Thursday, 18 May 2017

सुकमा हमले की यूं रची गई थी साजिश, पोडियम पंडा ने खोले कई राज

 सुकमा हमले में शामिल नक्सली पोडियम पंडा ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। पोडियम पंडा ताड़मेटला में शहीद हुए 76 जवानों का भी गुनाहगार है। पुलिस और सुरक्षा बलों को पिछले 6 सालों से पोडियम पंडा की तलाश थी। नक्सलियों और नेता, मानवाधिकार आयोग, व्यापारियों के बीच अहम कड़ी की भूमिका निभाने वाले पोडियम पंडा ने पूछताछ में कई राज खोले हैं। पंडा ने पुलिस को नक्सलियों के कई पैरोकारों के नाम भी बताए हैं। पोडियम की निशानदेही पर ही 8 नक्सलियों को मंगलवार को पकड़ा गया था। 
पोडियम ने बताया कि सुकमा हमले से पहले 15 अप्रेल को नक्सली कमांडर आयतु आकर मिला। इसे इंसास रायफल देकर हमले के लिए तैयार होने को कहा। इसके बाद हमले की तैयारी शुरू हो गई। बस डेट फिक्स नहीं थी। प्रॉपर हमले के लिए मौके की तलाश की जा रही थी। 24 अप्रेल को वो मौका मिल गया। मौके पर नक्सली अलग-अलग टुकड़ी में गए थे। हर टुकड़ी में एक कमांडर था। हमले के दौरान पोडियम ने दो फायरिंग  की थी। ये शाम 4 बजे तक उस इलाके में था। इसने बताया कि जवानों की गोली से एक टुकड़ी के कमांडर अनिल की मौत हो गई और 4 लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। इसे बोला गया कि इन्हें लेकर कसालपाड़ के पास इंतागुफा चला जाए। बाद में इस इलाके में फोर्स के एक्टिव होने के बाद इसे वहां से हट जाने को कहा गया।
पंडा की निशानदेही पर पकड़ा 8 नक्सलियों को
 बस्तर पुलिस के मुताबिक चिंतागुफा के पूर्व सरपंच पोडियम पंडा ने 7 मई को चिंतागुफा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। 9 मई को पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा के सामने पेश किया गया। इसके बाद कागजी कार्रवाई कर इससे पूछताछ की गई। पूछताछ में अहम सुराग हाथ लगने के बाद इसकी निशानदेही पर चिंतागुफा और इसके-आस-पास के इलाकों से 8 नक्सलियों को पकड़ा गया। बुधवार को सुकमा में पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने प्रेस कांफ्रेंस कर बाकायदा इसके सरेंडर का खुलासा किया। इस दौरान आरोपी ने मीडिया के सामने खुद सुकमा हमले की साजिश समेत कई राज खोल दिए।
2 साल से करना चाह रहा था सरेंडर 
पोडियम पिछले दो साल से सरेंडर करना चाह रहा था। नक्सलियों के बड़े कमांडरों को इसकी भनक लग गई। इसके बाद हमेशा इसके साथ साए की तरह 4-5 हथियारबंद नक्सलियों को लगा दिया गया।  पिछले दिनों इसको वॉच करने वाले पांचों नक्सली मिनपा में बीच पुलिस के हत्थे चढ़ गए। बस इसके बाद पोडियम को मौका मिला गया और वह भागकर टेकलपारा आ गया। यहां उसने चिंतागुफा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।

1998 में आया नक्सलियों के संपर्क में 
पोडियम ने बताया कि वर्ष 1997 में चिंतागुफा का इसे सरपंच चुना गया। वर्ष 1998 में नक्सली कमांडर मदन्ना इसके पास आया और इसे गांव में संघम कमेटी गठित करने के लिए कहा। इसके बाद से ही नक्सली हमेशा इसके संपर्क में रहे। इसने नक्सली और उनके शहरी नेटवर्क के बीच अहम कड़ी की भूमिका निभाई। नक्सलियों के दैनिक उपयोग की सामग्री पहुंचवाने से लेकर बड़े-बड़े व्यापारियों के चंदे पहुंचवाने में पोडियम की अहम भूमिका होती थी। बड़े नेताओं से नक्सलियों से संपर्क कराने से लेकर मानवाधिकार आयोग के एक्टिविस्टों को जंगल में पहुंचवाने में भी अहम भूमिका अदा करता था।  
नंदिनी सुंदर और बेला भाटिया मिलती हैं नक्सलियों से
पंडा ने नंदिनी सुंदर और बेला भाटिया को कई बार नक्सलियों से मिलवाना स्वीकार किया है। इसने जंगल में नक्सलियों के बड़े ठिकाने समेत दूसरे कई खुलासे भी किए हैं। पोडियम से पूछताछ अभी जारी है।



