Friday 25 August 2017


 26/11..  भगवा_आतंकवाद ..10जनपथ का_खेल

नोट : ये सारी अहम् जानकारियां संजय द्विवेदी जी के फेसबुक वाल से ली गयी है, हमने इसमें कुछ भी एडिट नहीं किया है, जिसकी हम पुष्टि नहीं करते...परन्तु जानकारियां काफी गंभीर है, इसलिए नजरअंदाज नहीं की जा सकती
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2005 में कर्नल पुरिहित ने रिपोर्ट दिया था कि भारत का सर्वोच्च शत्रु दाऊद इब्राहिम मुम्बई में बैठकर नक्सली और ISI के बीच मध्यस्तता कर रहा है...मालदा से दरभंगा तक नक्सलियों को रुपया पैसा हथियार नेपाल ISI दाऊद चीन कांग्रेस सब पता था कर्नल को

इस पर कभी जांच भी नहीं कि गयी कि कैसे दाऊद इब्राहिम भारत की भूमि पर रहा, किसने उसे आश्रय दिया, कौन कौन राजनैतिक व्यक्ति उसके सम्पर्क में थे, पुलिस को जानकारी थी किन्तु पुलिस एक प्रकार से दाऊद के कवच के रूप में तैनात थी..2005 में अजीत डोवाल को मुंबई में पुलिस ने पकड़ लिया था क्योंकि उनके पास दाऊद को पकड़ने का पूरा प्लान था..
* 10जनपथ का_खेल
26/11 को जो होने वाला था कर्नल पुरोहित को पता था, लेकिन उनको कुछ दिन पहले चोरों के माफिक भोपाल हवाई अड्डे पर ही पकड़ लिया गया..जिनको शंका है वो जरा तारीखे पता कर लें..
26/11 पहले गुजरात में करना था, निशाने पर कोई और नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी थे पर ये हमला मुम्बई में करना पड़ा क्योंकि गुजरात पुलिस अपने मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए अत्यंत सक्रिय थी.. याद कीजिये आतंकियों की बात पहले गुजरात के तट पर ही देखी गयी थी किन्तु वहां दाल नहीं गली तो मुम्बई फारवर्ड किया गया था..

 भगवा_आतंकवाद क्यों गढ़ा गया..
ISI के Lt. Gen. Pasha ने वास्तव में यह शब्द गढ़े थे जिसपर 10 जनपथ सहमत था.. दिग्गी को निर्देश मिले,
मप्र के धार में दिग्गी ने सिमी का गढ़ बना रखा था, उधर से स्लीपर सेल मुम्बई पहुंचे, बच्चों के लिए खाने रहने की व्यवस्था की गई..बच्चे आ रहे थे कर्नल पुरोहित को पता था...

कर्नल को जेल क्यों हुई
कर्नल बहुत कुछ जानते थे और जिसकी जानकारी वे लगातार सेना को दे रहे थे, वह जानकारी सेना के एक वरिष्ठतम अधिकारी को पता थी, वहां से 10 जनपथ तक खबर हो रही थी..


दिग्गी अपनी तैयारी में थे, कुछ ATS वालों को पहले से फोन पर बातें किया करते थे..पर फोन पर जिनसे बातें किया करते थे उनको बोत से आने वाले बच्चे नहीं पहचानते थे..कोऑर्डिनेशन में गड़बड़ हुई, ATS वाले अपनो से मिलने पहुंच गए "टहलते" हुए, बच्चों ने पुलिस की गाड़ी पर ak47की मैगजीन खाली कर दी, फिर गाड़ी को खाली किया और मुंबई सैर पर निकल गए..
उधर दिग्गी पहले ही भगवा आतंकवाद की कहानी पर किताबों की प्रूफ रीडिंग करवा चुके थे, बच्चे मुम्बई में उतरे तो उन्हें कलावे पहना दिए गए, बच्चों को निर्देश था कि जिंदा नहीं पकड़े जाना नही तो अम्मी अब्बू बहन भाई सब ऊपर ही मिलेंगे..

