Monday, 15 May 2017


 मोदी सरकार फिलहाल युद्ध का जोखिम क्यों नहीं ले रही ...

 सन 2004 में जब कांग्रेस की महान सरकार सत्ता में आयी थी तब भारत विश्व का छठा सबसे बड़ा हथियार आयातक था। अगले कुछ सालों में हम पहले स्थान पर पहुँच गए। 2004 में चीन सबसे बड़ा हथियार इम्पोर्टर था। 2014 तक वही चीन पांचवा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन चुका था।
हमारा रक्षा बजट इस साल 2.74 लाख करोड़ का है। पूरे बजट का भारत की कुल GDP का एक सिग्नीफिकेंट परसेंट। इतने पैसे में न जाने कितनी स्वास्थ्य योजनाएं , शिक्षा , मनरेगा चल सकती हैं।
पिछले साल भी यही बजट ढाई लाख करोड़ था। पिछले दस सालों से दो लाख करोड़ का हमारा रक्षा बजट है। बीस लाख करोड़ दस सालों में।
इस ढाई लाख करोड़ में करीब 60-70 हजार करोड़ यानी लगभग दस बिलियन डालर इन्ही विदेशी हथियार खरीद के लिए होते हैं।
कांग्रेस सरकार , दस बारह बिलियन डालर हर साल रक्षा उपकरणों की खरीद , विश्व में डिफेंस के सबसे बड़े इम्पोर्टर।
और सन 2014 में थल सेनाध्यक्ष सिंह साहब ने चेतावनी दी की हमारी सेनाओ के पास सिर्फ दस दिनों का गोला बारूद है लड़ने के लिए। हमारी एयर फ़ोर्स के फाइटर जेट बहादुर पायलटो के लिए जिन्दा ताबूत बन चुके थे। मिग और मिराज लगातार दुर्घटना ग्रस्त हो रहे थे। नए फाइटर ख़रीदे नहीं जा रहे थे।
युद्ध के लिए तोपे नहीं थी। ट्रेनिंग के लिए लड़ाकू जहाज नहीं थे। गन नहीं थी। वॉरशिप नहीं थे , सबमरीन्स नहीं थी। मिलिट्री के आधुनिकीकरण के लिए कोई योजना नहीं थी।
नौसेनाध्यक्ष ने 2013 में नेवी जहाज और पनडुब्बियों में होती दुर्घटनाओं और मौतों के बाद इस्तीफ़ा दिया। दुखी होकर दिया , असफल या जिम्मेदारी की वजह से नहीं।
लेकिन हम दुनिया के सबसे बड़े हथियार इम्पोर्टर थे। फिर हम क्या इम्पोर्ट कर रहे थे ?
अगस्ता हेलीकाप्टर , टेट्रा ट्रक , रोल्स रॉयल्स के इंजन। जिनमे करप्शन के आरोप थे।
कभी किसी के दिमाग में घंटी नहीं बजी। किसी ने नहीं सोचा ऐसा विरोधाभास क्यों।
2014 में मोदी सरकार आयी। पिछले तीन सालों में करीब पौने दो लाख करोड़ डिफेन्स परचेस को मंजूरी मिली। दो लाख करोड़ की खरीद पाइप लाइन में है। फ़्रांस , रशिया , अमेरिका हमें अपने सबसे अच्छे हथियार दे रहे हैं। लेकिन हम सिर्फ हथियार इम्पोर्ट पर ही ध्यान नहीं दे रहे। हम इन्ही हथियारों फाइटर जेट्स तोप को भारत में बनाने और एक्सपोर्ट करने पर जोर दे रहे हैं।
डिफेन्स में प्राइवेट सेक्टर को ला रहे हैं। मेक इन इंडिया। भारत में बनाकर , चाहे देसी हो विदेशी कंपनी , भारत में बने डिफेन्स उपकरण विदेश में बेचने पर सरकार काम कर रही है।
और सरकार पर कोई करप्शन का चार्ज नहीं है। राफेल डील के समय कम्युनिस्ट और मुस्लिम लोग बहुत चिल्लाये। लेकिन क्या हालिया चुनावो में किसी दल ने इस मुद्दे को उठाया ? क्या कहीं कोई जांच अदालत में विदेश में चल रही है ?
देश की सेनाओ के तीनो अंगो का मनोबल अपने उच्च स्तर पर है। जिसे दबाने के लिए बीच बीच में प्रयास होते हैं। BSF के जवानो के वीडिओ लाये गए। पाकिस्तान से हो रही गोलीबारी , पठानकोट पर हमले को लेकर मोदी सरकार विफल साबित करने की हरसंभव कोशिश हुई।
आज दो महीने से देश में परमानेंट रक्षा मंत्री नहीं हैं। अब ये नयी वजह बनी है असंतोष की। और इस बार विरोधी नहीं खुद बीजेपी के समर्थक ये सवाल उठा रहे हैं।
तीन साल में कुछ नहीं किया मोदी सरकार ने। लोग सवाल पूछ रहे हैं।
सच है देश चलाना कांग्रेस को ही आता है। देश सबसे बड़ा हथियार इम्पोर्टर था , भले देश की सेनाओ के पास लड़ने के लिए हथियार नहीं थे , गोली बारूद नहीं था। लेकिन देश की जनता को चैन तो था।
 Sharad Shrivastav 

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