Monday, 8 May 2017

यदि विद्या केवल ब्राह्मणों की पूंजी रही होती, तो वाल्मीकि रामायण कैसे लिखते और तिरुवलुवर तिरुकुरल कैसे लिखते? और अ-ब्राह्मण संतो द्वारा रचित इतना सारा भक्ति-साहित्य कहाँ से आता? जिन ऋषि व्यास ने महाभारत की रचना करी वे भी एक मछुआरन माँ के पुत्र थे। इन सब उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि ब्राह्मणों ने कभी भी विद्या देने से मना नहीं किया।
जिनकी शिक्षायें हिन्दू धर्म में सर्वोच्च मानी गयी हैं, उनके नाम और जाति यदि देखी जाए, तो वशिष्ठ, वाल्मीकि, कृष्ण, राम, बुद्ध, महावीर, तुलसीदास, कबीरदास, विवेकानंद आदि, इनमें कोई भी ब्राह्मण नहीं... तो फिर ब्राह्मणों के ज्ञान और विद्या पर एकाधिकार का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता! यह केवल एक झूठी भ्रान्ति है जिसे गलत तत्वों ने अपने फायदे के लिए फैलाया, और इतना फैलाया कि सब इसे सत्य मानने लगे।
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84 साल के  बुजुर्ग ने दान कर दी 

 जिंदगी भर कमाई ...

84 वर्षीय जनार्दन भट्ट गुजरात के भावनगर के रहने वाले हैं। एसबीआई से क्लर्क के पद से रिटायर हुए जनार्दन ने सीमा पर आर्मी जवानों के शहीद होने की खबरें देखीं। यह सब देखने-समझने के बाद उन्होंने भारतीय सेना के लिए छोटा-सा कदम उठाने के बारे में सोचा और नैशनल डिफेंस फंड को एक करोड़ रुपये दान कर दिए।
जनार्दन ने अपनी कमाई से काफी बचत की थी और उन्होंने कई फंडों में निवेश भी किया था, जिससे उन्हें अच्छे रिटर्न मिले। बुजुर्ग जनार्दन ने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की मदद की। एसबीआई में नौकरी के दौरान बतौर यूनियन लीडर भी जनार्दन ने अपने सहकर्मियों की समस्याएं सुलझाईं। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इतनी बड़ी रकम कहीं डोनेट की हो। इससे पहले भट्ट और उनके सहकर्मी ने किसी की मदद के लिए 54 लाख रुपये डोनेट किए थे।

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