60 साल में पहली बार संसद में लगे
जय श्रीराम और भारत माता की जय के नारे !
लोकसभा में PM नरेंद्र मोदी का ‘जय श्री राम’ के नारों से हुआ स्वागत,और ये देख भारत के तथाकथित सेकुलरों को नींद नहीं आने वाली.मोदी जी का भाजपा सदस्यों द्वारा लोकसभा में ‘जय श्री राम’ और ‘मोदी-मोदी’ के नारों के बीच भव्य स्वागत किया गया। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा पूर्व सदस्य बी.वी.एन. रेड्डडी के निधन पर शोक जताए जाने व प्रश्नकाल शुरू किए जाने के तुंरत बाद मोदी, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार और भाजपा के मुख्य सचेतक राकेश सिंह के साथ सदन में आए।
भाजपा सदस्यों ने करीब दो मिनट तक मेज थपथपा कर उनका स्वागत किया। इनमें से कुछ सदस्यों ने बीजेपी की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जीत के सम्मान में ‘जय श्री राम’ और ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए। हालाकिं प्रधानमंत्री सदन में कुछ देर ही रुके। भारत में पहली बार कोई इतना सक्षम प्रधानमंत्री आया है जिसका लोहा पूरी दुनिया मान रही है l भारत लगातार प्रगति की ओर बढ़ रहा है और उम्मीद है जल्द दुनिया की महानशक्तियों में अपना परचम लहराएगा l
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यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस का फैसला, हिजाब पहनने वालों को नौकरी से निकाल सकती हैं कंपनियां ...
लग्जमबर्ग
यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने मंगलवार को फैसला दिया है कि यूरोप में कंपनियां ऐसे कर्मचारियों को अपने यहां काम करने से रोक सकती हैं जो धर्म से जुड़े किसी भी संकेत को इस तरह के पहनकर आते हैं कि वह साफ तौर पर दिखे। हिजाब पहनकर दफ्तर आने वाली महिला कर्मचारियों से जुड़े मामले पर कोर्ट ने यह अपना पहला फैसला दिया है।
दरअसल, यह फैसला फ्रांस और बेल्जियम की उन दो महिलाओं से जुड़े मामले में संयुक्त रूप से दिया गया है कि जिसमें महिलाओं को इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपना हिजाब उतारने से इनकार कर दिया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'किसी कंपनी का अंदरूनी नियम जो किसी भी राजनीतिक, दार्शनिक और धार्मिक संकेत को पहनने रोक लगाता है, उसे सीधा भेदभाव नहीं माना जा सकता।' हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि किसी कस्टमर की इच्छा पर कंपनी ऐसे फैसले नहीं कर सकती। फैसले के अनुसार अगर कंपनी किसी भी प्रकार की ऐसी चीज़ों के पहनने पर पाबंदी लगाती है तो इसे भेदभाव नहीं माना जा सकता।
यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने मंगलवार को फैसला दिया है कि यूरोप में कंपनियां ऐसे कर्मचारियों को अपने यहां काम करने से रोक सकती हैं जो धर्म से जुड़े किसी भी संकेत को इस तरह के पहनकर आते हैं कि वह साफ तौर पर दिखे। हिजाब पहनकर दफ्तर आने वाली महिला कर्मचारियों से जुड़े मामले पर कोर्ट ने यह अपना पहला फैसला दिया है।
दरअसल, यह फैसला फ्रांस और बेल्जियम की उन दो महिलाओं से जुड़े मामले में संयुक्त रूप से दिया गया है कि जिसमें महिलाओं को इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपना हिजाब उतारने से इनकार कर दिया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'किसी कंपनी का अंदरूनी नियम जो किसी भी राजनीतिक, दार्शनिक और धार्मिक संकेत को पहनने रोक लगाता है, उसे सीधा भेदभाव नहीं माना जा सकता।' हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि किसी कस्टमर की इच्छा पर कंपनी ऐसे फैसले नहीं कर सकती। फैसले के अनुसार अगर कंपनी किसी भी प्रकार की ऐसी चीज़ों के पहनने पर पाबंदी लगाती है तो इसे भेदभाव नहीं माना जा सकता।
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