Friday, 25 August 2017

यह सब देशद्रोह नहीं तो और क्या है..?


भारतीय सेना के विरोध के बावजूद कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के लिए साज़िश के तहत कर्नल पुरोहित को न केवल जेल में रखा बल्कि उन्हें मारा पीटा, गालियाँ दी। देश पर मर मिटने वाले सेना के एक बहादुर अधिकारी को अपने ही देश में भयंकर यातनाएं दी गईं। इतना ही नहीं, कांग्रेस के बेशर्म नेताओं ने "हिंदू आतंकवाद" जैसा शब्द तक गढ़ दिया। कर्नल पुरोहित का मामला जानने के बाद हर हिंदुस्तानी कांग्रेस से बेइंतिहा नफ़रत करेगा। उसे यक़ीन हो जाएगा कि कांग्रेसी होना या देशद्रोही होना एक ही बात है। देश का सबसे ख़राब गृहमंत्री था सुशील शिंदे जिसने "हिन्दू आतंकवाद" का नाम जोड़ा वो भी एक विदेशी महिला को खुश करने के लिए

सेना समेत किसी भी सरकारी अधिकारी की गिरफ़्तारी के बाद उसे निलंबित कर दिया जाता है। यह नियम है।
केंद्र सरकार की हिदायत के बावजूद सेना ने कर्नल पुरोहित को बर्खास्त नहीं किया। बल्कि पूरे नौ साल तक उन्हें वेतन और आवास की सुविधाएँ देती रही। सेना पूरी मज़बूती के साथ कर्नल पुरोहित के साथ खड़ी रही। क्योंकि वे सारे काम सेना प्रमुख के निर्देश और उनकी जानकारी में कर रहे थे। वे आतंकियों के ख़िलाफ़ सेना के मिशन पर काम कर रहे थे। सरकारी फ़ोन का इस्तेमाल कर रहे थे। यह सारे तथ्य सेना के शीर्ष अधिकारियों के दस्तखत समेत अदालत के दस्तावेज़ों में दर्ज हैं। वरना क्यों नेशनल इन्वेस्टीगेटिव एजेंसी नौ सालों तक कर्नल का बाल भी बाँका न कर पाई ?
यह सब देशद्रोह नहीं तो और क्या है?
ख़ास बात यह थी कि मालेगांव ब्लास्ट में अमेरिका समेत सारा विश्व बोल रहा था इसमें पाकिस्तान का हाथ है. अमेरिका ने तो इस ब्लास्ट के लिए लश्कर आतंकी आसिफ कस्मानी को दोषी मानते हुवे यूनाइटेड नेशन में अपील की थे कि इसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जाए.
इधर भारत की तत्कालीन कांग्रेस सरकार बोल रही थी, पाकिस्तान निर्दोष है, लश्कर आतंकी संगठन नहीं है. मालेगांव आदि में बम प्लांट करने का काम हमारी सेना कर रही है और भारत की सेना का अधिकारी इसका मुख्य किंगपिन है.

देशद्रोह की जब पुस्तक लिखी जायेगी तो चंद वोटों के लिए मालेगांव ब्लास्ट में कांग्रेस द्वारा कर्नल पुरोहित को फंसाना उसमें पहला अध्याय होगा. समझौता एक्स्प्रेस मामले में मात्र 14 दिनों में कांग्रेस ने पाकिस्तानी आतंकियों को भारत से भगाया..
कर्नल पुरोहित तो 100% निर्दोष साबित होंगे, किन्तु कांग्रेस की सरकार क्या पाकिस्तानी ISI और आतंकी संगठनों के साथ मिलीभगत में भारत मे दहशत फैला रही थी.. करकरे ने क्या क्या करा था और क्यों उसकी भी बलि चढ़ाई गई कलावा चढ़ाए हुए कसाब द्वारा??
     का समझे बाबू या अब भी कड़ियाँ नही मिला पा रहे? यदि तुकाराम ने कसाब को जीवित नही पकड़ा होता तो कसाब को हिन्दू घोषित किया जाता और हिंसा बिल भी लाया जाता और फिर शायद इस देश मे शुरू होता हिंदुओं का असली दमन और बीस वर्षों में इस देश मे हिन्दू अल्पसंख्यक कर दिए जाते.....किन्तु राष्ट्रवादी हिंदुओं ने प्रचंड बहुमत देकर खूनी पंजे की इस कुटिल मंशा को धराशायी कर दिया....!!


सत्ता के मद और आकांक्षाओं की हवस ने तबाह कर दिए हिन्दू साध्वी और हिन्दुओ के जीवन के दस साल और उनकी जवानी और कर्मशीलता के जीवन को। अब मालेगांव धमाके की आड़ में हिन्दुओ को फंसाने की साज़िश रचने वालो की न केवल जांच होनी चाहिए बल्कि फास्टट्रैक कोर्ट में इनके खिलाफ मुकद्दमा भी चलना चाहिए।जिससे साजिश रचने वाले हर नेता और अधिकारियों को सज़ा मिले।

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