2-2 बार नेपाल ने भारत में शामिल होने का किया था अनुरोध, दोनों बार नेहरू ने मना कर दिया...
एवेरेस्ट पर्वत आज भारत में होता, नेपाल भारत का हिस्सा होता, भारत का एक राज्य होता, एक अलग देश नहीं होता, और ऐसा नहीं हो सका उसका जिम्मेदार नेहरू है, तो आप शायद यकीन नहीं करेंगे
और वो सिर्फ इसलिए क्यूंकि आपको बस जानकारी नहीं है
नेहरू ने क्या क्या अपराध किये थे, इसकी पूरी जानकारी आजतक देश को पूरा नहीं पता चला है
आज हम नेहरू के एक बड़े अपराध के बारे में अहम जानकारी दे रहे है
1947 में भारत आज़ाद हुआ, नेपाल में राजा त्रिभुवन का राज था, परन्तु वहां एक प्रधानमंत्री भी था
राजा के पास अधिक शक्तियां थी, कहने को ही लोकतंत्र था
जैसे ही 1947 में भारत आज़ाद हो गया, नेपाली प्रधानमंत्री मातृका प्रसाद कोइराला भारतीय प्रधानमंत्री नेहरू से बात की, और कहा की नेपाल में राजशाही है, आप मदद करें तो नेपाल में भी लोकतंत्र आ जायेगा
और हम भारत में एक राज्य की तरह शामिल हो जायेंगे
परन्तु नेहरू ने 1947 में नेपाली प्रधानमंत्री के अनुरोध को ये कहकर ठुकरा दिया की, भारत को और राज्यों की जरुरत नहीं है, और नेपाल एक पड़ोसी देश ही ठीक है
नेपाल भारत का राज्य हो सकता था पर नेहरू ने मातृका प्रसाद कोइराला को साफ़ इंकार कर दिया
देखते ही देखते 1950 आ गया, नेपाल में दूसरे प्रधानमंत्री हो गए जिनका नाम था बहादुर राणा, बहादुर राणा ने नेपाल में लोकतंत्र के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया
ये लोग नेपाल से राजशाही ख़त्म करना चाहते थे, नेपाल के राजा थे त्रिभुवन, 1950 तक त्रिभुवन को अपने ही प्रधानमंत्री बहादुर राणा से डर लगने लगा, त्रिभुवन को डर था की उनका तख्तापलट कर दिया जायेगा और बंदी बना लिया जायेगा
1951 में त्रिभुवन भागकर भारत आ गए, और प्रधानमंत्री नेहरू से मुलाकात की, ऊपर उसी मुलाकात की तस्वीर भी लगी हुई है
त्रिभुवन ने नेहरू से मांग करी की, नेहरू भारतीय सेना नेपाल भेजे और राज परिवार के खिलाफ हो रही शक्तियों को ख़त्म करे, त्रिभुवन ने 1951 में भारत को ऑफर दिया की वो नेपाल का विलय भारत में करवा देते है, उनको बस एक गवर्नर की तरह नेपाल में राज करने दिया जाये, नेपाल भारत का राज्य बनकर रहेगा
पर फिर एक बार नेहरू ने ये ऑफर ठुकरा दिया, त्रिभुवन नेपाल चले गए, बाद में स्वतः ही राजा ने विरोधियों को हरा दिया, और अगले कई दशक तक नेपाल में राजशाही ही रही
इस तरह 2 बार नेपाल ने भारत में शामिल होने की कोशिश की पर नेहरू के कारण ऐसा हो ही नहीं सका
और 1962 के बाद चीन ने नेपाल में घुसना शुरू कर दिया, अपने दफ्तर खोले
नेपाल को पैसा दिया, और उसके बाद नेपाल ने भारत में शामिल होने की कभी कोशिश नहीं की, और आज नेपाल एक अलग देश है, और कई बार तो भारत से उसके रिश्ते भी ख़राब हो जाते है
नेहरू के कारण ही आज एक इतना बड़ा छेत्र भारत का हिस्सा नहीं बल्कि एक अलग देश है
source:http://www.dainikbharat.net/2017/05/2-2-dainikbharat.html
No comments:
Post a Comment