अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कलिखो पुल के 60 पन्नों के सुसाइड नोट में कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं के नाम हैं। उन्होंने कई मशहूर वकीलों और जजों के नाम भी लिखे हैं, जिनकी ओर से उनसे संपर्क किया गया था और फैसला बदलने के बदले में मोटी रकम मांगी गई थी। उन्होंने दिन, तारीख और समय के साथ पूरा ब्यौरा लिखा है। 60 पन्नों का नोट हिंदी में लिखा गया है और टाइप किए गए हर पन्ने पर पुल ने बाकायदा दस्तखत किए हैं। इसलिए इसे बनाया हुआ फर्जी दस्तावेज भी करार नहीं दिया जा सकता है।
कांग्रेस से बगावत कर कलिखो पुल ने बीजेपी की मदद से अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनाई थी। उस वक़्त प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में था, जिससे कलिखो असंतुष्ट थे जिसकी वजह से कलिखो ने कांग्रेस पार्टी से बगावत करने की ठान ली|कलिखो के लिए ऐसा करना आसान नहीं था पर उस वक़्त उनके साथ कांग्रेस पार्टी के ही 19 बागी विधायक भी उनके साथ शामिल हो गए थे। जिसके बाद सरकार गठित करने के लिए उन्हें बीजेपी के 11 और 2 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिल गया था। कलिखो पुल की इस जीत के बाद कांग्रेस का आरोप था कि कलिखो के सहारे बीजेपी अरुणाचल प्रदेश पर काबिज होना चाहती है।
कांग्रेस नें कलिखो के नेतृत्व में गठित सरकार को अवैध ठहरा दिया था। जिसके खिलाफ में कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थी। पर उस वक्त कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली थी।पर थोड़े ही महीनों बाद जुलाई में अदालत की ओर से कांग्रेस को हरी झंडी मिल गयी थी जिसके बाद कलिखो पुल को हटा कर नबाम तुकी को दोबारा मुख्यमंत्री का पद मिल गया था। आखिरी समय में कांग्रेस ने राजनैतिक दांव खेलते हुए नबाम तुकी को हटाकर पेमा खांडू को मुख्यमंत्री बना दिया।
पुल द्वारा लिखे गये इस सुसाइड नोट में कुछ ऐसा लिखा हुआ है जो कई लोगों को बेनकाब कर देगा| यह सुसाइड नोट भ्रष्टाचार के खिलाफ एक व्यक्ति का निजी चार्जशीट है| देश में हो रहे इसी भ्रष्टाचार नें पूर्व मुख्यमंत्री को आत्महत्या करने के लिए विवश किया था| इस नोट में अरुणाचल प्रदेश के कई बड़े नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के सिटींग जज, कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेताओं के अलावा भी प्रदेश के कई सरकारी अधिकारीयों का कच्चा चिटठा लिखा हुआ है| जिसको लेकर पिछले 6 महीने से सरकार और अदालत दोनों ही खामोश दिखे| पर अब इस मामले के लिए सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है|
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