Wednesday, 30 August 2017

पानी कम होते ही 35 साल बाद दिखा ये प्राचीन मंदिर, पांडव बना रहे थे स्वर्ग का रास्ता

जाब के तलवाड़ा शहर से करीब 34 किलोमीटर की दूरी पर पोंग डैम की झील के बीच बना एक अद‌्भुत मंदिर, जो साल में सिर्फ चार महीने ही नजर आता है। बाकी समय मंदिर पानी में ही डूबा रहता है। पानी उतरने के कारण अब ये मंदिर नजर आने लगा है जिससे यहां पर टूरिस्ट का आना शुरू हो जाएगा।मंदिर बहुत ही मजबूत पत्थर से बना है और इसलिए 35 साल पानी में डूबने के बाद यह मंदिर वैसा का वैसा ही है। इन मंदिरों के पास एक बहुत ही बड़ा पिल्लर है। जब पौंग डैम झील का पानी काफी ज्यादा होता है तब यह सभी मंदिर पानी में डूब जाते है, लेकिन सिर्फ इस पिल्लर का ऊपरी हिस्सा ही नजर आता है।इस मंदिर के पत्थरों पर माता काली और भगवान गणेश जी के प्रीतिमा बनी हुई है। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु और शेष नाग की मूर्ति रखी हुई है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। मंदिर के आस-पास टापू की तरह जगह है जिसका नाम रेनसर है। रेनसेर में फॉरेस्ट विभाग का गेस्ट हाउस है। यहां पोंग डैम बनने से पहले देश के कोने-कोने से लोग यहां दर्शन करने के लिए आते थे।यहां पर कई तरह के प्रवासी पंछी देखे जा सकते हैं। मार्च से जून तक दूर-दूर से पर्यटक इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए तलवाड़ा से ज्वाली बस द्वारा आया जा सकता है।यहां पर कुल आठ मंदिर हैं, जो कि बाथू नामक पत्थर से बने हैं। इसलिए इसका नाम बाथू की लड़ी पड़ा है। इन मंदिरों के पास एक बहुत बड़ा पिल्लर है, जब झील में जलस्तर बढ़ जाता है तो सिर्फ पिल्लर का ऊपरी हिस्सा नजर आता है। पिल्लर के अंदर लगभग 200 सीढ़ियां हैं। पिल्लर के ऊपर से 15 किलोमीटर तक झील का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।

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