Wednesday, 31 May 2017



*शर्म, हया और देश धर्म, सब कुछ खूँटी पर टाँग गया ।*
आज विपक्ष मर्यादा की,,,, सब सीमाएँ लाँघ गया ।*
*इतना पापी,, दुष्ट,, धूर्त कोई गंदा भी हो सकता है ?*
*क्या कोई 'व्यक्ति-विरोध' में इतना अंधा भी हो सकता है ?*
*मत समझो गाय काटकर, तुमने विजय यात्रा रोकी है ।*
*कांग्रेसी ताबूत में तुमने,,,, कील आख़िरी ठोकी है ।*
*अय्याशी की पैदाइश हो, इस धरती पर पाप हो तुम ।*
*कुर्सी खातिर 'माँ' काटी है, मुगलो के भी बाप हो तुम ।*
*वैश्यावृति बंद हुई तो,,,, कैसे विरोध जताओगे ?*
*बेटी-बहन को लेकर क्या तुम सड़कों पर आ जाओगे ?*
*जो घड़ा पाप का भरा हुआ था, तुमने स्वयं ही फोड़ दिया ।*
*औरंगजेब और बाबर, ग़जनी सबको पीछे छोड़ दिया ।*
*देश विरोधी बने हुए हो, कुछ भी ना सोचा तुमने ।*
*सावरकर के चित्रों को,,,, दीवारों से नौंचा तुमने ।*
*लहू उबाले मार मारकर,, उस दिन मेरा खौला था ।*
*जिस दिन "भगवा आतंकी" संसद में तुमने बोला था ।*
*शाप लगेगा गौ माता का,,, देश तुम्हें धिक्कारेगा ।*
*मुरली वाला कृष्ण तुम्हें तड़पा-तड़पाकर मारेगा ।*
*दो साल के बाद ये जनता सड़कों पर आ जाएगी ।*
*अबकी बार तुम्हारी चालीस सीटें भी खा जाएगी ।*
जुड़ावन सिंह
कन्नूर कांड की स्ट्रेटजी समझ लीजिये ।
कन्नूर शहर मलाबार में आता है, मुस्लिमबहुल नहीं है लेकिन उनकी संख्या "क्रिटिकल मास" से ऊपर है ।
मोपला हत्याकांड मलाबार में ही हुआ था। ब्रिटिश तो कोई भगाये नहीं गए थे, हिन्दू ही मारे गए थे, बाकी परंपरा है कि हिंसक मुस्लिम अपने पास होनेवाले हर हथियार का ऐसे मौकों पर छूट से प्रयोग करता ही है, यहाँ भी इस इस्लामी परंपरा का कोई अपवाद नहीं था। सभी सच्चे मुसलमान थे। और अपने हर कांड को जायज ठहराने की भी इनकी परंपरा के मुताबिक इसे स्वतन्त्रता संग्राम बताने की भी कोशिश की गई, गांधी जी से सर्टिफिकेट पा कर । आज भी जारी है । कोई गाजी को 1947 में इस कांड में हिस्सा लेने के कारण सपरिवार स्वतन्त्रता सैनिक के फायदे दिये गए हो तो पता नहीं, अल्लाह से भी अपनी सरकरे बहुत दयालु होती हैं ।
कन्नूर के किसी हिन्दू से परिचय है तो अवश्य पूछिए वहाँ का सौहार्दपूर्ण माहौल कैसा है ।
अब कुछ और बातें जो प्रथम दृष्ट्या संबन्धित नहीं लगे ।
खिलाफत मूवमेंट की भारत में हिंसा - खलीफा तुर्की में थे, भारत से कोई संबंध नहीं था। हिंसा यहाँ हुई । शायद आज कोई सबूत उपलब्ध नहीं होंगे कि उस हिंसा के बहाने मुसलमानों ने हिंदुओं का क्या नुकसान किया और क्या छीना । अंग्रेजों का तो कोई नुकसान किया नहीं था।
सलमान रश्दी की किताब आने ही नहीं दी फिर भी यहाँ दंगे हुए। क्या कारण था ? बिगड़ी परिस्थिति के कारण अगर हिन्दुओने तब स्थलान्तर किया तो मुसलमानों का कितना फायदा और हिंदुओं का कितना नुकसान हुआ ?
बाबरी उत्तर प्रदेश में थी, दंगे भारत भर में करवाए गए । यहाँ भी बिगड़ी परिस्थिति के कारण अगर हिन्दुओने तब स्थलान्तर किया तो मुसलमानों का कितना फायदा और हिंदुओं का कितना नुकसान हुआ ?
म्यानमार में रोहिङ्ग्या मुसलमानोंपर किए गए कथित अत्याचारों के फर्जी विडियो की दुहाई देकर मुंबई में दंगे किए गए । कौम की दहशत कायम करने के लिए । दुसरा कोई सयुक्तिक कारण है भी तो बताएं।
यह इस्लाम की रणनीति रही है कि कहीं भी कुछ हुआ तो पूरी लोकतान्त्रिक दुनिया सकते में रहती है कि क्या हमारे बीच बसे मुसलमान कहीं इसपर दंगा तो नहीं करेंगे ? सब से दुख की बात यही रहती है कि हर कोई अलग अलग यही सोचता रहता है कि कहीं अपने एरिया में दंगा हो तो मैं या मेरे परिजन दंगे की चपेट में न आयें । मेरे दुकान या घर का नुकसान न हो ।
लेकिन सब मिलकर यह नहीं सोचते कि अपने शहर के मुसलमानों को यह समझाया जाये कि दंगा करना बेवकूफी और उनके लिए नुकसान का काम होगा। यह काम की बात कैसे समझाई जाये ये हर किसी की समझने की क्षमता पर निर्भर करता है । मिलने के लिए समय नहीं मिलता नौकरी के चलते।
वैसे यह मुस्लिम स्ट्रेटजी लोग समझ रहे हैं इसलिए उन्होने अपनी backup स्ट्रेटजी काम में लाई है । कोंग्रेसियों के हाथों कम्युनिस्टों के समर्थन से गोवध करवाया है । दिखने में तो सामने सभी नाम भारतीय है, कोई अरबी नाम नहीं । और इसी भरोसे बैठे हैं कि अपनी लश्कर ए मीडिया यही दिखाएगी कि ये तो केरल की हिन्दू जनता का रोष है, आक्रोश है ।
शेष भारत की जनता नहीं जानती कन्नूर की डेमोग्राफी क्या है, वातावरन कैसा है, उसके लिए तो वह केरल है । कन्नूर में 2011 की जनगणना मुताबिक मुस्लिम जनसंख्या 20% है । और Dr Peter Hammond की प्रसिद्ध किताब Slavery, Terrorism and Islam के मुताबिक उनकी संख्या 20% पार कर जाती है तो हमेशा छोटे से छोटे बहानों को लेकर दंगे करेंगे ताकि उनकी दहशत बनी रहे। https://goo.gl/fRCQJs
कोई यह सवाल नहीं पूछेगा कि यह अगर केरल की आम जनता का विरोध होता तो कन्नूर ही क्यों पसंद किया गया, क्योंकि वहाँ पिनरई विजयन जैसे मुख्यमंत्री की चलती है जो खुले मंच से मानता है कि बंगाल के कम्युनिस्टों की विरोधकों को खत्म करने की रीति हम से अच्छी थी ?
ढाल को सिपर कहते हैं और तलवार को सैफ । आप को सैफ उद दीन, सैफुल्लाह आदि मिलेंगे, सिपरुल्लाह या सिपरुद्दीन कभी नाम सुना नहीं। कारण आसान है, सिपर पर विरोधी का प्रहार झेलना होता है, वो टूट भी सकता है और उससे विरोधि पर प्रहार भी किया जा सकता है । बेहतर है उसे विरोधियोंमीसे ही चुना जाये । काफिर के वार से काफिर ही मरे वो भी इस्लाम के फायदे के लिए इससे बड़ी इस्लाम की खिदमत और क्या हो सकती है ?
लॉजिकली देखिये सभी बातों को, जोड़कर देखना पड़ता है तभी चित्र स्पष्ट होता है । आसमान में नक्षत्र देखे ही होंगे, क्या सभी तारे कल्पना से जोड़ने नहीं होते तभी समझ में आती है आकृति ?
इस्लाम और वाम से इस्लाम और वाम का अभ्यास ही बचा सकता है । और हर ज्ञान किताबों से नहीं मिलता, इस्लाम केवल किताबों को बैठकर पढ़ने से नहीं फैला इतना तो समझ ही रहे हैं आप ?
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कुछ कहना है तो स्वागत है, बस तार्किक और तथ्यों पर रहिएगा। शेयर, कॉपी पेस्ट - फॉरवर्ड का अनुरोध है ।
साभार Anand Rajadhyaksha

