भारत का वो प्रधानमंत्री जिसने 20,000 भारतीयों की हत्या करने के लिए की थी एक विदेशी की मदद!
2 दिसंबर 1984 की रात विश्व की सबसे घातक त्रासदी हुई थी, जिसमें लगभग 20,000 भारतीय मारे गए थे और 2,00,000 से अधिक घायल हुए थे। यह घटना भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुआ था जहां रसायन और उर्वरक का निर्माण किया जा रहा था। इस गैस लीक से लगभग 5 लाख लोग प्रभावित हुए थे। समुचा शहर देखते ही देखते कब्र में तबदील हो गया था। इस हादसे कि वजह से आज भी यहां जन्म लेने वाले बच्चे बिमारियों से ग्रसित होते हैं। Rajiv Gandhi role in Bhopal Gas tragedy.यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन, जाहिरा तौर पर भारत में निवेश करने वाली पहली अमेरिकी कंपनियों में से एक है। यूनियन कार्बाइड मैनेजमेंट द्वारा लागत में अनावश्यक कटौती और सुरक्षा, मानक संचालन प्रक्रियाओं का उल्लंघन इस घटना का प्रमुख कारण था।
भोपाल गैस त्रासदी में क्या थी राजीव गांधी की भूमिका :
कांग्रेस पार्टी का हाथ भारत कि हर बड़ी घटना में रहा है। जब भी हम देश का इतिहास उठाकर देंखे जितने भी कांड हुए हैं उनमें कही न कही कांग्रेस का हाथ जरुर रहा है। तो भोपाल गैस त्रासदी में कांग्रेस अपना कां किये बिना कैसे रह सकती थी? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए भारत के नागरिकों के जीवन का कोई मोल शुरु से ही नहीं रहा है। यह हम सिख दंगों के दौरान देख चुके हैं। इसके कुछ ही समय बाद भोपाल गैस त्रासदी हुई और इससे भी कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ा।
भोपाल गैस त्रासदी में राजीव गांधी की भूमिका कि बात करें तो वॉरेन एंडरसन जो अमेरिका स्थित यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) के चेयरमेन थे, वो भोपाल गैस त्रासदी में मुख्य आरोपी होने का बावजूद 7 दिसंबर, 1984 को उनकी गिरफ्तारी के कुछ समय बाद ही अमेरिका भाग गए। वॉरेन एंडरसन को भगाने में मदद किसी और ने नहीं बल्कि उस वक्त देश के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी ने कि थी। हालांकि, 29 सितंबर 2014 को वॉरेन एंडरसन का निधन हो गया, लेकिन देश और कांग्रेस में एक और काला इतिहास जुड़ गया कि एक भारतीय प्रधानमंत्री ने हजारों लोगों कि मौत के जिम्मेदार शख्स को देश से भागने में मदद की थी।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खोला कांग्रेस का राज :
हालांकि, ये बात सभी को बता है कि राजीव गांधी ने एंडरसन को भारत से भागने में मदद की थे। लेकिन राजीव गांधी ने मदद क्यों कि इसका कारण किसी को नही पता था। लेकिन, अगस्त 2015 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कांग्रेस के इस राज से पर्दा उठाते हुए बताया कि राजीव गांधी ने एंडरसन को भारत से भागने में मदद की और राजीव गांधी ने ऐसा क्यों किया। सुषमा स्वराज ने बताया कि, भारत में स्पेन के पूर्व राजदूत और भारत के ट्रेडफेयर ऑथोरिटी के अध्यक्ष मोहम्मद यूनुस गांधी परिवार के बहुत करीबी थे। वो खान अब्दुल गफ़ार खान के रिश्तेदार भी थे।
यूनुस के बेटे आदिल शाहरियर को अगस्त 1981 में मियामी राज्य के अधिकारियों ने शेरेटन बीच होटल में आग लगाने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया था। जिसके बाद यूनुस जो नेताजी बोस के सभी रहस्यों को जानते थे, उन्होंने राजीव गांधी को धमकाना शुरु कर दिया कि अगर अमेरीका से आदिल शाहोरियर को रिहा नहीं किया गया तो वे नेहरू के सारे राज उजागर कर देंगे। इसलिए राजीव गांधी ने आदिल शाहोरियर के बदले बिना किसी जांच के एंडरसन को भारत से भागने में मदद करने का फैसला किया। 11 जून 1985 को आदिल को क्षमादान दिया गया और कहा गया कि राजीव गांधी उसकी रिहाई के समय अमेरिका में मौजूद थे।
इस मामले पर सुषमा स्वराज ने राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि – अपनी मां से पूछना कि, “मम्मा, मम्मा, मेरे पिता ने 20,000 हजार लोगों के हत्यारे को कैसे छुड़ाया था।”
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