आतंकवादी जब तक निर्दोष लोगों को मारता रहता है तब तक आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन जैसे ही उसे पकड़ लिया जाय या मार दिया जाय तो वो मुसलमान बन जाता है उसे जलाया नहीं दफनाया जाता है, फ़ातिहे पढ़े जाते हैं, उसके जनाजे में हजारों लाखों की संख्या में मुसलमान जाते हैं,,
यहिक उसी तरह देश में कोई जब तक अपराध करता है उसका कोई धर्म या जाती नहीं होती लेकिन जैसे ही वो पकड़ा जाये उसे तुरंत अपना धर्म और जाती याद आने लगती है, और उसी को वो अपने बचाव में प्रस्तुत करता है, ऐसे गद्दारों को तो चौराहे पर खड़ा कर के गोली मार देनी चाहियें
यहिक उसी तरह देश में कोई जब तक अपराध करता है उसका कोई धर्म या जाती नहीं होती लेकिन जैसे ही वो पकड़ा जाये उसे तुरंत अपना धर्म और जाती याद आने लगती है, और उसी को वो अपने बचाव में प्रस्तुत करता है, ऐसे गद्दारों को तो चौराहे पर खड़ा कर के गोली मार देनी चाहियें
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