Monday, 29 May 2017

shabbash

कमजोर तब रुकते है जब वे थक जाते है,
और विजेता तब रुकते है जब वे जीत जाते है

चंडीगढ़ की इन जुड़वा बहनों के CBSE रिज़ल्ट भी जुड़वा आए हैं, एक के 98.6% तो दूसरी के 98.4%

चंडीगढ़ की रहने वाली नेहा और तान्या गोयल जुड़वा हैं. बचपन से लोग उनमें कई समान्ताएं खोजते आए हैं, उनके कपड़ों से लेकर हेयरस्टाइल तक, लोग सब पर गौर करते हैं. नेहा, तान्या से तीन मिनट बड़ी हैदोनो की समानताओं का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इन जुड़वा लड़कियों के नंबर भी कुछ-कुछ जुड़वा हैं. जहां नेहा गोयल के 98.6% आए हैं वहीं तान्या के 98.4% आए हैं. ये नंबर देख कर जहां बाकी के लोग चौक गए, वहीं इन दोनों बहनों के लिए ये आम बात है. रिज़ल्ट पर नेहा ने कहा कि ये तो हमेशा होता है, वहीं तान्या ने चुटकी लेते हुए कहा कि, 'हम में कुछ असमानताएं हैं, पर अंत में हम हैं तो एक-दूसरे से जुड़े हुए ही.
IAS आॅफ़िसर्स की ये दोनों बेटियां एक साथ पढ़ती हैं. दोनों में बचपन से आगे निकलने का कॉम्पटीशन रहा है. और बहनों की तरह ये भी आपस में छोटी-छोटी बातों पर लड़ती हैं, लेकिन ये महज प्यार की लड़ाई होती है.

शक्ल एक है, पर शैक अलग!

ये दोनों रोज़ 10 से 12 घंटे पढ़ती थीं. जहां नेहा पढ़ाई का सब काम ख़त्म करके बाहर निकलने की सोचती थी, वहीं तान्या हर थोड़ी देर में एक ब्रेक लेती थी, जिससे वो पढ़ाई में मन लगा सके. तान्या को डांस करना पसंद है तो नेहा को साइकिलिंग और किताबें पढ़ना. इसके अलावा दोनों को कपिल शर्मा का शो देखना पसंद है.

दोनों का एक है सपना

भवन विद्यालय चंडीगढ़ की ये दोनों छात्राएं दिल्ली के श्री राम कॉलेज आॅफ़ कॉमर्स से B.Com Honours करना चाहती हैं और उसके बाद अपने मां-बाप के नक्शे कदम पर चलते हुए सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहती हैं.
पाकिस्तान से निपट रही भारतीय सेना की नजर चीन पर भी !!!

पाकिस्तान से सटी 778 किमी. लंबी लाइन ऑफ कंट्रोल पर भारतीय सेना इस वक्त अपना पूरा जोर लगा रही है। पड़ोसी मुल्क की ओर से पैदा की जा रहीं मुश्किलों से निपटने में सेना पूरी ताकत के साथ जुटी है। हालांकि, उसकी नजरें चीन पर भी है। चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भी अपनी पैठ मजबूत कर रही है।

लगभग 13 लाख संख्याबल वाली भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं के पास फंड की कमी के बावजूद अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। चीन की सीमाओं से सटे इस क्षेत्र में सेना ने माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स के दूसरे डिविजन को सक्रिय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं लद्दाख में इस साल के अंत तक युद्ध अभ्यास की भी योजना है। सेना से जुड़े उच्चस्तरीय सूत्रों ने अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, '72 इनफेंट्री डिविजन जिसका हेडक्वॉर्टर पठानकोट में है, को अगले 3 सालों में पूरी तरह से ऑपरेशनल बनाया जाएगा।'

'फिलहाल शुरुआत में इसमें 1 ही ब्रिगेड है, लेकिन तीन साल में जब 72 इनफेंट्री डिविजन पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगा तो इसमें 3 ब्रिगेड होंगे। अगले 3 सालों में ऐसा होने की संभावना है।' 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स का विस्तार सेना ने जनवरी 2014 में ही शुरू किया है। चीन ने खिलाफ यह पहली बार किया जा रहा है। इससे पहले तक, सेना के तीन स्ट्राइक कॉर्प्स का इस्तेमाल मुख्य तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ ही किया जाता रहा है।

आर्मी चीफ बिपिन रावत ने पूर्व में अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को इस बारे में जानकारी दी थी। रावत ने बताया था कि 17 कॉर्प्स में दो उच्च स्तरीय इन्फेंट्री डिविजन होंगे। साथ ही तोपखाने, बख्तरबंद, एयर डिफेंस, इंजिनियर ब्रिग्रेड से लैस इसका विस्तार लद्धाख से अरुणाचल प्रदेश तक किया जाएगा। आर्मी चीफ के अनुसार, 'इसके लिए 90,274 सैनिकों को तैनात किया जाएगा। 2021 तक इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा, जिसमें 64,678 करोड़ रुपए की लागत आएगी।'

Sunday, 28 May 2017

विश्व के एकमात्र तीन सगे भाई जो अपने देश की आजादी के लिए 12 सालों से ज्यादा समय तक जेल में रहे


विश्व के एकमात्र तीन सगे भाई जो अपने देश की आजादी के लिए 12 सालों से ज्यादा समय तक जेल में रहे ....उस मां को नमन जिसने ऐसे 3 महान सपूतों को जन्म दिया ...नारायण राव सावरकर ...गणेश राव सावरकर... विनायक दामोदर सावरकर
सावरकर विश्व के एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने बैरिस्टर की पूरी पढ़ाई करने के बाद पूरा एग्जाम देने के बाद भी अंग्रेजों ने उन्हें बैरिस्टर की डिग्री नहीं दी... सोचिए अंग्रेजो ने जवाहरलाल नेहरू से लेकर सबको बैरिस्टर की डिग्री दी सिर्फ विनायक दामोदर सावरकर को बैरिस्टर की डिग्री नहीं दिया गया
विनायक दामोदर सावरकर विश्व के एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने बकायदा राजपत्र निकाल कर उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य का सबसे खतरनाक दुश्मन घोषित किया था विनायक दामोदर सावरकर विश्व के एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिनकी किताब जो 1857 की क्रांति पर लिखी थी उसे पूरा लिखने व प्रकाशित होने के पहले ही अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया था और हां विनायक दामोदर सावरकर विश्व के एकमात्र ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए सर्वोच्च निछावर करने और 14 वर्षों तक काले पानी की सजा भुगतने के बाद भी आजादी के बाद उन्हें आजाद देश की सरकार ने ना कोई सम्मान दिया बल्कि उन्हें आजादी के बाद भी जेल में जाना पड़ा
Jitendra Pratap Singh
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ऐसे बदले जाते हैं समाज ...

