Tuesday, 21 March 2017

तुम्हे उनके सूट बूट से ऐतराज़ था,
बिना सिले भगवा वस्त्र धारी पर भी ??
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बर्बर आक्रान्ता #बाबर की मजार(काबुल अफगानिस्तान) जहाँ जानवर भी नहीं जाते ।और हमारे देश के मुल्ले उसे अपना सबकुछ मानते हैं....
श्रीमती इन्दिरा गांधी जब अफगानिस्तान गयी , तो वहाँ पर उनको लगा कि यहाँ बाबर की मजार है । उन्होंने कहा कि इतना बड़ा सम्राट हुआ , साम्राज्य संस्थापक हुआ , चलो उसकी मजार पर पुष्प चक्र चढ़ाना चाहिए । उन्होंने कहा , मैं बाबर की मजार पर पुष्प चढ़ाना चाहती हूँ । अफगानिस्तान की सरकार बड़ी घबरायी , कभी सोचा भी नहीं था , कोई आकर पुष्प चक्र चढ़ायेगा । पता लगाया , तो एक कब्रिस्तान में एक कोने में उसकी मजार थी । इतनी टूटी - फूटी अवस्था में थी , कि झाड़ - झंखाड़ खड़े हो गये थे । भारत की प्रधानमंत्री आने वाली हैं , इसलिए उन्होंने उसे साफ करके देखने लायक बनाया । प्रधानमंत्री गयी , वही पुष्प चक्र चढ़ाया । जब जाने लगी तो उनके साथ एक अधिकारी था , उसने वहाँ के कब्रिस्तान के प्रमुख से पूछा , बाबर इतने बड़े एक साम्राज्य का संस्थापक हुआ और उसकी मजार इतनी टूटी फूटी अवस्था में ? तो उसका उत्तर था - वह कौन अफगान था ! वह अफगान नहीं था , तो हम उसकी चिन्ता क्यों करें ? अफगानिस्तान का मुसलमान , मुसलमान होते हुए भी बाबर को अपना नहीं समझता । दुर्भाग्य की बात है कि अपने देश भारत में मुसलमानों का एक वर्ग बाबर को अपना पुरखा मानता है और उनके वोटों के लालची राजनीतिज्ञ भी बाबर को अपना पुरखा मानते हैं , इसलिये उसने राम मन्दिर तोड़कर वहाँ पर जो मस्जिदरूपी ढ़ाँचा बनाया था , उसको बाबरी मस्जिद कहते है 

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