हाथों में था। डोभाल साल 2004 से 2005 तक इंटेलिजेंस ब्यूरो के निर्देशक रह चुके हैं। अजीत डोभाल ने दशकों तक कई ऑपरेशन विंग की कमान संभाली है। खूफिया जानकारी निकालने के मामले में उन्हें महारथ हासिल है।
कश्मीर में पोस्टिंग के दौरान जब घाटी जल रही थी तब अजीत डोभाल ने कुक्के पारे जैसे कुख्यात आतंकी को उकसाकर उन्हीं के बेड़े में दूसरे आतंकियों के खिलाफ कर दिया। इस कदम से कश्मीर में आतंकी घटनाओं को रोकने में काफी मदद मिली। 1999 में हाईजैक हुए एयर इंडिया के विमान IC-814 को जब कंधार ले जाया गया, उस वक्त अजीत डोभाल आतंकियों से समझौता करने की जमीन तैयार कर रहे थे।
डोभाल भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। केरल कैडर से 1968 बैच के आईपीएस टॉपर अजीत डोभाल मिजोरम, पंजाब, कश्मीर, पाकिस्तान और इंग्लैंड में सेवाएं दे चुके हैं। मूलत: उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल से आने वाले अजीत डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की है और आगरा विवि से अर्थशास्त्र में एमएम किया है।
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