किसी व्यक्ति या समाज का डीएनए कैसे बदला जाता है - यह देखना हो तो केरल को देखिए ।
केरल आदि शंकर की जन्मभूमि है । केरल में हिंदू अभी भी पचास प्रतिशत के ऊपर हैं । पर सौ वर्षों से मिशनरियों के काम का प्रभाव यह है कि वे हिन्दू होते हुए भी क़रीब क़रीब इसाई हैं ।
यही वह काम है जिसमें तमाम "प्रगतिशील", वामपंथी, जिहादी और मिशनरियों का गिरोह लगा हुआ है ।
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Thursday, 25 May 2017

पेंड्रा के छात्र ने गांव का नाम किया रौशन, रिसर्च के लिए जाएंगे जापान ...

बिलासपुर के पेंड्रा के गरीब परिवार के लड़के आदित्य गुप्ता की प्रतिभा देश से बाहर तक चर्चित हो गई है. आदित्य द्वारा इन्सपायर विज्ञान प्रदर्शनी में थर्मल एसी को दसवां स्थान मिलने का बाद जापा न ने उसे रिसर्च के लिए बुलाया है. आदित्य 25 मई को पेड्रा से दिल्ली जाएंगे और 27 मई को जापान के लिए रवाना होंगे.आदित्य ने उस कहावत को साबित किया है. कि सोच ऊंची और इरादे बुलंद हो तो इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है.

कैसे हुए आदित्य का चयन
11वीं में पढ़ने वाले आदित्य के थर्मल एसी का चयन राज्य स्तर पर हुआ और उसके बाद उसका चयन इंसपायर अवार्ड प्रदर्शनी दिल्ली में हुआ. जिसमें देशभर के 600 मॉडल में आदित्य को 10वां स्थान मिला है. उसके द्वारा बनाये गये मॉडल की जमकर प्रशंसा हो रही है.

कैसे काम करता है थर्मल एसी 
आदित्य द्वारा बनाए गये थर्मल एसी जमीन के तापमान से कमरे के तापमान को ठंडा करता है. आदित्य ने इस प्रोजेक्ट को अपनी गुरुजनों की मदद से तैयार किया है. 

आदित्य के परिजन इस उपलब्धी से बेहद खुश है. परिवार के लोगों का कहना है कि वे मध्यम वर्गीय परिवार से आते है. जहां सिर्फ बड़े सपने देखे जा सकते है. और सीमित संसाधन में आदित्य ने जो मॉडल बनाया है और जापान में रिसर्च के लिए बुलावा आने से पूरा परिवार बेहद खुश है.आदित्य का कहना है कि वे डॉक्टर बनना चाहते है. ताकि लोगों का इलाज किया जा सके इसके साथ ही वे मेडिकल रिसर्च करना चाहेंगे
 ट्विटर इंडिया का प्रमुख राहिल एक कश्मीरी मुस्लिम है जो सिर्फ राष्ट्रवादी लोगों हिंदूवादी लोगों का ही अकाउंट सस्पेंड करता है.....
ट्विटर पर भारत की पहचान गायब करके भारत का अपमान किया गया है और यह अपमान ट्विटर इंडिया के चीफ राहील खुर्शीद ने किया है, राहील खुर्शीद कश्मीर के एक मुसलमान हैं इसलिए कहा जा रहा है कि अन्य कश्मीरी मुसलमानों की तरह शायद वे भी भारत को नहीं मानते, शायद वे भी खुद को भारतीय कहलाना पसंद नहीं करते, शायद उन्हें तिरंगा लगाने में शर्म आती होगी या उनके इस काम से पाकिस्तान और कश्मीरी पत्थरबाज नाराज हो जाएंगे इसलिए उन्होंने भारत के ट्विटर पेज से तिरंगा ही गायब कर दिया.
 राहील खुर्शील कश्मीर की आजादी चाहने वालों का समर्थन कर रहे हैं, भारत के टुकड़े टुकड़े करने वालों का समर्थन कर रहे हैं, अरुंधती रॉय, शेहला रशीद, कन्हैया कुमार, उमर खालिद, जैसे लोगों को प्रमोट कर रहे हैं इसलिए वे उन लोगों का अकाउंट बैन कर देते हैं जो आजादी गैंग पर हमला करते हैं, आज उन्होंने सिंगर अभिजीत का अकाउंट बैन करके ट्विटर पर भी जिहाद शुरू कर दिया है.
.अभिजीत का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड किया गया अभिजीत के समर्थन में सोनू निगम ने ट्विटर छोड़ने का किया ऐलान फिर परेश रावल का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड किया गया... अभिजीत ने जेएनयू छात्रसंघ की आतंकी समर्थक नेता शहला राशिद को आड़े हाथो लिया था और खूब बैंड बजाई थी ।
अभिजीत का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड किए जाने से गुस्साए सोनू ने एक के बाद एक 24 ट्वीट करते हुए लिखा, 'मैं ट्विटर को छोड़ने जा रहा हूं। मेरे करीब 70 लाख फॉलोअर इससे मुझपर निराश और गुस्सा भी होंगे। लेकिन कुछ लोग इससे खुश भी होंगे।'




Wednesday, 24 May 2017

1962 के युद्ध में भारत के पास एक ऐसा भी वीर था जिसकी वीरता को चीन...ने भी सलाम किया
मित्रों आज हम आपको एक ऐसे वीर की गाथा सुनाने जा रहे हैं जो अपनी मात्र भूमि के लिए वीर गति को प्राप्त हो गया और जिसने अकेले ३०० चीनी सैनिकों को मर गिराया| जी हाँ मित्रों ३०० सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था इस महावीर ने| इनका नाम है जसवंत सिंह रावत और यह एक उत्तराखंडी है|जसवंत सिंह के नाम पर एक गाँव का नाम जसवंतपुर भी है| इन्हें इनकी बहादुरी के लिए महावीर चक्र भी दिया गया| जिस युद्ध में ये शहीद हुए वो था " बैटल ऑफ़ नूरानांग"|
तेजपुर नूरानांग में रायफलमेन जसवंत सिंह के नाम का मंदिर चीन युद्ध में इनकी असाधारण वीरता का परिचायक है| यहाँ से गुजरने वाला हर व्यक्ति उनके मंदिर में "शीश" नवाता है| यहाँ आने वालों को उनकी शौर्य गाथा सुनाई जाती की किस तरह एक बंकर से दो श्तानिया लड़कियों की सहायता लेकर चीन की पूरी ब्रिगेड से वह 72 घंटे तक झूझते रहे| इनकी वीरता को चीन ने भी सलाम किया l भारत से नफरत करने वाले चीन ने इनका "तांबे" का "शीश" बनाकर भारत को सौंपा l ४ गढ़वाल रायफल का यह सेनानी केवल एक साल पहले ही सेना में शामिल हुआ था| सेना में इस वीर जवान का सम्मान यह है की शहादत के बाद भी उनकी पदोनित्ति की जाती है और प्रोटोकॉल भी उसी के हिसाब से दिया जाता है| इस समय उन्हें लेफ्टिनेंट जेनरल का पद मिला हुआ है l जसवंत सिंह के बंकर में उनका बिस्तर,पानी का लोटा-ग्लास इत्यादि हर रोज साफ़ किया जाता है| सेना की वहां मौजूद एक टुकड़ी उन्हें नियमानुसार सलामी देती है l promotion भी दिए गए salary भी इनकी attendance रोज लगती है भगवान का दर्जा इनको देते हैं सेनिक और इनका मंदिर भी है इनकी uniform arms ammunition भी रखे जाते हैं: इस अकेले सेनिक ने चीन के seniko की फौज से अकेले ही तीन दिन तक जंग छेड़े रखी अपनी अकलमंदी राष्ट्रभक्ति और जानबाजी से: मेरा इन्हे शत शत नमन