बेला भाटिया और नंदिनी सुंदर को जल्द गिरफ्तार किया जाए-LRO

लीगल राइट्स ऑबज़र्वेटरी (LRO) ने नंदिनी सुंदर और बेला भाटिया की तत्काल गिरफ्तारी और उनके खिलाफ मामला चलाए जाने की मांग की है। नक्सलियों के दुलेड़ जनताना सरकार में मिलिशिया डिप्टी कमांडर पोडियम पंडा के सरेंडर के बाद पुलिस को दिए गए बयान के आधार पर LRO ने यह मांग रखी है। हम आपको बता दें कि पोडियम पंडा ने अपने इकबालिया बयान में कहा है कि वह डीयू की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और बेला भाटिया को कई बार नक्सलियों से मिलवाने के लिए ले गया है। पंडा ने पुलिस और कई चौंकाने वाली जानकारी भी दी है। ध्यान रहे कि पोडियम पंडा ताड़मेटला, बुर्कापाल समेत 19 नक्सल वारदातों में वांछित था। 
लीगल राइट्स ऑबज़र्वेटरी (LRO) एक स्वतंत्र संस्था है। जो देशविरोधी गतिविधियों पर ना केवल नज़र रखती है, बल्कि उसे रोकने के लिए कानूनी प्रक्रिया का सहारा भी लेती है। हाल ही में LRO का नाम जब चर्चा में आया था, जब नक्सलियों ने एक कथित पत्र जारी कर LRO के पदाधिकारियों को मौत का  फरमान सुनाया था। आतंकवाद, नक्सलवाद, उग्रवाद जैसी देशविरोधी गतिविधियों और ऐसे अभियानों को समर्थन करने वाले लोगों के खिलाफ LRO कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।

पुलिस ने मार गिराया 10 लाख इनामी नक्सली

सुकमा हमले के बाद लगातार बस्तर इलाके में सेना और पुलिस के सर्चिंग आपरेशन को सफलता मिल रही  है रविवार को नक्सलियों से लोहा लेते बस्तर पुलिस के जवानो को बड़ी सफलता हाथ लगी। बस्तर में 10 लाख के इनामी नक्सली विलास को बस्तर पुलिस ने रविवार शाम बुरगुम से सटे जंगलों में मार गिराया। मौके से एक एके-47 राइफल भी बरामद हुई । 
इस घटना की पुष्टि एडिशनल एसपी विजय पांडे ने घटना पुष्टि की। बताया जा रहा है कि बस्तर पुलिस और डीआरजी के जवानों ने बुकार्पाल में शहीद जवानों की शहादत का बदला नक्सल कमांडर विलास को बुर्गम के जंगलों में मार कर ले लिया है। इस घटना से जुड़ी महत्वपूर्ण बात यह है कि एके 47 के साथ मारे गए नक्सली कमांडर का शव भी पुलिस ने बरामद कर लिया है जो एक उपलब्धि कही जा सकती है।
विलास पूर्वी बस्तर डिवीजीनल कमेटी का सद्स्य रहा है । बस्तर के एडिशनल एसपी विजय पांडे ने बताया कि नक्सलियों का दल बुरगुम इलाके में है इसकी सटीक सूचना पर पुलिस ने तगड़ी घेरा बन्दी की । आमने सामने की लड़ाई के अभ्यस्त न होने से नक्सलियों के पैर उखड़ गए और वे अपने कमांडर की लाश और हथियार तक नहीं ले जा पाए जबकि अमूमन ऐसा बिरले ही होता है नक्सली अपने दल के मामूली सदस्य की लाश भी नहीं छोड़ते और साथ ले जाते हैं, हमारी पुलिस पार्टी अभी भी इलाके की सर्चिंग कर रही है। 




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