Saturday, 12 August 2017

करंट लग जाए तो 

5 मिनट के अंदर  बच सकती है जान...

 जहा घरों में दो पिन वाले बिजली उपकरणों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होता है मानसून के मौसम में हवा में नमी के कारण करंट लगने की आशंका ज्यादा रहती है करंट से लोगों की मौत हो जाती है लेकिन ज्यादातर मौतों को टाला जा सकता है।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि अगर करंट लगने से मौत हो भी जाए तो पीड़ित को कार्डियोप्लमनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की पारंपरिक तकनीक का 10 का फार्मूला प्रयोग करके 10 मिनट में होश में लाया जा सकता है इसमें पीड़ित का दिल प्रति मिनट 100 बार दबाया जाता है।
सबसे पहले तो बिजली के स्रोत को बंद करना जरूरी है। भारत में ज्यादातर मौतें अर्थ के अनुचित प्रयोग की वजह से होती हैं भारत में अर्थिंग या तो स्थानीय स्रोत से प्राप्त की जा सकती है या घर पर ही गहरा गड्ढा खोदकर खुद बनाई जा सकती है।
करंट लगने की हालत में उचित तरीके से इलाज करना बेहद जरूरी होता है। मेन स्विच बंद कर दें या तारें लकड़ी के साथ हटा दें कार्डियो प्लमनरी सांस लेने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दें क्लीनिक तौर पर मृत व्यक्ति की छाती में एक फुट की दूरी से एक जोरदार धक्के से ही होश में लाया जा सकता है।
पुराने समय में गाँवों में जब किसी को करंट लग जाता था तो उसको लोग गाय के गोबर में लीप देते थे, या देसी घी की मालिश किया करते थे, और उसके शरीर पर मिटटी भी रगड़ते थे। जब किसी लड़के को करंट लगा और उसकी पूरी बॉडी की अच्छे से घी से मालिश की और फिर उसको मिटटी में काफी देर तक दबाये रखा। और फिर उसके बाद उसको देसी गाया का गोबर भी लीपा। जिस से उस लड़के की जान बच गयी। उसके तुरंत बाद उसको अस्पताल ले जाया गया।

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