Tuesday, 23 May 2017

एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षिका थीं।
उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती । वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं।
कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको एक आंख नहीं भाता। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आजाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता।
मिस के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता तो लग जाता..मगर उसकी खाली खाली नज़रों से उन्हें साफ पता लगता रहता.कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब हे.धीरे धीरे मिस को राजू से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजू मिस की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण राजू के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मिस उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं। राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था।
मिस को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर महसूस नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता । मिस को अब इससे गंभीर चिढ़ हो चुकी थी।
पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मिस ने राजू की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी । प्रगति रिपोर्ट माता पिता को दिखाने से पहले हेड मिसट्रेस के पास जाया करती थी। उन्होंने जब राजू की रिपोर्ट देखी तो मिस को बुला लिया। "मिस प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो प्रगति भी लिखनी चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे राजू के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।" "मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन राजू एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है । मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूँ। "मिस घृणित लहजे में बोलकर वहां से उठ आईं।
हेड मिसट्रेस ने एक अजीब हरकत की। उन्होंने चपरासी के हाथ मिस की डेस्क पर राजू की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी । अगले दिन मिस ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। पलट कर देखा तो पता लगा कि यह राजू की रिपोर्ट हैं। "पिछली कक्षाओं में भी उसने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे।" उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। "राजू जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा।" "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षक से बेहद लगाव रखता है।" "
अंतिम सेमेस्टर में भी राजू ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। "मिस ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली।" राजू ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया। .उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। "" राजू की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। । घर पर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है.जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है। ""
राजू की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही राजू के जीवन की चमक और रौनक भी। । उसे बचाना होगा...इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। "मिस के दिमाग पर भयानक बोझ हावी हो गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । आंसू उनकी आँखों से एक के बाद एक गिरने लगे.
अगले दिन जब मिस कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया। मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे राजू के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से हो ही नहीं सकता था । व्याख्यान के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल राजू पर दागा और हमेशा की तरह राजू ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक मिस से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने अचंभे में सिर उठाकर उनकी ओर देखा। अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने राजू को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा। राजू तीन चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही मिस ने न सिर्फ खुद खुशान्दाज़ होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी से भी बजवायी.. फिर तो यह दिनचर्या बन गयी। मिस हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण राजू के कारण दिया जाने लगा । धीरे-धीरे पुराना राजू सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब मिस को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिना त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी।
उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और राजू ने दूसरा स्थान हासिल कर लिया यानी दूसरी क्लास ।
विदाई समारोह में सभी बच्चे मिस के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और मिस की टेबल पर ढेर लग गये । इन खूबसूरती से पैक हुए उपहार में एक पुराने अखबार में बद सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस पड़े। किसी को जानने में देर न लगी कि उपहार के नाम पर ये राजू लाया होगा। मिस ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर उसे निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं की इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा था जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। मिस ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर हैरान रह गए। खुद राजू भी। आखिर राजू से रहा न गया और मिस के पास आकर खड़ा हो गया। ।
कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर मिस को बताया कि "आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।"
समय पर लगाकर उड़ने लगा। दिन सप्ताह, सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है? मगर हर साल के अंत में मिस को राजू से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला।। मगर आप जैसा कोई नहीं था।" फिर राजू का स्कूल समाप्त हो गया और पत्रों का सिलसिला भी। कई साल आगे गुज़रे और मिस रिटायर हो गईं। एक दिन उन्हें अपनी मेल में राजू का पत्र मिला जिसमें लिखा था:
"इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपके बिना शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं।। आप जैसा कोई नहीं है.........डॉक्टर राजू
साथ ही विमान का आने जाने का टिकट भी लिफाफे में मौजूद था। मिस खुद को हरगिज़ न रोक सकती थीं। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह दूसरे शहर के लिए रवाना हो गईं। शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं। उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े डॉ, बिजनेसमैन और यहां तक कि वहां पर शादी कराने वाले पंडितजी भी थक गये थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर राजू समारोह में शादी के मंडप के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था। फिर सबने देखा कि जैसे ही यह पुरानी शिक्षिका ने गेट से प्रवेश किया राजू उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह सड़ा हुआ सा कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा मंच पर ले गया। माइक हाथ में पकड़ कर उसने कुछ यूं बोला "दोस्तों आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाउंगा।।।........यह मेरी माँ हैं - ------------------------- "

Monday, 22 May 2017

आज भी जल रही है वो अग्नि, जिसके फेरे लेकर भगवान शिव-पार्वती ने की थी शादी!

त्रियुगी नारायण मंदिर’ जो की उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित है। यहां की यात्रा बहुत ही पवित्र मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने सतयुग में माता पार्वती के साथ इसी जगह पर विवाह किया था और आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी इस हवन कुंड से ज्वाला प्रज्जलित हो रही है जिसको उन्होंने साक्षी मानकर विवाह किया था।
त्रियुगी नारायण मंदिर काफी प्रसिद्ध माना जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड की वादियों के बीच बहुत खूबसूरत नजर आता है। चारों तरफ हरियाली के बीच आए हुए यात्रियों के लिए यह मंदिर उनके लिए यहां एक समां बांध देता है। इसकी खूबसूरती आंखों को बहुत ही ठंडा देती है। ऐसा कहा जाता है कि इस हवन कुंड से निकलने वाली राख भक्तों के विवाहित जीवन को सुखमय बना देती है।
हरिद्वार के पास कनखल मे राजा हिमालय रहते थे। जहां माता पार्वती का जन्म हुआ था। क्योंकि वह एक पर्वत पुत्री थीं इसलिए उनका नाम पार्वती रखा गया था। जैसे ही माता पार्वती बड़ी हुई उनका विवाह शिव जी के साथ इसी जगह पर किया गया था। जिस जगह को आज हम त्रियुगी नारायण मंदिर के नाम से जानते हैं। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विष्णु जी को इस विवाह का साक्षी बनाया गया था। इसलिए यहां पर विष्णु जी का भी मंदिर है जिसकी पूजा भी लोग बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं।
वैसे तो इस मंदिर में जाने के लिए बहुत रास्ते आपको मिल जाएंगे। परंतु गौरीकुंड जाने के लिए आपको दो ही मार्ग मिलेगे। जब आप गौरीकुंड से 6 किलोमीटर दूर गुप्तकाशी की तरफ जाएंगे तो वहां सोनप्रयाग आता है। यहां से भी आप त्रियुगी नारायण मंदिर जा सकते हैं वहां से आपको त्रियुगी मंदिर 12 से 13 किलोमीटर दूर पड़ेगा। अगर आप यहां से नहीं जाना चाहते हैं तो एक और रास्ता है जो कि पैदल जाता है।


अगर आप पैदल जाना चाहते हैं तो आपको सिर्फ 6 से 7 किलोमीटर ही पैदल चलना पड़ेगा। सबसे पहले आपको सोनप्रयाग जाना पड़ेगा। वहां से सौ मीटर गौरीकुंड की तरफ पहले आप जाएंगे। वहां पर आपको एक लोहे का पुल मिलेगा। उस पुल के पहले ही आपको एक गुमनाम सी पगडंडी मिलेगी। जो ऊपर की तरफ जाती हुई दिखाई देगी।
इस रास्ते से आपको आगे जाना है। यह रास्ता घने जंगल से होकर जाता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि जब आप थोड़ी दूर जाएंगे तो वहां आपको छोटी सी जलधारा दिखाई देती है। उससे पहले पैदल चलते आपको बहुत प्यास लग सकती है इसलिए आप अपने साथ पानी ले कर जाएं।
यह मंदिर तो देखने में बहुत खूबसूरत है ही आप इसके साथ रुद्रकुंड, विष्णुकुंड और ब्रह्मकुंड भी देख सकते हैं।








Sunday, 21 May 2017

mediya

सहारनपुर की तथाकथित भीम आर्मी जातिगत राजनीत चमकाने का तुष्टिकरण खेल है। वास्तव में भीम आर्मी का चोला ओढ़कर ये नक्सलियों और वामपंथियों का झुंड है जो अम्बेडकर के नाम दुरप्रयोग कर रहे है।
उमा शंकर सिंह
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पृथ्वीराज के बाद यहाँ हिन्दू शासन खत्म हो
गया था, उसके बाद 500 साल मुग़लों ने 200 साल अंग्रेजो ने राज किया......

फिर 700 साल दलितों का शोषण किसने किया ?

