Wednesday, 10 May 2017

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#विट्ठलव्यास
जब तमिलनाडू के मिनाक्षीपुरम में 800 हिंदूओ का सामुहिक धर्मान्तरण कर लिया गया था | कुछ दिन बिता ही था की धर्मान्तरण का षडयंत्र रचनेवाली दक्षीण भारत की " इशहादुल इस्लाम सभा " ने दावा किया की 1 लाख और हिंदू
उनकी गोद में बैठने को तैयार है |तब पुर्व में मीनाक्षीपुरम की घटना से सबक लेते हुए संघ के स्वयंसेवक इस बात को खोज-खबर में जुट गयें |

स्वयंसेवको के खोज खबर के बाद इशहादुल इस्लाम सभा का दावा सच्चाई साबित हुई | स्वयंसेवको ने नेतृत्व को पुरे साक्ष्य सहित यह
समाचार दिया की -" समुचे रामनाथपुरम के 1 लाख हिंदू हरिजन मुडुकलत्तुर में एकत्र होकर सामुहिक रूप से इस्लाम ग्रहण करने का निर्णय
लेंगे |

इस्लामीक गुटो द्वारा तिरूनेलवेली और मदुरई जिले के हरिजन नेताओ को भी सभा में भाग लेने का आमंत्रण दिया गया था जिसमें मलेशिया के
आदरास्पद मठाधिपति स्वामी रामदास भी शामिल थे |

स्वामी रामदास मुडुकलत्तुर तहसील में और उसी समुदाय में जन्मे थे और तामिल विद्या तथा हिंदू धर्मग्रंथो के अच्छे ज्ञाता थे किंतु इस्लामी गुटो के प्रभाव में आ चूके थे |

....तब संघ और विहिप के अधिकारी रातो-रात उनके स्थान पर पहुँचे तब अधिकारीओ ने कहा कि हरिजनो को न्याय तथा हिंदू समाज में समता और
प्रतिष्ठा का स्थान दिलाने के लिये हिंदू संगठनो और प्रमुख मठाधिपतिओ ने क्या- क्या रचनात्मक उपाय किये है इसका सप्रमाण उल्लेख किया गया | यह सुनकर स्वामी जी बहुत प्रसन्न और आश्वस्त हुए |

तुरंत बाद में उन्हे संघ द्वारा आयोजित रामनाथपुरम में हिंदू एकता
सम्मेलन में बुलाया गया | सम्मेलन में उन्होने स्वयं ही अनुभव किया की संघ और विहिप के अधिकारीओ ने उनके साथ पुर्ण समता का ब्यवहार किया है |तब उन्होने संघ अधिकारीओ के अनुरोध पर मलेशिया की वापसी यात्रा स्थगित कर दी और लोगो को इस्लाम न अपनाने की सलाह देने की बात स्वीकार कर ली |

संघ अधिकारीओ के अनुरोध पर स्वामी जी ने पहले हरिजन नेताओ को बुलाया और संघ और प्रमुख मधाधिपतियो द्वारा चलाये जा रहे समरसता कार्यो का उल्लेख कर उनको भी संतुष्ट करवा लिया |फिर स्वयंसेवको के
साथ-साथ वे गाँव-गाँव घुमकर लोगो को जागरूक किया |इस तरह 1 लाख हिंदूओ की सामुहिक धर्मान्तरण की योजना को छिन्न-भिन्न कर दिया गया |

किंतु भविष्य में ऐसा न हो इसके लिये संघ और इसके अनुषांगिक संगठन हिंदू मुन्नानी,विहिप और हिंदू मंदिर संरक्षण समिति सहित आर्य समाज, हिंदू समुदाय वालारची मनरम् आदि अन्य हिंदू संगठनो ने मिलकर "हिंदू ओटटुरमई मय्ययम (हिंदू एकता केंद्र ) गठन किया गया | जिसका कार्य धर्मान्तरण ना होने देना और धर्मान्तरीत हो चूके हिंदूओ को घर वापसी करवाना रखा गया ||

(2).

'' 1 फरवरी 1986 को पोप राँची पधारने वाले हैं और उनके सम्मान में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा और इस कार्यक्रम 10,000 वनवासियो को ईसाई बनाया जायेगा ' ऐसा चुनौतीपुर्ण घोषणा मिशनरी ने की |

संघ द्वारा पहले इसकी पुष्टि की गई तो सुचना मिली की उस दिन 10,000 वनवासी सचमुच ही धर्मान्तरण करने वाले हैं |फिर क्या था वनवासी कल्याण आश्रम ने इस चुनौती को स्वीकार कर सैंकड़ो ग्राम में जाकर वनवासियो को जागृत किया और पोप को विरोध करने को कहा

|तब पोप केआने के एक दिन पहले ही हजारो वनवासी अपने
परम्परागत हथियारो से लैस होकर राँची की ओर चल पड़े | वनवासीयो के सशस्त्र विशाल प्रदर्शन देखकर केंद्र सरकार को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने "पोप " को सुरक्षा का हवाला देकर शहर में सम्मेलन न करने का अनुरोध किया |

केंद्र सरकार द्वारा रांची हवाई अड्डे के अंदर ही पोप के लिये मंच बनाया गया |और वहीं पोप ने अपने अनुयायियों को संबोधित किया और राँची में प्रवेश न करके उसी विमान से उल्टे पैंर लौट गये |

इस तरह संघ को सक्रिय होने से पोप की योजना मिट्टी में मिल गई |

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