Monday, 22 May 2017

आज भी जल रही है वो अग्नि, जिसके फेरे लेकर भगवान शिव-पार्वती ने की थी शादी!

त्रियुगी नारायण मंदिर’ जो की उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित है। यहां की यात्रा बहुत ही पवित्र मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने सतयुग में माता पार्वती के साथ इसी जगह पर विवाह किया था और आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी इस हवन कुंड से ज्वाला प्रज्जलित हो रही है जिसको उन्होंने साक्षी मानकर विवाह किया था।
त्रियुगी नारायण मंदिर काफी प्रसिद्ध माना जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड की वादियों के बीच बहुत खूबसूरत नजर आता है। चारों तरफ हरियाली के बीच आए हुए यात्रियों के लिए यह मंदिर उनके लिए यहां एक समां बांध देता है। इसकी खूबसूरती आंखों को बहुत ही ठंडा देती है। ऐसा कहा जाता है कि इस हवन कुंड से निकलने वाली राख भक्तों के विवाहित जीवन को सुखमय बना देती है।
हरिद्वार के पास कनखल मे राजा हिमालय रहते थे। जहां माता पार्वती का जन्म हुआ था। क्योंकि वह एक पर्वत पुत्री थीं इसलिए उनका नाम पार्वती रखा गया था। जैसे ही माता पार्वती बड़ी हुई उनका विवाह शिव जी के साथ इसी जगह पर किया गया था। जिस जगह को आज हम त्रियुगी नारायण मंदिर के नाम से जानते हैं। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विष्णु जी को इस विवाह का साक्षी बनाया गया था। इसलिए यहां पर विष्णु जी का भी मंदिर है जिसकी पूजा भी लोग बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं।
वैसे तो इस मंदिर में जाने के लिए बहुत रास्ते आपको मिल जाएंगे। परंतु गौरीकुंड जाने के लिए आपको दो ही मार्ग मिलेगे। जब आप गौरीकुंड से 6 किलोमीटर दूर गुप्तकाशी की तरफ जाएंगे तो वहां सोनप्रयाग आता है। यहां से भी आप त्रियुगी नारायण मंदिर जा सकते हैं वहां से आपको त्रियुगी मंदिर 12 से 13 किलोमीटर दूर पड़ेगा। अगर आप यहां से नहीं जाना चाहते हैं तो एक और रास्ता है जो कि पैदल जाता है।


अगर आप पैदल जाना चाहते हैं तो आपको सिर्फ 6 से 7 किलोमीटर ही पैदल चलना पड़ेगा। सबसे पहले आपको सोनप्रयाग जाना पड़ेगा। वहां से सौ मीटर गौरीकुंड की तरफ पहले आप जाएंगे। वहां पर आपको एक लोहे का पुल मिलेगा। उस पुल के पहले ही आपको एक गुमनाम सी पगडंडी मिलेगी। जो ऊपर की तरफ जाती हुई दिखाई देगी।
इस रास्ते से आपको आगे जाना है। यह रास्ता घने जंगल से होकर जाता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि जब आप थोड़ी दूर जाएंगे तो वहां आपको छोटी सी जलधारा दिखाई देती है। उससे पहले पैदल चलते आपको बहुत प्यास लग सकती है इसलिए आप अपने साथ पानी ले कर जाएं।
यह मंदिर तो देखने में बहुत खूबसूरत है ही आप इसके साथ रुद्रकुंड, विष्णुकुंड और ब्रह्मकुंड भी देख सकते हैं।








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