Tuesday, 9 May 2017


दिए तले अँधेरा

#विट्ठलव्यास

एक ईसाई प्रचारक बड़े जोश में पंजाब के देहात में जाकर प्रचार करने लगा। उसने सोचा की मसीह की शिक्षा को बढ़िया दिखाने के लिए हिन्दुओं के पुराणों की खिल्ली उड़ानी चाहिए जिससे की हिन्दू अपने ही पुराणों से घृणा करने लगे और मसीह की शिक्षा पर विश्वास लाये। मगर उसकी किस्मत ने उसे धोखा दिया और वह एक पेशावरी टोपी पहने आर्यसमाजी प्रचारक से टकरा गया।

पादरी- हिन्दुओं को पुराणों की शिक्षा को छोड़कर ईसा मसीह की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए देखो विष्णु, मत्सय, लिंग आदि पुराणों में क्या लिखा हैं की हिन्दुओं का अराध्य देव ब्रह्मा मद्यपान करता था और एक दिन उन्मत होकर अपनी ही कन्या से कुकर्म किया।

आर्यसमाजी प्रचारक- एक कहावत हैं छाज तो बोले किन्तु छाननी क्या बोले जिसमें सहस्त्रों छेद हैं। पहली बात तो हम केवल वेद मुकद्दस में विश्वास रखते हैं। पुराण आदि पिछले ६००-७०० वर्षों में बने हैं जिनमें सैकड़ों ऐसी बातें भरी हुई हैं जो न तो स्वीकार्य हैं और न ही वेदानुकूल हैं। जिसे तुम इल्हामी बाइबिल कहते हो उसमें कभी ध्यान नहीं देते। देखो उत्पत्ति १९/३१-३६ में लिखा हैं नबी हजरत लूत ने शराब के नशे में अपनी दो पुत्रियों से व्यभिचार किया। इससे आगे सुनों गिनती ३१/३५-४० में हजरत मूसा ने ३२,००० कुंवारी लड़कियों से दुराचार करने की आज्ञा दी। बाइबिल में ऐसा पढ़कर आप लोगों को लज्जा नहीं आती। अप्रमाणिक पुराणों पर आक्षेप करते फिरते हो। तुम लोगों के बारे में तो एक कहावत प्रसिद्द हैं- तो आकाश के ऊपर क्या जानता हैं कि क्या हैं? जबकि तू नहीं जानता कि तेरे घर में कौन हैं?

पादरी- पद्यपुराण के अनुसार विष्णु ने जालंधर वैद्य का रूप धरा और उसकी पत्नी संग सहवास किया?

आर्यसमाजी प्रचारक-अपनी आँख में शहतीर नहीं सूझता, किन्तु दूसरे की आँख में तिनका भी भारी प्रतीत होता हैं। पद्य पुराण में किसी मुर्ख ने कुछ भी अनाप शनाप लिख दिया तो यह प्रामाणिक कैसे हो गया। वेदशास्त्र से प्रमाण होना चाहिए। किन्तु ऐसा प्रमाण वेदों में मिलना दुष्कर ही नहीं असंभव हैं। मगर आपको इंजील से प्रमाण देते हैं। २ शमूएल अध्याय ११ में लिखा हैं कि दाऊद ने ऊरिय्याह की पत्नी से दुराचार किया और ऊरिय्याह को युद्ध में चिट्ठी भेजकर मरवा दिया। लोगो का नाक अपना कटा हुआ हैं मगर नक्क कटा दूसरों को बता रहे हैं। शोक!
पादरी- महादेव अपने विवाह में नग्न होकर बैल पर चढ़ा।

आर्यसमाजी प्रचारक- उत्पत्ति अध्याय ९ आयत २०-२३ में लिखा हैं नूंह शराब पीकर नंगा हो गया। यह बात आपकी इल्हामी पुस्तक कहती हैं।

पादरी- राम ने रावण ब्राह्मण को मारा और अपनी स्त्री सीताको जो रावण के घर प्रविष्ट हुई थी को पुन: स्वीकार किया जबकि लोगों ने उसे अशुद्ध एवं अपवित्र ठहराया था।

