एक युवति एक साधू के पास गई और बोली : ''महाराज ! आपने एक प्रवचन में कहा था कि अहंकार ही सबसे बड़ा पाप है, पर जब मैं शीशा देखती हूं तो सोचती हूं कि मैं कितनी सुन्दर हूं तो मुझे बहुत अहंकार हो जाता है, महाराजजी क्या यह पाप है ?
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साधू ने कहा : ''नहीं बेटी, इसे पाप नहीं गलतफहमी कहते हैं।''
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साधू ने कहा : ''नहीं बेटी, इसे पाप नहीं गलतफहमी कहते हैं।''
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