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सऊदी अरब के इस्लामिक सम्मेलन में मिंया नवाज शरीफ को धेले भर की भी लिफ्ट न मिलने से 
पाकिस्तान टीवी चैनलों में विलाप.कुछ नमूने:-
1..हम इस्लामिक दुनिया मे अकेली एटमी ताकत है लेकिन हमारे पीएम को सम्मेलन में मूक दर्शक बना कर रखा गया।
2.अफगानिस्तान के राष्ट्रपति और बंगला देश के पीएम को तो सम्मेलन में बोलने का मौका दिया गया लेकिन पाकिस्तान का नाम तक नही लिया गया।

3...अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से डोनाल्ड ट्रंप ने 40 मिनट की मुलाकात की और हमारे पीएम को 1 सेकंड का भी समय नही दिया।
4..सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति और बंगला देश के पीएम डोनाल्ड ट्रंप के अगल-बगल गुमते रहे और हमारे पीएम को बैठा कर रखा गया।
5..यह सब इंडिया की कारस्तानी है की हम सम्मेलन में मख्खी की तरह भनभनाते रहे। हमे किसी ने नही पूछा।
6..पाकिस्तान की इतनी बेइज्जती आज तक कभी नही हुई ।
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सवाल तो ये भी है क्या गरीब किसान टैंकर से दूध बेचते है? नही!
तो फिर डेयरी की सप्लाई के ये टैंकर इन्हें उपलब्ध कौन करवा रहा है

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 नीच कांग्रेसी पहले गाय काटे अब यह देशद्रोही भी बन गए
मोदी सरकार के खिलाफ बुकलेट जारी करते हुए  कांग्रेस ने कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बता दिया ...
इतना ही नहीं भारत के कब्जे वाले कश्मीर को जम्मू कश्मीर नहीं लिखकर इंडियन ऑक्युपाईड कश्मीर लिखा है



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भारत में आज कुछ लोग आज़ादी की मांग कर रहे है, वो आज़ादी के नारे लगा रहे है
पर ये समझ में नहीं आता की वो आज़ादी किस से मांग रहे है
भारत पर तो आज किसी विदेशी का राज नहीं है, न ही अरब तुर्क लोगों का न ही किसी यूरोपीए देश का
भारत पर तो आज भारतीयों का ही राज है
और भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और आज़ाद देश है, फिर आज़ादी के नारे लगना कुछ समझ में नहीं आता
टॉमी रॉबिन्सन ने ये भी कहा की, जहाँ तक मुझे लगता है, हर देश के कुछ दुश्मन होते है
और वो उस देश में अस्थिरता चाहते है, ताकि वो देश परेशान हो, तरक्की न कर सके, और ऐसे दुश्मन ही दूसरे देश में लोगों को फंडिंग करते है, ताकि वो देश को अस्थिर करने वाली गतिविधियां चला सके, भारत में जो लोग आज़ादी की मांग कर रहे है, वो भारत के दुश्मनो के एजेंट प्रतीत होते है

*अगर आप ब्लैक होल में गिर जाएँ तो क्या होगा...?*
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विज्ञान की अद्भुत और रहस्यमई सवाल का जवाब ढूंढता लेख।
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साभार
अमांदा गेफ़्टर के अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद
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अगर आप ब्लैक होल में गिर जाएं तो क्या होगा? शायद आप सोचते हों कि आपकी मौत हो जाएगी. लेकिन ऐसी स्थिति में आपके साथ इससे अलग कई और चीज़ें भी हो सकती हैं.
ब्लैक होल स्पेस में वो जगह है जहाँ भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता. इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बहुत शक्तिशाली होता है.
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इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता. प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है. यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है.
आइंस्टाइन बता चुके हैं कि किसी भी चीज़ का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे कर्व जैसा आकार दे देता है.
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जलकर राख हो जाएं, ये ज़रूरी नहीं
हो सकता है कि आप किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में निकले हों या फिर अंतरिक्ष यान से बाहर निकले हों और तभी ब्लैक होल की चपेट में आए जाएं.
आपका अनुमान होगा कि ब्लैक होल आपको कुचल देगा. हालांकि वास्तविकता इससे काफी अलग हो सकती है.
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अगर आप ब्लैकहोल की चपेट में आ गए हों, तो आपके साथ दो बातें हो सकती हैं. या तो आप तुरंत ही जलकर राख हो जाएंगे या फिर आप बिना किसी नुकसान झेले ब्लैक होल में फंस जाएंगे.
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जब कोई विशाल तारा अपने अंत की ओर पहुंचता है तो वह अपने ही भीतर सिमटने लगता है. धीरे धीरे वह भारी भरकम ब्लैक होल बन जाता है और सब कुछ अपने में समेटने लगता है.
स्टीफ़न हॉकिंग का इवेंट हॉराइज़न
इसके बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइज़न कहते हैं. क्वांटम प्रभाव के चलते इससे गर्म कण टूट-टूट कर ब्रह्माण्ड में फैलने लगते हैं.
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स्टीफ़न हॉकिंग की खोज के मुताबिक हॉकिंग रेडिएशन के चलते एक दिन ब्लैक होल पूरी तरह द्रव्यमान मुक्त हो कर ग़ायब हो जाता है.
जब आप ब्लैक होल के अंदर पहुंचते हैं, केंद्र तक वो असीम घुमावदार होता है. वहां आकर समय और स्पेस दोनों अपना अर्थ खो देते हैं और भौतिक विज्ञान को कोई नियम काम नहीं करता.
यहां पहुंचने के बाद क्या होगा, कोई नहीं जानता. क्या कोई दूसरा यूनिवर्स आ जाएगा या फिर आप सब कुछ भूल कर नई दुनिया में पहुंच जाएगे. यह रहस्य अब तक बना हुआ है.
आपको देखता एक काल्पनिक साथी
मान लीजिए कि आपके इस सफर में एक साथी ज़ेन भी है. वह बाहर से खड़ी होकर ब्लैक होल के अंदर आपको जाते हुए देख रही है. अगर आप इवेंट हॉराइज़न की ओर आते हैं तो ज़ेन आपको ऐसा पाती है जैसे कि मैग्नीफाईंग ग्लास से आपको देख रही हो.
आप उसे स्लो मोशन में नज़र आते हैं. आप उसे आवाज़ देकर कुछ नहीं बता सकते. क्योंकि वहां कोई हवा नहीं है. हो सकता है कि आप अपने आईफोन से एक ऐप के ज़रिए संदेश भेजें (यदि ऐसा ऐप उपलब्ध हो).
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क्योंकि आपके शब्द तो बहुत देरी से पहुंच रहे होंगे जिसका कारण ये है कि ब्लैक होल के अंदर फ्रीक्वेंसी लगातार कम होती जाएगी.
जब आप हॉरिजन तक पहुंचेंगे ज़ेन आपको फ्रीज हुआ पाएगी मानो किसी ने आपका पॉज़ बटन दबा दिया हो. आपमें कोई गति नहीं होगी और आप हॉराइज़न की भीषण गर्मी की चपेट में आप आ चुके होंगे.
हॉकिंग रेडिएशन के चलते ब्लैक होल के अंधकार तक पहुंचने से पहले ही आप राख में तब्दील हो जाएंगे.
जब तक हम आपके अंतिम संस्कार के बारे में सोचें, ज़ेन के बारे में हम भूल जाते हैं और आपके नजरिए से सोचते हैं. यह बहुत ही विचित्र अनुभव हो सकता है.
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सारी उम्र ब्लैक होल में?
ब्लैक होल में गिरने पर आप प्रकृति के रहस्यों को खोजते हुए, बिना किसी झटके के, ब्लैक होल में गिरते चले जाएंगे. यह फ़्री फ़ॉल जैसा होगा, जिसे आइंस्टाइन ने 'हैप्पीएस्ट थॉट' कहा था.
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इवेंट हॉराइज़न नाम की कोई चीज़ अगर होती भी है तो ये आपकी चिंता का विषय अभी नहीं है.
ये ज़रूर है कि अगर ब्लैक होल का आकार छोटा हुआ तो आपको दिक्कत हो सकती है. गुरुत्वाकर्षण का बल तब आपके पांव मं ज्यादा महसूस होगा, सिर के बजाए. लेकिन मान लेते हैं कि ये ब्लैक होल हमारे सूर्य से भी काफी बड़ा है.
एक हकीकत ये भी है कि बड़े ब्लैक होल में आप अपना पूरा जीवन सामान्य तौर पर बिता सकते हैं. वैसे कितना सामान्य हो सकता है, ये सोचने की बात है.
क्योंकि इसमें स्पेस और टाइम का कोई मतलब नहीं होगा. आपकी कोई इच्छा काम नहीं करेगी. आप दूसरी ओर पलट भी नहीं सकते हैं.
जब आप इसके बारे में सोचते हैं तो पाते हैं कि ये समय से जुड़ा अनुभव है. समय केवल आगे बढ़ता है. पीछे की ओर नहीं बढ़ता है. यह हमारी इच्छाओं के खिलाफ भी बढ़ता है और हमें पीछे टर्न लेने से रोकता है.
यानी साफ है कि आप ब्लैक होल में पलट नहीं सकते हैं और ना ही ब्लैक होल को छोड़ कर भाग सकते हैं.
ऐसे वक्त में आपके दिमाग में एक सवाल ज़रूर कौंधेगा कि ज़ेन के साथ क्या हुआ था, वह आपको इवेंट हॉराइज़न की सतह पर क्योंकि जलाने पर उतारू थी.
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दरअसल ज़ेन तार्किक ढंग से सोच रही थी. उसके नजरिए से आप ब्लैक होल के हॉराइज़न पर जल जाएंगे.
ये कोई भ्रम की स्थिति नहीं है. वह आपके अवशेष को जमा करके आपके परिवार के लोगों को भी भेज सकती है.
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लेकिन ब्लैक होल के अंदर जाते ही ज़ेन के भौतिक विज्ञान के नियम आप पर काम नहीं करेंगे.
वहीं दूसरी ओर भौतिक विज्ञान के नियमों के मुताबिक आप हॉराइज़न के अंदर सीधे जा सकते हैं. बिना गर्म कणों से टकराए....नहीं तो आइंस्टाइन के हैप्पीएस्ट थॉट और सापेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होगा.
तो इस लिहाज से भौतिक विज्ञान के मुताबिक आपके साथ दोनों में से कोई भी स्थिति हो सकती है. आप ब्लैक होल की बाहरी सतह पर जल कर खाक हो सकते हैं या फिर उसके अंदर आसानी से पहुंच सकते हैं.
अंतरिक्ष में दूर की वस्तुओं में जुड़ाव
2012 की गर्मियों में अहमद अल्मेहिरी, डोनाल्ड मारोल्क, जोए पोलचिंस्की और जेम्स सुले (इन्हें साथ में एएमपीएस भी कहा जाता है) ने ब्लैक होल को लेकर अब तक की हमारी राय को बदला.
इन चारों भौतिक वैज्ञानिकों के मुताबिक ये संभव है ब्लैक होल के इवेंट हॉराइज़न के अंदर जाए बिना अंदर की जानकारी मिल सके.
इसके लिए इन चारों ने क्वांटम मैकेनिक्स और आइंस्टाइन के सिद्धांतों का ही सहारा लिया. उनके मुताबिक अंतरिक्ष में एक दूसरे से, दूर की वस्तुओं का आपस में जुड़ाव हो सकता है. वे एक के ही दो हिस्से होते हैं.
हालांकि इस सिद्धांत से भी कोई नतीजा नहीं निकला. यह मूलभूत भौतिक विज्ञान का सबसे विवादास्पद सवाल अब भी बना हुआ है.
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न्यूजर्सी स्थित प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के डेनिएल हारलो और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी कैलिफोर्निया के पैट्रिक हायडन ने ये पता लगाने की कोशिश की स्पेस की दो वस्तुओं यानी आपका और ब्लैक होल के हॉराइज़न के अंदर के हिस्से का जुड़ाव किस तरह का है.
2013 में इन दोनों ने पाया कि अगर सबसे तेज कंप्यूटर से भी ये पता लगाने की कोशिश की गई तो इस जुड़ाव का पता लगाने में काफी वक्त लगेगा, इसको डिकोड करने में इतना वक्त भी लग सकता है, जब तक कि ब्लैक होल खुद ही पूरी तरह नष्ट हो जाएगा.
जाहिर है ऐसे में ब्लैक होल के अंदर गिरने पर आपके साथ क्या होगा, इसको लेकर दोनों जवाब अपनी अपनी जगह बने हुए हैं.



