Wednesday, 29 March 2017

अफ़ग़ानों को पंजाब कि धरती से धुल चटाने वाला हिन्दू योधा – महान सिंह बाली

 महान सिंह बाली रणजीत सिंह की सेना के दूसरा प्रमुख सेनापति थे। हरी सिंह नलुआ के बाद उन्हें आधुनिक पंजाब का सबसे सफल जरनैल माना जाता है। इनके पिता का नाम दाता राम था जो की गुजरात के सुलतान की कचहरी में काम करते थे। महान सिंह बाली ने अपने कार्यकाल में पेशावर, नौशेरा ,हरिपुर को जीता और रणजीत सिंह सनसिवाल के साम्राज्य में मिलवाया। इसीलिये रणजीत सिंह ने उन्हें राजा की उपाधि दी।उनकी बहादुरी के चलते लोग उन्हें “मनशेरा” कह कर पुकारते थे। हरि सिंह नलुवा की मौत के बाद महान सिंह बाली को हरी सिंह की बीवी ने गोद लिया और उनकी शादी एक मोहन ब्राह्मण (मोहयाल) परिवार में हिन्दू रीती रिवाज से की। उस समय रणजीत सिंह की सेना में सबसे अधिक संख्या में मोहयाल ब्राह्मण थे । उसके कई बड़े सिपहसलार ब्राह्मण ही थे। महान सिंह बाली की रणजीत सिंह से मुलाकात उस समय हुई जब वो काम की तलाश मे पंजाब में थे। महान सिंह बाली युद्ब कला में निपुण थे। इतिहासकार कहते हैं कि एक बार रणजीत सिंह ने महान सिंह बाली को अकेले अपनी तलवार से चीते को मारते देखा। वो उनकी बहादुरी का कायल हो गया और इन्हें अपनी सेना में रख लिया। महान सिंह बाली ने पेशावर के अलावा कश्मीर की लड़ाइयों में बड़ा योगदान दिया।मुल्तान के युद्ध के वो बुरी तरह जख्मी हुए पर लड़ते रहे और विजयी हुए। जब अप्रैल 1837 में अफ़ग़ानों ने जमरूद किले पर धावा बोल दिया तब उस युद्ध में हरी सिंह नलवा मारा गया। यह जानकारी मिलने के बाद महान सिंह बाली ने खुद मोर्चा संभाला और हरी सिंह नलवा की मौत की खबर सेना को नहीं लगने दी । उन्होंने बहुत कुशल से सेना का नेतृत्व किया और लाहौर (पंजाब की राजधानी) से फौजी मदद आने तक अपनी छोटी से सेना लेकर किले की रक्षा की और अंततः विजय पाई। रणजीत सिंह ने उन्हें अपना प्रमुख सेनापति बना दिया। सन 1844 में सेना में विद्रोह के समय उनके अपने ही सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी। उम्मीद करता हूँ की टीवी पर जो महाराजा रणजीत सिंह पर serial शुरू हुआ है उसमें उस समय की फ़ौज में ब्राह्मणों का योगदान और महान सिंह बाली का चरित्र सही से पेश किया जायेगा।

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