आर्यसमाजी प्रचारक- श्री राम तो महापुरुष थे। उनकी जैसी वीरता तो देखने को भी नहीं मिलती। उस काल में बिना अपने पिता के राज्य की सहायता के श्री राम ने २५ कोस लम्बा पुल बनाया, रावण को यमलोक भेजा और सीता को जो बैरियों के मध्य रहकर भी पवित्र रही स्वीकार किया। जरा अपने घर को देखो। उत्पत्ति अध्याय ३४ में लिखा हैं कि याकूब की बेटी दीना को हमोर के पुत्र शकेम ने भ्रष्ट कर अपवित्र कर दिया और बाद में विवाह का प्रस्ताव भेजने पर भी याकूब ने अपवित्र हुई अपनी लड़की को अपने घर में रख लिया। इन को देखकर कर तो एक ही कहावत स्मरण होती हैं "आँख के अंधे नाम नैनसुख"

पादरी- भागवत में लिखा हैं कि कृष्ण ने गोपियों संग दुष्कर्म किया।

आर्यसमाजी प्रचारक- बाइबिल के उत्पत्ति पुस्तक के ३८ अध्याय की आयत १७-१९ में लिखा हैं की यहूदा नबी ने अपनी विधवा पुत्रवधु तामार के संग व्यभिचार किया। ऐसी न जाने कितनी असभ्य बातें बाइबिल में भरी पड़ी हैं। श्री कृष्ण जी महाराज विद्वान, पुण्यात्मा, कर्मठ, साहसी महापुरुष थे। उन पर दोष लगाने वाली भागवत सर्वथा अप्रमाणिक एवं अस्वीकार्य हैं।

पादरी- ईसाईयों का ईश्वर दयावान हैं।

आर्यसमाजी प्रचारक-

वेदों में ईश्वर का वर्णन पवित्र, न्यायकारी, दयालु, सर्वज्ञ, सत्यधर्मा आदि गुणों वाला हैं जबकि बाइबिल का परमेश्वर अज्ञानी, छलि, कमजोर, क्रोधी, ईर्ष्यालु एवं हिंसा में विश्वास रखने वाला हैं।

उत्पत्ति पुस्तक के अनुसार एक आदम के पाप के लिए सम्पूर्ण संसार के सभी मनुष्यों को पापी ठहराना कहाँ की दयालुता हैं?
एक के फांसी दिए जाने से सम्पूर्ण संसार के सभी मनुष्यों के पापों का क्षमा होना कहाँ का न्याय हैं?
१ शमूएल अध्याय ६ की १९ आयत के अनुसार पच्चास हजार सत्तर पुरुषों को मारने वाला खुदा दयावान कैसे हुआ?
१ शमूएल अध्याय १५ की ३ आयत के अनुसार क्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या बच्चा, क्या दूधपिउवा, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, क्या ऊंट, क्या गदहा, सब को मार डालने की आज्ञा देने वाला खुदा दयावान कैसे हुआ?
गिनती अध्याय २५ की ९ आयत के अनुसार चौबीस हजार मनुष्यों को मार डालने की आज्ञा देने वाला खुदा दयावान कैसे हुआ?
होशे अध्याय १३ की १६ आयत के अनुसार बच्चों और गर्भवती स्त्रियों को मार डालने की आज्ञा देने वाला खुदा दयावान कैसे हुआ?

ऐसे ऐसे अनेक प्रमाण बाइबिल से दिए जा सकते हैं जिनसे स्पष्ट हैं की बाइबिल का ईश्वर हिंसा में विश्वास रखता हैं एवं उनका दयावान होना भ्रम मात्र हैं।

पादरी ने जब देखा कि उसकी हर बात का युक्ति एवं तर्क संगत सप्रमाण खंडन हो गया तो वह अपना बोरियां बिस्तर समेत कर वहां से नौ दो ग्यारह हो गया और हमारे आर्यसमाजी प्रचारक पंडित लेखराम जी सत्य का मंडन एवं असत्य का खंडन करने के लिए आगे बढ़ गए।

सभी पाठकों को अब यह निर्णय करना हैं की उन्हें सत्य ज्ञान वेद में विश्वास रखना हैं अथवा अविद्या के कूप बाइबिल में डूबना हैं।

(पंडित लेखराम के लेखों का संग्रह अमर ग्रन्थ "कुलयात आर्य मुसाफिर" से सभी प्रमाण लिए गए हैं।)

No comments:

Post a Comment