Saturday, 20 May 2017

नक्सलवाद अंतर्राष्ट्रीय साजिश है

 ताकि देश सुपर पॉवर ना बन पाए ...

: आईजी कल्लूरी

 छत्तीसगढ़ के चर्चित आईजी एसआरपी कल्लूरी ने भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) में विद्यार्थियों और देशभर से आए गणमान्य नागरिकों को संबोधित किया।  आईजी कल्लूरी ने कहा कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश है कि भारत की आतंरिक सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहे ताकि देश कभी सुपर पॉवर ना बन पाए। विदेशी ताकतें आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी देशविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भटके हुए बुद्धिजीवियों का इस्तेमाल करती हैं। इनका केवल यही उद्देश्य है कि हमारा देश आर्थिक ताकत ना बन जाए। केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों और एक्शन की तारीफ करते हुए आईजी कल्लूरी ने कहा कि जमीनी स्तर पर बहुत अच्छा काम हो रहा है।
 आईजी एसआरपी कल्लूरी को बोलने से रोकने के लिए नक्सलियों के शहरी नेटवर्क ने पूरी ताकत लगा दी थी। कथित छात्रों ने हाथों में तख्तियां लेकर आईजी से वापस जाने के नारे भी लगवाए।  निमंत्रण पत्र में आईजी कल्लूरी का नाम देखने के बाद इस तरह का माहौल बनाया गया कि संस्थान उनका आमंत्रण रद्द कर दे। लेकिन IIMC ने अपना कार्यक्रम यथावत् रखा।
टीचर: देखता हूँ मेरे इन पांच प्रश्नों का सबसे पहले उत्तर कौन देता है।
1. दिल्ली में किस पार्टी की सरकार है ?
2. जम्मू कश्मीर की मुख़्य मंत्री कौन है ?
3. अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव कितने वर्षों में होता है ?
4. लोक सभा में कितने सदस्य हैं ?
5. व्हेल मछली अंडे देती है या बच्चे देती है ?
इन पांचों प्रश्नो का जब एक बच्चे ने एक साथ उत्तर दिया तो अर्थ का अनर्थ हो गया।
सर जी,
*आप की, महबूबा, चार वर्ष में, 545, बच्चे देती है।*
टीचर अभी भी बेहोश है।
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Friday, 19 May 2017

