पिछले वर्ष कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर मोदी को हराने के लिए पाकिस्तान से मदद मांगने गए थे, उन्होंने कहा कि आप लोग हमारी मदद कीजिये, हम 2019 में मोदी को हरा देंगे और उसके बाद दोस्त बनकर रहेंगे, क्योंकि जब तक मोदी दिल्ली की कुर्सी पर बैठे हैं हम दोनों के बीच दोस्ती नहीं हो सकती.
दो दिन पहले राहुल गाँधी चुपचाप चीनी दूत से मिले थे, उन्होने इस मुलाक़ात के बार में किसी से नहीं बताया और भेद खुलने के बाद भी इसे गलत बताते रहे हालाँकि आखिर में सच सामने आ ही गया और पूरे देश को पता चल गया कि राहुल गाँधी और चीनी राजदूत के बीच मुलाक़ात हुई थी.अब सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है 'ऐसा लगता है, मोदी को 2019 लोकसभा चुनाव में हराने के लिए कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान और चीन से मिलकर महागठबंधन बना रही है. पाकिस्तान की मुस्लिम लीग और चीन की चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी भी मोदी को हारने वाले महागठबंधन में शामिल हो रहे हैं और इसीलिए राहुल गाँधी अकेले में चीन के साथ मुलाक़ात कर रहे हैं.
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या है। चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है कि अगर सिक्किम और भूटान भारत के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो चीन उनकी मदद करेगा और दुनियाभर में अनुचित सीमा संधियों के खात्मे के लिए चीन उनकी पैरवी करेगा। चीन का आरोप है कि नई दिल्ली ने भूटान पर दबाव बनाकर अनुचित सीमा संधि की है।
चीन की आधिकारिक मीडिया ने सिक्किम में हिंसा को उकसाने के मकसद से लिखे गए लेख में अपने नागरिकों से कहा है कि वो सिक्किम के लोगों में आजादी का आंदोलन और माहौल पैदा करे। इसके साथ ही उन्हें भारत के खिलाफ माहौल बनाने को भी कहा गया है।ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है, “बीजिंग को सिक्किम के रुख पर पुनर्विचार करना चाहिए। हालांकि, चीन ने 2003 में सिक्किम को भारत के राज्य के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन अब इस मामले पर अपना रुख बदल सकता है।”
अखबार ने लिखा है, सिक्किम में ऐसे लोग हैं जो अपने इतिहास को एक अलग राज्य के रूप में पसंद करते हैं, और वे इस बात के प्रति संवेदनशील हैं कि बाहरी दुनिया सिक्किम के मुद्दे को कैसे देखे। चीन में भी सिक्किम के लोगों की आवाज को मजबूती देने के लिए जनसमर्थन है। यह जनसमर्थन सिक्किम में आजादी से पहले की भूमिका और जनांदोलन खड़ा कर सकता है।”
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डोकलाम पठार सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए महत्वपूर्ण है। अगर चीन यहां तक सड़क बनाने में कारगर रहता है तो वह भारत के पूर्वोत्तर हिस्से तक आसानी से अपनी पहुंच बना सकता है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच सिक्किम-भूटान-चीन सीमा पर स्थित डोकलाम पठार को लेकर विवाद चल रहा है। चीन वहां तक सड़क बनाना चाहता है, जबकि भारत उसका विरोध कर रहा है। पिछले दिनों भारत ने चीनी सैनिकों के सड़क निर्माण का विरोध किया था, तब चीनी सैनिकों ने भारत के दो बंकर तबाह कर दिए थे। उस वक्त भारतीय जवानों ने मानव दीवार बनकर चीनी मंसूबों पर पानी फेर दिया।
भूटान भी चीन के इस सड़क निर्माण का विरोध करता रहा है, जबकि चीन डोकलाम पठार को डोकलांग पठार कहकर उसे अपना इलाका कहता रहा है। चूंकि भारत और चीन के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है, इसलिए भारत इस मामले में भूटान की पैरवी करता रहा है। अगर चीन सिक्किम के डोकलान तक सड़क बनाने में कारगर रहता है तो उसकी पहुंच पूर्वोत्तर राज्यों तक आसानी से हो जाएगी। यह सामरिक दृष्टि से भारत के लिए खतरनाक होगा।
चीन की आधिकारिक मीडिया ने सिक्किम में हिंसा को उकसाने के मकसद से लिखे गए लेख में अपने नागरिकों से कहा है कि वो सिक्किम के लोगों में आजादी का आंदोलन और माहौल पैदा करे। इसके साथ ही उन्हें भारत के खिलाफ माहौल बनाने को भी कहा गया है।ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है, “बीजिंग को सिक्किम के रुख पर पुनर्विचार करना चाहिए। हालांकि, चीन ने 2003 में सिक्किम को भारत के राज्य के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन अब इस मामले पर अपना रुख बदल सकता है।”
अखबार ने लिखा है, सिक्किम में ऐसे लोग हैं जो अपने इतिहास को एक अलग राज्य के रूप में पसंद करते हैं, और वे इस बात के प्रति संवेदनशील हैं कि बाहरी दुनिया सिक्किम के मुद्दे को कैसे देखे। चीन में भी सिक्किम के लोगों की आवाज को मजबूती देने के लिए जनसमर्थन है। यह जनसमर्थन सिक्किम में आजादी से पहले की भूमिका और जनांदोलन खड़ा कर सकता है।”
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बता दें कि भारत और चीन के बीच सिक्किम-भूटान-चीन सीमा पर स्थित डोकलाम पठार को लेकर विवाद चल रहा है। चीन वहां तक सड़क बनाना चाहता है, जबकि भारत उसका विरोध कर रहा है। पिछले दिनों भारत ने चीनी सैनिकों के सड़क निर्माण का विरोध किया था, तब चीनी सैनिकों ने भारत के दो बंकर तबाह कर दिए थे। उस वक्त भारतीय जवानों ने मानव दीवार बनकर चीनी मंसूबों पर पानी फेर दिया।
भूटान भी चीन के इस सड़क निर्माण का विरोध करता रहा है, जबकि चीन डोकलाम पठार को डोकलांग पठार कहकर उसे अपना इलाका कहता रहा है। चूंकि भारत और चीन के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है, इसलिए भारत इस मामले में भूटान की पैरवी करता रहा है। अगर चीन सिक्किम के डोकलान तक सड़क बनाने में कारगर रहता है तो उसकी पहुंच पूर्वोत्तर राज्यों तक आसानी से हो जाएगी। यह सामरिक दृष्टि से भारत के लिए खतरनाक होगा।
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