Wednesday, 31 May 2017



*शर्म, हया और देश धर्म, सब कुछ खूँटी पर टाँग गया ।*
आज विपक्ष मर्यादा की,,,, सब सीमाएँ लाँघ गया ।*
*इतना पापी,, दुष्ट,, धूर्त कोई गंदा भी हो सकता है ?*
*क्या कोई 'व्यक्ति-विरोध' में इतना अंधा भी हो सकता है ?*
*मत समझो गाय काटकर, तुमने विजय यात्रा रोकी है ।*
*कांग्रेसी ताबूत में तुमने,,,, कील आख़िरी ठोकी है ।*
*अय्याशी की पैदाइश हो, इस धरती पर पाप हो तुम ।*
*कुर्सी खातिर 'माँ' काटी है, मुगलो के भी बाप हो तुम ।*
*वैश्यावृति बंद हुई तो,,,, कैसे विरोध जताओगे ?*
*बेटी-बहन को लेकर क्या तुम सड़कों पर आ जाओगे ?*
*जो घड़ा पाप का भरा हुआ था, तुमने स्वयं ही फोड़ दिया ।*
*औरंगजेब और बाबर, ग़जनी सबको पीछे छोड़ दिया ।*
*देश विरोधी बने हुए हो, कुछ भी ना सोचा तुमने ।*
*सावरकर के चित्रों को,,,, दीवारों से नौंचा तुमने ।*
*लहू उबाले मार मारकर,, उस दिन मेरा खौला था ।*
*जिस दिन "भगवा आतंकी" संसद में तुमने बोला था ।*
*शाप लगेगा गौ माता का,,, देश तुम्हें धिक्कारेगा ।*
*मुरली वाला कृष्ण तुम्हें तड़पा-तड़पाकर मारेगा ।*
*दो साल के बाद ये जनता सड़कों पर आ जाएगी ।*
*अबकी बार तुम्हारी चालीस सीटें भी खा जाएगी ।*
जुड़ावन सिंह

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