राष्ट्रपति ट्रम्प कर रहे हैं गीता का अध्यन

 वाइट हाउस में रखवाया है गीता : स्टीव बंनों

स्टीव बंनों अमरीका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मुख्य स्ट्रेटेजिस्ट हैं यानि डोनाल्ड ट्रम्प अलग अलग मुद्दों पर, फैसलों से पहले जिन लोगों से चर्चा करते है, उन लोगों के प्रमुख हैं स्टीव बंनों 
डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद स्टीव बंनों वाइट हाउस के मुख्य स्ट्रेटेजिस्ट बने, इस से पहले स्टीव बंनों डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव प्रचार में भी मुख्य भूमिका निभाते रहे स्टीव बंनों ने बताया है की, वो सालों से ही भारत के धर्मग्रन्थ भागवत गीता के फॉलोवर रहे हैं और भागवत गीता से प्रेरणा लेते रहे है स्टीव बंनों ने बताया की उन्होंने भागवत गीता के बारे में राष्ट्रपति ट्रम्प को भी जानकारी दी जिसके बाद से राष्ट्रपति ट्रम्प पिछले कई महीनो से भागवत गीता का अध्यन कर रहे है स्टीव बंनों ने ये भी बताया की डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने निवास यानि वाइट हाउस में गोल्ड प्लेटेड भागवत गीता रखवाया है 
स्टीव बंनों का कहना है की, भागवत गीता से कर्म और धर्म का ज्ञान मिलता है और उसी को सीख रहे हैं डोनाल्ड ट्रम्प , राष्ट्रपति ट्रम्प चुनाव प्रचार में भी कहा था की, वो भारत से बहुत प्रभावित हैं और हिन्दुओ के फैन हैं
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी लेकिन नाथूराम गोड़से घटना स्थल से फरार नही हुआ बल्कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया | नाथूराम गोड़से समेत 17 अभियुक्तों पर गांधी जी की हत्या का मुकदमा चलाया गया | इस मुकदमे की सुनवाई के दरम्यान न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार कर लिया था | हालाँकि सरकार ने नाथूराम के इस वक्तव्य पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन नाथूराम के छोटे भाई और गांधी जी की हत्या के सह-अभियोगी गोपाल गोड़से ने 60 साल की लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विजय प्राप्त की और नाथूराम का वक्तव्य प्रकाशित किया गया | नाथूराम गोड़से ने गांधी हत्या के पक्ष में अपनी 150 दलीलें न्यायलय के समक्ष प्रस्तुति की | देसी लुटियंस पेश करते है “नाथूराम गोड़से के वक्तव्य के मुख्य अंश”
1. नाथूराम का विचार था कि गांधी जी की अहिंसा हिन्दुओं को कायर बना देगी |कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी को मुसलमानों ने निर्दयता से मार दिया था महात्मा गांधी सभी हिन्दुओं से गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह अहिंसा के मार्ग पर चलकर बलिदान करने की बात करते थे | नाथूराम गोड़से को भय था गांधी जी की ये अहिंसा वाली नीति हिन्दुओं को कमजोर बना देगी और वो अपना अधिकार कभी प्राप्त नहीं कर पायेंगे |

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2.1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोलीकांड के बाद से पुरे देश में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ आक्रोश उफ़ान पे था | भारतीय जनता इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाने की मंशा लेकर गांधी जी के पास गयी लेकिन गांधी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से साफ़ मना कर दिया।

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3. महात्मा गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन का समर्थन करके भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया | महात्मा गांधी खुद को मुसलमानों का हितैषी की तरह पेश करते थे वो केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के 1500 हिन्दूओं को मारने और 2000 से अधिक हिन्दुओं को मुसलमान बनाये जाने की घटना का विरोध तक नहीं कर सके |

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4. कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गांधी जी ने अपने प्रिय सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे | गांधी जी ने सुभाष चन्द्र बोस से जोर जबरदस्ती करके इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया |

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5. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी | पूरा देश इन वीर बालकों की फांसी को टालने के लिए महात्मा गांधी से प्रार्थना कर रहा था लेकिन गांधी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए देशवासियों की इस उचित माँग को अस्वीकार कर दिया।

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6. गांधी जी कश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह से कहा कि कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है अत: वहां का शासक कोई मुसलमान होना चाहिए | अतएव राजा हरिसिंह को शासन छोड़ कर काशी जाकर प्रायश्चित करने | जबकि हैदराबाद के निज़ाम के शासन का गांधी जी ने समर्थन किया था जबकि हैदराबाद हिन्दू बहुल क्षेत्र था | गांधी जी की नीतियाँ धर्म के साथ, बदलती रहती थी | उनकी मृत्यु के पश्चात सरदार पटेल ने सशक्त बलों के सहयोग से हैदराबाद को भारत में मिलाने का कार्य किया | गांधी जी के रहते ऐसा करना संभव नहीं होता |

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7. पाकिस्तान में हो रहे भीषण रक्तपात से किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत आने वाले विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली | मुसलमानों ने मस्जिद में रहने वाले हिन्दुओं का विरोध किया जिसके आगे गांधी नतमस्तक हो गये और गांधी ने उन विस्थापित हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।

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8. महात्मा गांधी ने दिल्ली स्थित मंदिर में अपनी प्रार्थना सभा के दौरान नमाज पढ़ी जिसका मंदिर के पुजारी से लेकर तमाम हिन्दुओं ने विरोध किया लेकिन गांधी जी ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया | लेकिन महात्मा गांधी एक बार भी किसी मस्जिद में जाकर गीता का पाठ नहीं कर सके |

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9. लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से विजय प्राप्त हुयी किन्तु गान्धी अपनी जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया | गांधी जी अपनी मांग को मनवाने के लिए अनशन-धरना-रूठना किसी से बात न करने जैसी युक्तियों को अपनाकर अपना काम निकलवाने में माहिर थे | इसके लिए वो नीति-अनीति का लेशमात्र विचार भी नहीं करते थे |

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10. 14 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, लेकिन गांधी जी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि गांधी जी ने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा। न सिर्फ देश का विभाजन हुआ बल्कि लाखों निर्दोष लोगों का कत्लेआम भी हुआ लेकिन गांधी जी ने कुछ नहीं किया |

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11. धर्म-निरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के जन्मदाता महात्मा गाँधी ही थे | जब मुसलमानों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने का विरोध किया तो महात्मा गांधी ने सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लिया और हिंदी की जगह हिन्दुस्तानी (हिंदी + उर्दू की खिचड़ी) को बढ़ावा देने लगे | बादशाह राम और बेगम सीता जैसे शब्दों का चलन शुरू हुआ |

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12. कुछ एक मुसलमान द्वारा वंदेमातरम् गाने का विरोध करने पर महात्मा गांधी झुक गये और इस पावन गीत को भारत का राष्ट्र गान नहीं बनने दिया |

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13. गांधी जी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा। वही दूसरी ओर गांधी जी मोहम्मद अली जिन्ना को क़ायदे-आजम कहकर पुकारते थे |

Source
14. कांग्रेस ने 1931 में स्वतंत्र भारत के राष्ट्र ध्वज बनाने के लिए एक समिति का गठन किया था इस समिति ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र को भारत का राष्ट्र ध्वज के डिजाइन को मान्यता दी किन्तु गांधी जी की जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।

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15. जब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया तब गांधी जी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।

Source
16. भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 करोड़ रूपये दे भी दिए थे लेकिन इसी बीच 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया | केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण से क्षुब्ध होकर 55 करोड़ की राशि न देने का निर्णय लिया | जिसका महात्मा गांधी ने विरोध किया और आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 55 करोड़ की राशि भारत ने पाकिस्तान दे दी ।
महात्मा गांधी भारत के नहीं अपितु पाकिस्तान के राष्ट्रपिता थे जो हर कदम पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़े रहे, फिर चाहे पाकिस्तान की मांग जायज हो या नाजायज | गांधी जी ने कदाचित इसकी परवाह नहीं की |