एक पुलिस अधिकारी को आतंकियों ने मार दिया, पुलिस अधिकारी को मरणोंपरान्त मेडल से सम्मानित किया गया..बाद में दिग्गी चुप नही रहे बता बैठे की एक दिन पहले ही दोनों की बात हुई थी, क्यो बताया, क्योंकि यदि नहीं बताते और कहीं गलती से जांच हो जाती तो फोन कॉल डिटेल्स में नाम तो आना ही था.. चौबेजी बनने चले थे छबे जी बनकर लौट आये..
बस यहीं मात खा गया 10 जनपथ..
आपने सुना होगा कि सबसे पहले शारद पवार ने हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा भारत मे दी थी - डीपी त्रिपाठी ने कहा है..बच्चे आये थे, कलावे पहन कर.. जिंदा नहीं पकड़े जाने, बार बार हमने रिकार्डेड बातचीत में सब सुन है,, पर तुकाराम,, हवलदार तुकाराम तो बहुत दूर चौपाटी के करीब थे, उनको तो बस माँ भारती की सेवा करनी थी..सो पकड़ लिया कसाब को, जिंदा..खुद तुकाराम तो वास्तव में शहीद हो गए पर हिन्दुओ को जीवन दे गए, खुद विषपान कर नीलकण्ठ हो गए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अमरता का अमृत दे गए ..
ये भारतीय नाहक ही देशभक्ति दिखा जाते हैं नहीं तो आज जिन मोदी जी के सामने विपक्ष शून्य हो चुका है उस स्थान पर राऊल बाबा होते, सल्तनत बरकरार रहती..
 पाकिस्तान ने साझा जांच के लिए कर्नल से पाकिस्तान में पूछताछ की बात की बार कही थी जिसपर तत्कालीन सरकार क़ानूनी दांवपेंच सुलझाने में लगी थी..वास्तव में पाकिस्तानी ISI को यह पता करना था कि 10 जनपथ के साथ मिलकर उनके बनाये इतने पुख्ता प्लान के बारे में कर्नल को पता कैसे चला..पर कर्नल तो सख्त जान निकले, माँ भारती के सच्चे सपूत, शरीर तोड़ दिया उन लोगों ने लेकिन जमीर नहीं तोड़ पाए..
"26/11 - आरएसएस की साजिश" किताब छापी जा चुकी थी क्योंकि तबतक प्लान के अनुसार कोई भी बच्चा जिंदा नहीं बचने वाला था, अधिकारी महोदय भी यही सुनिश्चित करने निकले थे कि अस्पताल से निकलेंगे, हाँथ मिलाएंगे फिर निबटा देंगे पर बच्चे सयाने थे, उन्होंने कन्फ्यूजन में अधिकारी महोदय को निबटा दिया...
भारतीय सेना की खुफिया विंग के एक प्रमुख अधिकारी को पकड़ लिया गया और उधर खलबली मचा दी गयी ..
इधर बच्चों को लाने की व्यवस्था कर दी गयी और बोट मुम्बई में लगा दी गयी..वैसे भारतीय समुद्री सीमा सुरक्षा बल जो पाकिस्तानी मछुआरों को 1 किलोमीटर के दायरा पार करते ही पकड़ लेता है उनपर क्या आप शंका कर सकते हैं कि मुम्बई तक बोट पहुंच गई और किसी को भनक तक नहीं लगी..?
याद कीजिये, सुबह वो पाकिस्तानी हवाई जहाज जो पाकिस्तान से उड़ा था और जिसने भारत मे हथियार गिराए थे..वो हथियार कहाँ गए,? वो हवाई जहाज किसी भी रडार की पकड़ में क्यों नहीं आया...? कोई तो है जो एक साथ सभी संस्थाओं के रडार जरूरत के समय  बन्द कर देता है.. कौन हो सकता है..?

इसी बीच सत्ता परिवर्तन हो गया, पूरा खेल बिगड़ गया, सब के सब अपनी बारी की प्रतीक्षा में बैठे हैं कि कब उनके कर्म उन पर लौटकर पड़ते हैं.. पड़ेंगे जरूर..मुझे इस बात में कोई शंका नहीं कि भारत के पास एक डोवाल हैं तो साथ ही एक पुरोहित भी है..डोवाल खुद पाकिस्तान में थे तो कर्नल भारत मे छिपे पाकिस्तान के बीच स्थापित थे..
नोट : ये सारी जानकारियां हमे संजय द्विवेदी जी के हवाले से प्राप्त हुई है
जानकारियां बेहद गंभीर है, इसलिए नजरअंदाज नहीं की जा सकती, सरकार इन सभी पहलुओं की उचित जांच बिठाये

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