Tuesday, 16 May 2017

जन्म एक बार लिया लेकिन दो बार मरा था ये वीर पुरुष !


आपने सुना होगा की इंसान का एक बार ही जन्म होता है और एक बार ही मरता है लेकिन आज में आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बता रहा हु जिसका जन्म तो एक बार ही हुआ था लेकिन बह दो बार मरा था ये बात आपको सुनने में जरा अटपटी लग रही होगी लेकिन ये सच है और ये कहानी राजस्थान के ही एक वीर पुरुष की है जो एक बार जन्म लेने के बाद दो बार मरा था !
आपको बतादे की इस महा पुरुष ने एक बार ही जन्म लिया था और एक बार ही इसने शादी की थी लेकिन अपने बचन को निभाने के लिए इस बहा पुरुष ने दो बार मौत को अपने गले से लगाया था इस महा पुरुष की याद में अक्सर ये गया जाता है
                                                                जलम्यो केवल एक बर, बरनी एकज नार
                                                              लड़ियो, मरियो कौल बर, इक भड़ दो दो बार
इसका अर्थ है की इस महा पुरुष ने एक बार ही जन्म लिया था और इसने एक ही पत्नी से शादी की थी लेकिन अपने बचन को निभाने के लिए ये बीर पुरुष दो बार मर कर बीर गति को प्राप्त हुआ था !! कहानी जोधपुर के महाराजा गजसिंह की है इन्होंने जब अपने पुत्र अमरसिंह को अपने राज्य से बंचित कर दिया था और उसे अपने देश से बहार निकालने का आदेश दिया था उसके बाद बल्लुजी चम्पावत व् भावसिंह कुम्पावत ये दोनों भी सरदार अमरसिंह के साथ चल दिए !
लेकिन ये दोनों जाते जाते महाराजा गजसिंह से ये कह कर गए थे की बिपत्ति काल में हम सदा आपकी मद्त करेगे ये हमारा बच्चन है और इतना कह कर दोनों वीर पुरुष अमरसिंह के साथ चल दिए थे और ये आगरा गई थे यहाँ बादसा अमरसिंह को नागौर का राजा बनादिया गया अमर सिंग को मेढ़े लड़ाने का बहुत शोक था इस लिए अच्छी किस्म मेढो को नागौर में पाला गया था  !
इन मेढो के सुरक्षा के लिए सरदारो की नियुक्ति की जारही थी इसी बिच एक दिन बल्लू चाम्पावत को ये काम सोपा गया था लेकिन बल्लू जी ने कहा था की में विप्पति में महाराज अमरसिंग की रक्षा करने के लिए आया था यहाँ भेड़ चराने के लिए नही और आबतो अमरसिंह के पास राज्य भी है और उनके पास सेना भी है अब मेरी यहाँ कोई जरूरत नही में जारहा हु और इतना कह कर  बल्लू  चम्पावत महाराणा के पास आगए थे !
लेकिन बहा भी सरदारो ने राजा से कहकर उन्हें अकेले ही निहत्ते शेर से लडादिया था  शेर को मारने के बाद बल्लू जी बहा से भी चल दिए थे लेकिन उन्होंने जाते जाते ये कह था की बीरता की परीक्षा दुश्मन से लड़ाकर लेनी चाहिए जानबर से नही इतना कहने के बाद बल्लू बहा से चल दिया था  उसके बाद राणा को लगा की बल्लू जी नाराज हो गए है इस लिए उन्होंने बल्लू जो को खुस करने के लिए एक घोडा बल्लू जो को भेट स्वरूप भेजा था घोड़े को देख कर बल्लू जी खुस हुए और उन्होंने महाराणा को ये बचन दिया था की जब मेंबाड़ पर संकट आइएगा
तो में मेंबाड़ की रक्षा करुगा लेकिन इधर अमरसिंह आगरे के किले से सलाबत खा को मारने के लिए गया था सलावत कह को दो मर दिया था लेकिन उसके बाद उन्हें बहा धोके से मार दिया गया था  इसके बाद रानी ने शती होने के लिए शव को भगबान चाहा लेकिन आगरे के किले में जाने की किसी की भी हिम्मत नही हो रही थी उसके बाद रानी ने बल्लू जी और भावसिंह को सन्देशा भेजा था क्योंकि इन दोनो ने ही आपत्ति काल में सहायता करने का बच्चन दिया था !
बल्लू जी आगरे के किले में घुस गए और बहा रखे शव को उठाकर घोडा सहित किले से ऊपर कूद गए थे उसने महाराज के शव को लाकर अपने सैनिको को दे दिया था और खुद दुश्मन की सेना को रोकते रोकते बीर गति को प्राप्त हो गए लेकिन अभी उनका एक बच्चन अधूरा था जो उन्होंने महाराणा से किया था लेकिन ऐसा कह जाता है की बल्लू जी के मरने के बाद जब मेंबाड़ पर औरंगजेव ने आक्रमण किया था  !
और जब घमासान का युद्ध हो रहा था तो महाराणा ने देखा की जिस घोड़े को उन्होंने बल्लू की दिया था उसी घोड़े पर बैठ कर बल्लू तलबार चला रहा था यहाँ बल्लू को तलबार चालते देख सव चकित रह गए थे लेकिन यहाँ भी बल्लू लड़ते हुए बीर गति को प्राप्त हो गया दुनिया का ये मात्र एक ऐसा योद्धा था जो अपने बचन को निभाने के लिए एक बार मरने के बाद फिर से जीवित हो गया था और फिर मर गया था !

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