Thursday 24 August 2017

durbhagya ...log aap ke liye jan de rahe hain aur aap us or dekhte bhi nahi ....

 भारत मे ही मौत से बदतर प्रताड़ना झेलता वो  कर्नल श्रीकांत पुरोहित था, जिसने भारत की रक्षा के लिए वर्दी पहनी थी और उस वर्दी का कर्ज वो बखूबी अदा भी कर रहा था ... सेना का  अफसर अपने ही देश में काल कोठरीमें 9 सालों तक अंतहीन प्रताड़ना झेलता रहा..
.भारतवर्ष का एक जांबाज़ फौजी, देशभक्ति की ऐसी सज़ा उनसे पाता रहा, जिनके हाथों में देश की बागडोर थी l सेना का ऐसा टॉर्चर शायद किसी दुश्मन देश ने भी न किया हो, लेकिन सेना का ये बहादुर अफसर अंत तक बर्दाश्त करता रहा, टूटा नहीं ...इस उम्मीद में कि कभी तो सच की जीत होगी ही होगी, और अंत में वो वक़्त आ गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी ज़मानत आख़िरकार मंजूर कर ही ली...

कर्नल पुरोहित ने पिछले 9 सालों में जो यातनाएं झेली है, उसका वर्णन करना भी मुश्किल है ...इनकी पत्नी और बच्चों ने जो पीड़ा सही है, वो उनके अलावा कोई नहीं समझ सकता ...
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पुरोहित को मिली ज़मानत के साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हुई हैं। वह कोर्ट के आदेश के बिना देश नहीं छोड़ सकेंगे। उनका पासपोर्ट कोर्ट के पास जमा होगा। अगर कोर्ट की ओर से निर्देश मिला तो पुरोहित को पेश होना पड़ेगा। इसके अलावा, जांच के संदर्भ में एनआईए की मदद भी करनी होगी। कोर्ट ने पुरोहित से यह भी कहा है कि वह इस मामले से जुड़े किसी भी गवाह से दूरी बरतें। 
जेल से रिहा होनेके बाद भारतीय सेना के ख़ुफ़िया मिशनमें काम कर रहे कर्नल पुरोहित का सम्मान ऐसा कि उन्हें लेने खुद सेना की गाड़ी जेल पहुंची l  रिहाई से एक दिन पहले कर्नल पुरोहित ने मीडिया से बात कि थी और जब उनसे पूंछा गया कि जेल में 9 साल गुजारकर गुस्सा नहीं आता, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं किसी और को नहीं, अपनी किस्मत को दोष देता हूं।
’ क्या उन्हें लगता है कि इस मामले में उन्हें फंसाया गया है,
 इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘यह एहसास भर नहीं है, यह हकीकत है।’क्यों फंसाया गया, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मुझे कारण पता है, लेकिन मैं आपको अभी नहीं बताऊंगा।’ 
हालांकि, पुरोहित ने केससे जुड़ी कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया। पुरोहित ने कहा कि उन्हें फिलहाल कोई आइडिया नहीं है कि उनकी नई पोस्टिंग क्या होगी। उन्होंने कहा, ‘मैं पहले घर जाऊंगा,फिर देखूंगा।…पोस्ट बिलकुल मायनेनहीं रखता, मैं बस अपने काम को बेहतरीन ढंग से करने की कोशिश करूंगा।’

कर्नल पुरोहित की रिहाई के साथ ही अब इस मामले में बड़ी साज़िश का खुलासा होने लगा है l ख़बर है कि कर्नल पुरोहित सेना की ख़ुफ़िया विंग के कर्नल थे और उनका सीक्रेट मिशन था देशभर में पनप रही देशद्रोही ताक़तों को बेनक़ाब करके उसकी रिपोर्ट शासन को देना, ताकि इन मज़हबी कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ उचित कार्यवाही की जा सके l हर बार वो अपनी रिपोर्ट में ज़िक्र करते कि देश में मज़हबी कट्टरपंथी तेजी से बढ़ रहे हैं और देश के ही ख़िलाफ़ ही साज़िश रच रहे हैं लेकिन हर बार उनकी रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल दिया जाता क्योंकि असल मे जिन्हें वो देश के लिए ख़तरा बता रहे थे वही उस कांग्रेस सरकार के वोटबैंक थे ...

