Thursday 4 May 2017

भारत के इस प्राचीन शहर के नाम पर आधारित है बाहुबली का माहिष्मती साम्राज्य ...

बाहुबली के प्रशंसकों को इसकी अगली कड़ी के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ा। नेशनल अवार्ड्स जीत चुकी एसएस राजामौली की इस फिल्‍म की दूसरी कड़ी ‘बाहुबली 2: द कंक्‍लूजन’ दुनियाभर में रीलीज़ होने के साथ ही धूम मचा चुकी है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि बाहुबली के साम्राज्य माहिष्मती के इर्द गिर्द रची गयी इसकी कहानी काल्पनिक है, लेकिन माहिष्मती साम्राज्य का भारतीय इतिहास से गहरा नाता है।ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार माहिष्मती मध्य प्रदेश के खरगौन ज़िले में स्थित धार्मिक नगर ‘महेश्वर’ का प्राचीन नाम था। इसका उल्लेख महाभारत तथा दीर्घनिकाय सहित अनेक ग्रन्थों में भी मिलता है।

पौराणिक रिकॉर्ड  बताते हैं कि यह साम्राज्य नर्मदा के तट पर स्थित था। इसका अभिज्ञान ज़िला इंदौर, मध्य प्रदेश में स्थित ‘महेश्वर’ नामक स्थान से किया गया है, जो पश्चिम रेलवे के अजमेर-खंडवा मार्ग पर बड़वाहा स्टेशन से 35 मील दूर है। महाभारत के समय यहाँ राजा नील का राज्य था, जिसे सहदेव ने महाभारत युद्ध में परास्त किया था।
‘ततो रत्नान्युपादाय पुरीं माहिष्मतीं ययौ। तत्र नीलेन राज्ञा स चक्रे युद्धं नरर्षभ:।
 इस शहर का उल्लेख हरिवंम्सा में भी किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि इस शहर को राजा महिष्मत द्वारा स्थापित किया गया था जो खुद यदु (ऋग वेद में वर्णित पांच भारतीय आर्य जनजातियों में से एक) के सहजन के उत्तराधिकारी थे। अन्य कथाओ के अनुसार इस शहर के संस्थापक रजा मुकुकुंडा थे जो खुद भी यदु के वंशज थे।
बौद्ध साहित्य में माहिष्मती को दक्षिण अवंति जनपद का मुख्य नगर बताया गया है। बुद्ध काल में यह नगरी व्यापारिक केंद्र के रूप में विख्यात थी। तत्पश्चात उज्जयिनी की प्रतिष्ठा बढ़ने के साथ-साथ इस नगरी का गौरव कम होता गया। फिर भी गुप्त काल में 5वीं सदी तक माहिष्मती का बराबर उल्लेख मिलता है। कालिदास ने ‘रघुवंश’ में इंदुमती के स्वयंवर के प्रसंग में नर्मदा तट पर स्थित माहिष्मती का वर्णन किया है और यहाँ के राजा का नाम ‘प्रतीप’ बताया है-
‘अस्यांकलक्ष्मीभवदीर्घबाहो माहिष्मतीवप्रनितंबकांचीम् प्रासाद-जालैर्जलवेणि रम्यां रेवा यदि प्रेक्षितुमस्तिकाम:।’
इस उल्लेख में माहिष्मती नगरी के परकोटे के नीचे कांची या मेखला की भाति सुशोभित नर्मदा का सुंदर वर्णन है।
बाहुबली फिल्म बेशक एक काल्पनिक फिल्म है, लेकिन इसमें दिखाया गया महिष्मती साम्राज्य इतिहास के पन्नों में भव्यता और प्रतिष्ठा के साथ मौजूद है।



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