स्कूल भारत में छोटे छोटे से होते हैं | ऐसा ही एक छोटा सा स्कूल पुणे के पिंपरी नाम के इलाके में है | पिंपरी, चिंचवाड जैसी जगहें पुणे की इंडस्ट्रियल जगहें होती हैं | शहर से थोड़ी बाहर की तरफ | यहाँ पीने के पानी, पौधों के लिए कोई नहीं पूछता | यहाँ “सिटी प्राइड स्कूल” बच्चों से पीने का पानी ले लेता है |
स्कूल के वाटर बोतल में भरा पानी, जो भी बचा हो वो बच्चों से एक ड्रम में जमा करवा लिया जाता है | फिर उनका इस्तेमाल इलाके के पेड़ों में पानी देने के लिए होता है | ये सराहनीय पहल है | इलाके के और स्कूल भी इसका अनुसरण शुरू कर रहे हैं मगर धीमे | हमारे आपके प्रयासों से ये तेज़ हो सकता है |
बच्चों को बोतल का बचा हुआ पानी किसी पेड़ में डालना सिखा दीजिये | ये देश का भविष्य है | कल को ये पेड़ हमारे काम आयेंगे | आपका छोटा सा प्रयास भारत की दिशा और दशा बदल सकता है | हिच्किचायिये मत |
एक छोटा सा प्रयास, 100% आपके बस का !
स्कूल के वाटर बोतल में भरा पानी, जो भी बचा हो वो बच्चों से एक ड्रम में जमा करवा लिया जाता है | फिर उनका इस्तेमाल इलाके के पेड़ों में पानी देने के लिए होता है | ये सराहनीय पहल है | इलाके के और स्कूल भी इसका अनुसरण शुरू कर रहे हैं मगर धीमे | हमारे आपके प्रयासों से ये तेज़ हो सकता है |
बच्चों को बोतल का बचा हुआ पानी किसी पेड़ में डालना सिखा दीजिये | ये देश का भविष्य है | कल को ये पेड़ हमारे काम आयेंगे | आपका छोटा सा प्रयास भारत की दिशा और दशा बदल सकता है | हिच्किचायिये मत |
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