अपने ख़ुफ़िया मिशन के तहत वो ऐसे-ऐसे राज जान गए, जिनमें से कुछ में देश के कई कद्दावर नेताओं के नाम भी शामिल थे l कर्नल पुरोहित कहीं भांडा ना फोड़ दें, इसलिए उन्हें रास्ते से हटाने के लिए पूरी साज़िश रच दी गयी ..... ये ठीक ठीक वैसे ही किया गया जैसे कश्मीर के मच्छिल सेक्टर में तैनात कर्नल डी के पठानिया के ख़िलाफ़ रची गयी थी और उन से पूछा गया था कि, “ज्यादा देशभक्ति सवार है क्या ?”... 
मगर देशभक्त किसी धमकी से तो दूर मौत से भी नही डरते और बिलकुल ऐसा ही हुआ कर्नल श्रीकांत पुरोहित के साथ l इसके बाद सत्ता के शहंशाहो ने मोर्चा संभाला और उसी समय पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी को बेहद गुपचुप तरीके से रिहा कर दिया गया, क्योंकि इस केस में सेना के इस जांबाज़ अफसर को फिट जो करना था ...
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 इसके बाद मेज़ पर बैठ कर कुछ नेताओं और लालची पुलिस वालों ने बनायी पूरी कहानी और शुरू हो गया उस पर अमल l नापाक योजना पर अमल कर के सेना के अफ़सर और एक साध्वी को घोषित कर दिया गया आतंकी ... “आतंक का मज़हब नहीं होता” का राग अलापने वाली कांग्रेस ने तुरंत हिन्दू आतंकवादजुमले को गढ़ दिया और कांग्रेस के कई नेता एक स्वर में हिन्दू आतंकवाद का राग अलापने लगे ...
मीडिया के भी ठीक वही सुर थे, जो सत्ता के शहंशाहों के थे l कांग्रेसी नेताओं ने खुलकर हिन्दूआतंकवाद पर बयान जारी किये और दिग्विजय सिंह ने तो हिन्दू आतंकवाद पर बाक़ायदा किताब तक लिख डाली l बहरहाल वहां मेज पर बैठकर रची गयी पटकथा के अनुसार कार्यवाही शुरू कर दी गयी .... उसी समय पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी को बेहद गुपचुप तरीके से छोड़ दिया गया क्योंकि उसमें  फिट करना था फौज के इस जांबाज़ अफसर को .. फिर मेज़ पर बैठ कर बनी पूरी स्टोरी और शुरू हो गया उस पर अमल .. और  साधु को घोषित करा दिया गया आतंकी ..
अचानक ही कुछ मीडिया भी चिल्लाने लगी ,, ठीक वही सुर थे जो सत्ता के शहंशाहों के थे .. शुरू हुआ हंगामा और रच दी गयी पूरी पटकथा .. कर्नल का टार्चर करने के लिए जो रास्ता अपनाया गया वो शायद कुलभूषण के लिए पाकिस्तान ने न अपनाया हो अब तक ..
कोई निर्दोष व्यक्ति ऐसे ही तो किसी गुनाह को तो अपने सिर पर लेगा नहीं, ऊपर से सेना का अफ़सर तो बिलकुल भी नहीं l इसलिए कर्नल का टार्चर करने के लिए जो रास्ता अपनाया गया, वो शायद कुलभूषण के लिए पाकिस्तान ने भी नहीं अपनाया हो ...कर्नल पुरोहित को उल्टा लटकाया गया ... उनके दोनों हाथों को बांध कर उनके पैरों के तलवो पर लाठियों की बरसात की गई,... फिर एक पुलिस वाले ने पूछा कि घुटनो पर चोट कैसे लगी तो उन्होंने बताया कि कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान एक गोली लगी थी, जिसका ऑपरेशन है ये और ये अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है ...