विभाजन, 1947,लाहौर
यह अविभाजित भारत का सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशन लाहौर है , विभाजन के समय लाहौर की जनसंख्या में 55 प्रतिशत हिन्दू-सिख थे, लाहौर व्यापारिक,कृषि और आधुनिकता के आधार पर अविभाजित भारत का समृध्दतम जिला था और संयुक्त पंजाब की राजधानी भी ! लाहौर हिंदुओं और सिक्खों की बनवाई सुंदर हवेलियों के लिए मशहूर था ,लाहौर के अनारकली बाजार की मोहब्बत में देश के बुजुर्ग और नौजवान गिरफ्तार थे ,
आह ! लाहौर की नदियों के चौड़े खूबसूरत पाट और सुंदर घाट ! कहते हैं "जिसने लाहौर नही देखा,उसने कुछ नही देखा" ! भगवान श्रीराम के पुत्रों लवकुश के द्वारा बसाए गए नगर लाहौर को दो नदियों रावी और सतलज का जीवनदायिनी जल मिलता था !!
लाहौर चूंकि हिन्दू-सिख बाहुल्य था और ग्रामीण इलाकों में तो सिक्ख दबदबा था,अंतः जुलाई 1947 तक अधिकांश हिन्दू-सिख जनता निश्चित थी कि लाहौर तो भारत का हिस्सा ही रहेगा, परंतु जिन्ना की इस मांग पर कि "पाकिस्तान को एक आधुनिक शहर तो मिलना ही चाहिए" पर कांग्रेसियों ने बगैर यह विचार किये, सहमति दे दी कि रावलपिंडी,कराची,सरगोधा, हैदराबाद ,झेलम,मुल्तान ,ढांका और चटगांव जैसे बड़े शहर पाकिस्तान को पहले से ही मिल ही रहे थे !!
पचपन प्रतिशत हिन्दू-सिखों को लाहौर से मार-काट-अपहरण-बलात्कार-लूट के पश्चात भी एक-दो महीने में आसानी से निकालना संभव नही था अतः मुसलमानों ने सैकड़ों जिहादी-रजाकार दस्ते बनाए ,मस्जिदें और मदरसे,कमांड सेंटर और आक्रमण हेतु लांचिंग पैड बने ! जुलाई-अगस्त 1947 के महीनों में अधिकांश हिंदुओं की सफाई कर दी गई,घरों,मंदिर-गुरुद्वारों और अस्पतालों में छिपे हिन्दू-सिखों को मार डाला गया,शेष छुपते -छुपाते भारत की ओर भागे ,
औरतों पर इतने बलात्कार हुए कि सैकड़ों हिन्दू-सिख औरतों ने बलात्कार के दौरान ही दम तोड़ दिया,हज़ारों को बलात्कार के बाद मार डाला गया ! शेष का अपहरण कर, उनको मुस्लिम बना कर मुस्लिम गुंडों से निकाह करा दिया गया ! बची-खुची हिन्दू-सिख स्त्रियों की मंडियां लगाईं गईं और 25-50 रु तक मे नीलामी की बोली लगाकर हिन्दू-सिख औरतों को बेचा गया !
15 अगस्त 1947 की रात जब नेहरू पार्लियामेंट में खुशी से झूमते हुए 'ट्रिस्ट विध डेस्टिनी' वाला ऐतिहासिक भाषण दे रहे थे ,उस वक्त लाहौर का आसमान आग की लपटों से लाल था, हज़ारों हिन्दू-सिख जलते हुए घरों,मंदिरों,गुरुद्वारों में तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे थे ,शेष को तलवारों से सड़कों पर लाकर काटा जा रहा था !!
आह ! लाहौर की नदियों के चौड़े खूबसूरत पाट और सुंदर घाट ! कहते हैं "जिसने लाहौर नही देखा,उसने कुछ नही देखा" ! भगवान श्रीराम के पुत्रों लवकुश के द्वारा बसाए गए नगर लाहौर को दो नदियों रावी और सतलज का जीवनदायिनी जल मिलता था !!
लाहौर चूंकि हिन्दू-सिख बाहुल्य था और ग्रामीण इलाकों में तो सिक्ख दबदबा था,अंतः जुलाई 1947 तक अधिकांश हिन्दू-सिख जनता निश्चित थी कि लाहौर तो भारत का हिस्सा ही रहेगा, परंतु जिन्ना की इस मांग पर कि "पाकिस्तान को एक आधुनिक शहर तो मिलना ही चाहिए" पर कांग्रेसियों ने बगैर यह विचार किये, सहमति दे दी कि रावलपिंडी,कराची,सरगोधा, हैदराबाद ,झेलम,मुल्तान ,ढांका और चटगांव जैसे बड़े शहर पाकिस्तान को पहले से ही मिल ही रहे थे !!
पचपन प्रतिशत हिन्दू-सिखों को लाहौर से मार-काट-अपहरण-बलात्कार-लूट के पश्चात भी एक-दो महीने में आसानी से निकालना संभव नही था अतः मुसलमानों ने सैकड़ों जिहादी-रजाकार दस्ते बनाए ,मस्जिदें और मदरसे,कमांड सेंटर और आक्रमण हेतु लांचिंग पैड बने ! जुलाई-अगस्त 1947 के महीनों में अधिकांश हिंदुओं की सफाई कर दी गई,घरों,मंदिर-गुरुद्वारों और अस्पतालों में छिपे हिन्दू-सिखों को मार डाला गया,शेष छुपते -छुपाते भारत की ओर भागे ,
औरतों पर इतने बलात्कार हुए कि सैकड़ों हिन्दू-सिख औरतों ने बलात्कार के दौरान ही दम तोड़ दिया,हज़ारों को बलात्कार के बाद मार डाला गया ! शेष का अपहरण कर, उनको मुस्लिम बना कर मुस्लिम गुंडों से निकाह करा दिया गया ! बची-खुची हिन्दू-सिख स्त्रियों की मंडियां लगाईं गईं और 25-50 रु तक मे नीलामी की बोली लगाकर हिन्दू-सिख औरतों को बेचा गया !
15 अगस्त 1947 की रात जब नेहरू पार्लियामेंट में खुशी से झूमते हुए 'ट्रिस्ट विध डेस्टिनी' वाला ऐतिहासिक भाषण दे रहे थे ,उस वक्त लाहौर का आसमान आग की लपटों से लाल था, हज़ारों हिन्दू-सिख जलते हुए घरों,मंदिरों,गुरुद्वारों में तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे थे ,शेष को तलवारों से सड़कों पर लाकर काटा जा रहा था !!
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