उपरोक्त घटनाओं को देशविरोधी मानते हुए नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की हत्या को न्यायोचित ठहराने का प्रयास किया | नाथूराम ने न्यायालय में स्वीकार किया कि माहात्मा गांधी बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा की | मैं उनका बहुत आदर करता हूँ लेकिन किसी भी देशभक्त को देश के टुकड़े करने के ,एक समप्रदाय के साथ पक्षपात करने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ | गांधी जी की हत्या के सिवा मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था |
नाथूराम गोड़से जी ……
द्वारा अदालत में दिए बयान के मुख्य अंश…..
मेने गांधी को नहीं मारा
मेने गांधी का वध किया हे
गांधी वध
वो मेरे दुश्मन नहीं थे परन्तु उनके निर्णय राष्ट्र के लिए घातक साबित हो रहे थे
जब व्यक्ति के पास कोई रास्ता न बचे तब वह मज़बूरी में सही कार्य के लिए गलत रास्ता अपनाता हे
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान निर्माण की गलत निति के प्रति गांधीजी की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने ही मुझे मजबूर किया
पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुकतान करने की गैरवाजिब मांग को लेकर गांधी जी अनशन पर बेठे
बटवारे में पाकिस्तान से आ रहे हिन्दुओ की आपबीती और दूरदशा ने मुझे हिला के रख दिया था
अखंड हिन्दू राष्ट्र गांधी जी के कारण मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक रहा था
बेटो के सामने माँ का खंडित होकर टुकड़ो में बटना
विभाजित होना असहनीय था
अपनी ही धरती पर हम परदेशी बन गए थे
मुस्लिम लीग की सारी गलत मांगो को गांधी जी मानते जा रहे थे
मेने ये निर्णय किया के भारत माँ को अब और विखंडित और दयनीय स्थिति में नहीं होने देना हे तो मुझे गांधी को मारना ही होगा
और मेने इसलिए गांधी को मारा…..
मुझे पता हे इसके लिए मुझे फ़ासी होगी
में इसके लिए भी तैयार हु
और हा यदि मातृभूमि की रक्षा करना अपराध हे तो में यह अपराध बार बार करूँगा
हर बार करूँगा
और जब तक सिन्ध नदी पुनः अखंड हिन्द में न बहने लगे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन नहीं करना
मुझे फ़ासी देते वक्त मेरे एक हाथ में केसरिया ध्वज
और दूसरे हाथ में अखंड भारत का नक्शा हो
में फ़ासी चढ़ते वक्त अखंड भारत की जय जय बोलना चाहूँगा
हे भारत माँ
मुझे दुःख हे में तेरी इतनी ही सेवा कर पाया….
नाथूराम गोडसे
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दलित शब्द थोपा हुआ है, लोग पुराणों का उल्लेख करते हैं उनके लिए कुछ जानकारी यह है कि जाति प्रथा नही वर्ण प्रथा थी हमारी .......वैदिक इतिहास में वर्ण परिवर्तन के अनेक प्रमाण उपस्थित हैं...
(१) ऐतरेय ऋषि दास अथवा अपराधी के पुत्र थे | परन्तु उच्च कोटि के ब्राह्मण बने और उन्होंने ऐतरेय ब्राह्मण और ऐतरेय उपनिषद की रचना की | ऋग्वेद को समझने के लिए ऐतरेय ब्राह्मण अतिशय आवश्यक माना जाता है |
(२) ऐलूष ऋषि दासी पुत्र थे | जुआरी और हीन चरित्र भी थे | परन्तु बाद में उन्होंने अध्ययन किया और ऋग्वेद पर अनुसन्धान करके अनेक अविष्कार किये |ऋषियों ने उन्हें आमंत्रित कर के आचार्य पद पर आसीन किया | (ऐतरेय ब्राह्मण २.१९)
(३)सत्यकाम जाबाल गणिका (वेश्या) के पुत्र थे परन्तु वे ब्राह्मणत्व को प्राप्त हुए |
(४) राजा दक्ष के पुत्र पृषध शूद्र हो गए थे, प्रायश्चित स्वरुप तपस्या करके उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया | (विष्णु पुराण ४.१.१४)
अगर उत्तर रामायण की मिथ्या कथा के अनुसार शूद्रों के लिए तपस्या करना मना होता तो पृषध ये कैसे कर पाए?
(५) राजा नेदिष्ट के पुत्र नाभाग वैश्य हुए | पुनः इनके कई पुत्रों ने क्षत्रिय वर्ण अपनाया | (विष्णु पुराण ४.१.१३)
(६) धृष्ट नाभाग के पुत्र थे परन्तु ब्राह्मण हुए और उनके पुत्र ने क्षत्रिय वर्ण अपनाया | (विष्णु पुराण ४.२.२)
(७) आगे उन्हींके वंश में पुनः कुछ ब्राह्मण हुए | (विष्णु पुराण ४.२.२)
(८) भागवत के अनुसार राजपुत्र अग्निवेश्य ब्राह्मण हुए |
(९) विष्णुपुराण और भागवत के अनुसार रथोतर क्षत्रिय से ब्राह्मण बने |
(१०) हारित क्षत्रियपुत्र से ब्राह्मण हुए | (विष्णु पुराण ४.३.५)
(११) क्षत्रियकुल में जन्में शौनक ने ब्राह्मणत्व प्राप्त किया | (विष्णु पुराण ४.८.१) वायु, विष्णु और हरिवंश पुराण कहते हैं कि शौनक ऋषि के पुत्र कर्म भेद से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ण के हुए| इसी प्रकार गृत्समद, गृत्समति और वीतहव्य के उदाहरण हैं |
(१२) मातंग चांडालपुत्र से ब्राह्मण बने |
(१३) ऋषि पुलस्त्य का पौत्र रावण अपने कर्मों से राक्षस बना |
(१४) राजा रघु का पुत्र प्रवृद्ध राक्षस हुआ |
(१५) त्रिशंकु राजा होते हुए भी कर्मों से चांडाल बन गए थे |
(१६) विश्वामित्र के पुत्रों ने शूद्र वर्ण अपनाया | विश्वामित्र स्वयं क्षत्रिय थे परन्तु बाद उन्होंने ब्राह्मणत्व को प्राप्त किया* |
(१७) विदुर दासी पुत्र थे | तथापि वे ब्राह्मण हुए और उन्होंने हस्तिनापुर साम्राज्य का मंत्री पद सुशोभित किया |
वेदों में ‘शूद्र’ शब्द लगभग बीस बार आया है | कहीं भी उसका अपमानजनक अर्थों में प्रयोग नहीं हुआ है | और वेदों में किसी भी स्थान पर शूद्र के जन्म से अछूत होने ,उन्हें वेदाध्ययन से वंचित रखने, अन्य वर्णों से उनका दर्जा कम होने या उन्हें यज्ञादि से अलग रखने का उल्लेख नहीं है |
वेदों में अति परिश्रमी कठिन कार्य करने वाले को शूद्र कहा है (“तपसे शूद्रम”-यजु .३०.५), और इसीलिए पुरुष सूक्त शूद्र को सम्पूर्ण मानव समाज का आधार स्तंभ कहता है |
चार वर्णों से अभिप्राय यही है कि मनुष्य द्वारा चार प्रकार के कर्मों को रूचि पूर्वक अपनाया जाना | वेदों के अनुसार एक ही व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में चारों वर्णों के गुणों को प्रदर्शित करता है | अतः प्रत्येक व्यक्ति चारों वर्णों से युक्त है | तथापि हमने अपनी सुविधा के लिए मनुष्य के प्रधान व्यवसाय को वर्ण शब्द से सूचित किया है |
अतः वैदिक ज्ञान के अनुसार सभी मनुष्यों को चारों वर्णों के गुणों को धारण करने का पूर्ण प्रयत्न करना चाहिए | यही पुरुष सूक्त का मूल तत्व है | वेद के वशिष्ठ, विश्वामित्र, अंगीरा, गौतम, वामदेव और कण्व आदि ऋषि चारों वर्णों के गुणों को प्रदर्शित करते हैं | यह सभी ऋषि वेद मंत्रों के द्रष्टा थे (वेद मंत्रों के अर्थ का प्रकाश किया) दस्युओं के संहारक थे | इन्होंने शारीरिक श्रम भी किया तथा हम इन्हें समाज के हितार्थ अर्थ व्यवस्था का प्रबंधन करते हुए भी पाते हैं | हमें भी इनका अनुकरण करना चाहिए |
सार रूप में, वैदिक समाज मानव मात्र को एक ही जाति, एक ही नस्ल मानता है | वैदिक समाज में श्रम का गौरव पूर्ण स्थान है और प्रत्येक व्यक्ति अपनी रूचि से वर्ण चुनने का समान अवसर पाता है | किसी भी किस्म के जन्म आधारित भेद मूलक तत्व वेदों में नहीं मिलते |
साभार
v p sharma