लालच से भरे पुलिस वालों ने ये बातATS प्रमुख हेमंत करकरे को बताई, तो हेमंत करकरे ने कहा वहीँ मारो जहाँ घाव है ...हेमंत करकरे ने खुद कर्नल पुरोहित के दोनों पैरों में रस्सियां बाँधी और अलग अलग दिशाओं में उनके पैरों को चीरा, ... कर्नल पुरोहित को इस तरह पीटा जाता था की उनके शरीर में 27 जगह हड्डियां तोड़ी गयी
  कर्नल को तब तक मारा गया, जब तक वो बेहोश नहीं हो गए ...उन्हें होश में लाया गया और गुनाह कबूलने को कहा गया l मना करनेपर उन्हें फिर तब तक मारा गया, जब तक वो फिर से बेहोश नहीं हो गए ... भारत मे ही मौत से बदतर प्रताड़ना झेलता वो कर्नल था, जिसने भारत की रक्षा के लिए वर्दी पहनी थी और उस वर्दी का कर्ज वो बखूबी अदा भी कर रहा था l जिसने देश की रक्षा के लिए आतंकियों की गोली खायी थी, सेना का वही अफसर अपने ही देश में काल कोठरीमें 9 सालों तक अंतहीन प्रताड़ना झेलता रहा l काफी कोशिशों के बावजूद मुंबई एटीएस अपने इरादों में कामयाब नहीं हो पायी, और उसके हाथ कर्नल के ख़िलाफ़ कोई पुख्ता सबूत नहीं लगे ...
 जब ऐसा हुआ तो साजिश को नया मोड़ दिया गया l कोशिशकी गयी कि मामले को ज्यादा से ज्यादा लंबा खींचा जाए, और उस दौरान कर्नल की जमानत ना होने दी जाए बस, क्योंकि यदि बाहर आ गए तो चुनाव से पहले कांग्रेस का भांडा फोड़ सकते हैं ...भारतवर्ष का एक जांबाज़ फौजी, देशभक्ति की ऐसी सज़ा उनसे पाता रहा, जिनके हाथों में देश की बागडोर थी l सेना का ऐसा टॉर्चर शायद किसी दुश्मन देश ने भी न किया हो, लेकिन सेना का ये बहादुर अफसर अंत तक बर्दाश्त करता रहा, टूटा नहीं ...इस उम्मीद में कि कभी तो सच की जीत होगी ही होगी, और अंत में वो वक़्त आ गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी ज़मानत आख़िरकार मंजूर कर ही ली... 

 भारत वर्ष का एक जांबाज़ फौजी देशभक्ति की ऐसी सज़ा उनसे पाता रहा ...जिनके हाथों में देश की बागडोर थी ... सेना का ऐसा टॉर्चर शायद किसी दुश्मन देश ने भी न किया रहा हो ...हांलाकि लड़ाई अभी ख़त्म नहीं हुई है और तब तक ख़त्म नहीं हो सकती जब तक उन पुलिसिया दलालों और सत्ता के भूखों को क़ानूनन सजा नहीं मिल जाती...
कांग्रेस का गृहमंत्री सुशिल कुमार शिंदे 2013 में बोल रहा था की निर्दोष मुस्लिमो को हिरासत में न रखें पर कर्नल पुरोहित जैसे हिन्दुओ की इसी कांग्रेस ने 27 जगह हड्डियां तोड़ी ...ये वही कांग्रेस है जिसने पाकिस्तानी इस्लामिक आतंकवादी अज़मल कसाब को एयर कंडीशन जेल दी थी, और उसके फरमाइश के हिसाब से उसे खाना, बिरयानी सप्लाई की जाती थी, और ये बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद सरकारी वकील उज्वल निकम ने बताई थी

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