Sunday 13 August 2017

भारत की देसी गाय नहाने वाला पशु नहीं है । 
जी हाँ , बहुत से पाठक नहीं जानते होंगे कि गाय की मूल प्रकृति स्नान की नहीं होती । जी हाँ , गाय ऐसा जीव है जो प्रकृति में जीवन में कभी स्नान नहीं करता । 
गाय को पानी से सख्त नफरत होती है । वो पानी और कीचड से हमेशा दूर रहना चाहती है , सूखी जगह में । 
इसके विपरीत भैंस पानी और कीचड को पसंद करती है । कीचड में लथपथ हो के लेटना भैंस को बेहद पसंद होता है । उसी तरह उसे नदी , नहर तालाब में नहाना भी बहुत पसंद होता है ।
गाय स्वभावतः बेहद sensitive पशु होता है । हमेशा सूखी जमीन पे ही बैठना पसंद करती है । यदि वर्षा ऋतू में कीचड हो गया है तो गाय सारी रात खड़ी रह जायेगी पर बैठेगी नहीं । इसके अलावा गाय को स्पर्श भी पसंद नहीं । अपने मालिक का स्पर्श भी उसे मंज़ूर नहीं होता । यदि आप गाय को हल्का सा भी छू दें तो उसके रोम खड़े हो जाएंगे और वो परेशान हो जायेगी , और आपसे दूर हो जायेगी । 
यदि आपको गाय को दुलारना है तो सिर्फ और सिर्फ उसकी गर्दन के नीचे जो ढीली ढाली त्वचा होती है , उसे सहलाइए । पीठ पे भूल के भी हाथ मत फेरिये । 
इसके अलावा एक और बात ये कि गाय सूखी कच्ची मिट्टी पे बैठना या खड़े होना ही पसंद करती है । इसलिए भरसक कोशिश कीजिये कि आपकी गौशाला का फर्श मिट्टी का हो । पक्की ईंटों का या पत्थर , concrete का फर्श गाय को पसंद नहीं । पक्के फर्श पे उनके खुर खराब हो जाते हैं । इसके अलावा पक्के फर्श पे बैठ के उनको आराम नहीं मिलता । संभव हो तो फर्श की मिट्टी soft हो , वो जिसे बलुई मिट्टी कहते हैं , बालू मिश्रित ।
इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण कि भारत की देशी गाय , गर्म जलवायु का पशु है और गर्मी को पसंद करता है । सर्दियों में देशी गाय परेशान रहती है , ठंडी हवा से बचती है । भरसक गर्म जगह पे रहना पसंद करती है । इसलिए यदि आप गर्मियों में अपनी गाय को AC , या कूलर में बांधते हैं तो आप अपनी गाय पे अत्याचार कर रहे हैं । 
यदि बेतहाशा गर्मी है और तापमान 45℃ या उस से ज़्यादा है तो गौशाला में पंखा चला सकते है । यदि गाय खुली हवा में पेड़ की छाया में बंधी है तो ये सबसे अच्छा है । खुली हवा में तो पंखे की भी जरुरत नहीं ।
अब गाय के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात । 
गाय स्वभावतः बंध के नहीं रहना चाहती । उसे अपनी स्वतंत्रता बेहद प्रिय है । इसलिए , यदि संभव हो तो उसे खूंटे से बाँधने की अपेक्षा एक बाड़े में खुला छोड़ दीजिये । ध्यान दीजिये कि बाड़े में छायादार पेड़ हों । गाय अपनी सुविधानुसार धुप या छाया में बैठ जायेगी ।
गाय जंगल / चारागाह में खुला घूम के चरना पसंद करती है और जमीन पे लगी घास चरना पसंद करती है । उसे नांद में भूसा खाना पसंद नहीं । पर आज के युग में न वन रहे न चारागाह । फिर भी आप यदि गाय पालते हैं तो उसे थोड़ी देर के लिए ही सही , मने अगर आधा घंटा भी यदि घुमा लाएं , या कही खेत में चरा लाएं तो गाय बहुत ज़्यादा प्रसन्न होती है ।
मुझे याद है , मेरे पिता जी को अपने पशु चराना बहुत पसंद था । वो रोज़ाना शाम लगभग 3 बजे सभी गाय भैंस खोल देते और उन्हें सामने नहर पे ले जाते । गायें तो आराम से नहर किनारे चरती रहती और भैंसें सीधे नहर के पानी में घुस के नहाने लगती । दो घंटे बाद गाय तो अपने आप लौट आतीं पर भैंसें नहर से निकलना नहीं चाहती थी । उन्हें ज़बरदस्ती निकालना पड़ता था ।
बड़ी मज़े की बात ये कि जो गाय हमेशा बंधी रहती है , वो कभी अगर छुड़ा ले तो जल्दी पकड़ में नहीं आना चाहती ......... She'll enjoy all her freedom and all the shortlived fun ......... पूरी धमाचौकड़ी मचा के , फुल उत्पात करके , घंटा दो घंटा अपने मालिक को परेशान करके ही वापस खूंटे पे आएगी ।
इसका मनोवैज्ञानिक इलाज ये है कि ऐसी गाय को आप रोज़ाना शाम को घुमाना टहलाना चराना शुरू कर दीजिये । वो उत्पात करना बंद कर देगी ।
अंत में एक बात , मेरे पिता जी जब तक जिए , उन्होंने अपने पशु अपने बच्चों की तरह पाले । बाकायदा उनसे बात करते थे । अपने हाथ से खिलाते टहलाते थे । और उनकी गाय तो क्या ,उनकी भैंस भी उनकी आवाज़ सुन रम्भाने लगती थीं ।
गाय एक सामाजिक प्राणी है । वो भी आपसे घुल मिल के रहना चाहती हैं ।
उन्हें भी आपका साहचर्य चाहिए ।

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